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मानवता का मूल्य और जोशीले आतिथ्य वाली परंपरा हमारे देश की पहचान : प्रहलाद सिंह पटेल

नई दिल्ली । पर्यटन मंत्रालय ने आज विश्व धरोहर दिवस, 2020 को एक वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से मनाया। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्राचीन मंदिर शहर, मामल्‍लापुरम पर हुए वेबिनार को लाइव संबोधित किया जिसमें पूरी दुनिया से प्रतिभागी शामिल हुए।

प्राचीन मंदिर शहर, मामल्‍लापुरम पर बने पहले वेबिनार के दौरान पैनलिस्टों द्वारा मंदिरों के स्थापत्य और धार्मिक महत्व पर प्रकाश डाला गया। दूसरे वेबिनार का शीर्षक ‘वर्ल्ड हेरिटेज एंड सस्टेनेबल टूरिज्म एट हुमायूं टॉम्ब’ था। इस वेबिनार में विश्व धरोहर स्थलों के महत्व पर प्रकाश डाला गया और प्रतिभागियों को हुमायूं के मकबरे और उसके परिसर में अन्य स्मारकों में किए गए संरक्षण कार्यों के बारे में बताया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री पटेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार हमारी परंपरा और संस्कृति न केवल प्राचीन है बल्कि अमूल्य भी है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान संकट के समय जब विश्व और हमारा देश कोविड-19 से मुकाबला कर रहा है, वह मानवता का मूल्य और जोशीले आतिथ्य वाली हमारी परंपरा ही है जो हमें परिभाषित करती है और हमें वह बनाती हैं जो हम हैं। उन्होंने महाउपनिषद् के श्लोक “वसुधैव कुटुम्बकम” (दुनिया हमारा परिवार है) का उल्लेख किया, जिसमें भारत की भावना यहां फंसे हुए सभी पर्यटकों के लिए गर्मजोशी और विनम्रता के साथ मदद के माध्यम से प्रदर्शित होती है।

 

प्राचीन भारत में हमारे जीवन के सिद्धांत कितने वैज्ञानिक थे, इस बात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ये बहुत प्राचीन प्रथाएं हैं, जो मानवता के सामने अधिकांश समय में अडिग रही हैं। उन्होंने कहा कि संकल्प और मूक लचीलापन हमारे मूल्य हैं जो हमें एक साथ बांधे हुए हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि प्राचीन भारत में धर्म के सिद्धांत विज्ञान पर आधारित थे और उन्होंने गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर में 52 स्तंभों का जिक्र करते हुए अपनी बात को उदाहरण के साथ स्पष्ट किया, जिसका प्रत्येक स्तंभ एक वर्ष के एक सप्ताह को दर्शाता है। यह केवल हमारी अज्ञानता है जो हमें भारत के दर्शन और परंपराओं की गहरी बुद्धिमत्ता को समझने की अनुमति नहीं देती है। मोढेरा और मामल्‍लापुरम स्थित सूर्य मंदिर दोनों ही यूनेस्को के विश्व धरोहरों में शामिल हैं।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कैसे ‘नमस्ते’, घर में प्रवेश करने से पहले जूते उतारने वाली भारतीय परंपरा, घर में प्रवेश करने से पहले स्नान करना, ये बातें जो देखने में छोटी लग सकती हैं लेकिन उनमें बहुत गहरी और शाश्वत बुद्धिमत्ता विद्यमान है। भाषाएं अलग हो सकती हैं लेकिन हमारे महान देश का सार उसकी गहरी परंपराओं से निकलकर सामने आता है।

उन्होंने श्रोताओं से कहा कि भारत के प्रधानमंत्री को समय-सीमा के रूप में विजन 2024 मिला है, जिसके द्वारा हमें अपने महान देश के स्मारकों और परंपराओं की गहरी और अमूल्य विरासत और संस्कृति को सूचीबद्ध करने, संरक्षित करने और प्रदर्शित करने में सक्षम बनना चाहिए। उन्होंने उल्लेख किया कि यह सूची हमारी प्राचीन सभ्यता की गहनता और विशालता को देखते हुए केवल बढ़ने ही वाली है। इस संदर्भ में, मंत्री महोदय ने तकनीकी के माध्यम से भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की राष्ट्रीय सूची का अनावरण किया और इसे देश के नाम समर्पित किया। यह सूची संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। उन्होंने उल्लेख किया कि यह सूची कला, शिल्प और विभिन्न स्थानीय परंपराओं सहित हमारी प्राचीन सभ्यता की गहनता और विशालता को देखते हुए केवल विकसित ही होने वाली है।

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