टिकाऊ ऊर्जा के लिए भौतिक विज्ञान और इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री के मेलजोल पर काम कर रहे एनआईटी श्रीनगरके शिक्षकों को प्रेरित किया जाए
श्रीनगर । राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर के डा. मलिक अब्दुल वाहिद जिन्हें भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित इंसपायर संकाय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है, वह टिकाऊ और सस्ते ऊर्जा स्रोत विकसित करने के लिए भौतिक विज्ञान और इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री के मेलजोल से ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उनका ध्यान मुख्य रूप से इलेक्ट्रोड और इलेक्ट्रोलाइट भौतिक इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री पर है।
डॉ.मलिक की वर्तमान अनुसंधान दिलचस्पी के प्रमुख अंशों में सोडियम-आयन (एनए-आयन) बैटरी के लिए इलेक्ट्रोड विकास पर भौतिक अनुसंधान शामिल है, जो वर्तमान में लिथियम-आयन (ली-आयन) प्रौद्योगिकी की तुलना में लागत में 20%कमी करता है। वह दो पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, यानी लागत में कमी और दक्षता में वृद्धि। लागत में कमी के लिए, वह वर्तमान में कार्बन-आधारित एनोड (बिजली के धनात्मक छोर) और कार्बनिक कैथोड के संयोजन के स्थिरीकरण पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, जबकि दक्षता में वृद्धि के लिए, वह नए कैथोड रसायनों की खोज कर रहे हैं। उनकी हाल की दो परियोजनाओं में उपयुक्त डोपिंग द्वारा उच्च क्षमता वाले परतदार कैथोड विकसित करना है जो उच्च क्षमता और स्थिरता तथा सल्फेट-फॉस्फेट संकर कैथोड प्रदान करता है। इसी प्रकार, सोडियम (एनए) धातु एनोड (बिजली के धनात्मक छोर) का परिचायक है जिसमें भारी एनएजमाव क्षमता विकसित की जाती है। उल्लिखित परियोजनाएं एनए आयन बैटरी अनुसंधान के क्षेत्र के लिए एक नई दिशा हैं।
आईआईएसईआर पुणे में अपने सहयोगियों के साथ, डॉ. मलिक ने ली-आयन बैटरी में एनोड के रूप में कुशल एसआई स्थिरीकरण के लिए एक एसआई-फॉस्फोरीन नैनो-मिश्रित सामग्री विकसित की, जिसे सस्टेनेबल एनर्जी फ्यूल्सजरनल में प्रकाशित किया गया था। प्राप्त पदार्थ कार्बन-आधारित इलेक्ट्रोड की तुलना में पांच गुना अधिक क्षमता प्रदान करता है और लगभग 15 मिनट में पूरी तरह से चार्ज हो सकता है।
एनआईटी श्रीनगर में उनकी टीम ने कम ग्राफीन ऑक्साइड (आरजीओ) आच्छादित उच्च अवस्था के अनुपात 1-आयामी एसबीएसई नैनो-संरचना को संश्लेषित करने के लिए एक सरल हाइड्रोथर्मल रणनीति का इस्तेमाल किया। उनका यह कार्य कैम फिजिक्स कैमजरनल में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने 100एमएजी1के एक विशिष्ट विद्युत प्रवाह पर 550एमएएचजी-1की उलटनीय क्षमता के साथ संतोषजनक उपलब्धि हासिल की, जिसका अर्थ है कि 5 से 6जीसंश्लेषित सामग्री एक उच्च रेंज के एंड्रॉइड सेल फोन को चलाएगी।
डॉ. मलिक ने कहा, “इंसपायरसंकाय पुरस्कार एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है और इसे किसी भी संस्थान में नियमित संकाय की स्थिति से अलग किया जाना चाहिए। पद का सम्मान करने के लिए, मैंने संयुक्त रूप से एनआईटी श्रीनगर में उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई)की स्थापना की, जिसे इंटरडिसीप्लीनरी डिवीजन ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी एंड एडवांस मेटीरियल्स (आईड्रीम) नाम दिया गया। सीओई ने मुख्य रूप से मेरी और मेरे सहयोगी के अनुसंधान अनुदान से काम किया, लेकिन हाल ही में संस्थान ने धन सहायता का वादा किया है। इसके अतिरिक्त, एमएचआरडी (फास्टयोजना के अंतर्गत) के संभावित सहयोग से, यह केन्द्र उच्च गुणवत्ता वाले कुछ अनुसंधानों को आगे बढ़ाने और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार है।”
वर्तमान में, यह केन्द्र डॉ. मलिक ने संयुक्त रूप से स्थापित किया है, जो जम्मू और कश्मीर के स्थानीय संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा जल संचयन के लिए ऊर्जा के भंडारण और सुपर-हाइड्रोफोबिक सतहों के उन्नत क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए काम करता है। डॉ. वाहिद एनए आयन बैटरी एनोड के अनुप्रयोगों (एसीएस ओमेगा, 2017, 2 (7), पीपी 3601-3609) के रूप में पहले ही अखरोट के खोल से प्राप्त कार्बन के उपयोग पर एक पेपर प्रकाशित कर चुके हैं। पदार्थ में उन्नत इलेक्ट्रोड अनुप्रयोगों के लिए नियोजित होने की बहुत गुंजाइश है। इसी तरह बेकार डेयरी उत्पादों और डल झील की जलीय वनस्पति इलेक्ट्रोड ग्रेड कार्बन के पूर्व लक्षण के रूप में नियोजित करने के लिए उपयुक्त आकृति विज्ञान प्रतीत होता है। आईड्रीम के तहत ऊर्जा भंडारण गतिविधियाँ आंशिक रूप से स्थानीय अग्रदूतों से उच्च गुणवत्ता वाली कार्बन सामग्री के संश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करती हैं। कमल के फूल की डंडी इलेक्ट्रोड ग्रेड कार्बन सामग्री के पूर्व लक्षण के रूप में नियोजित होने के लिए झरझरा होने में बहुत आशाजनक है। यह डल झील के स्थानीय पौधों की हाइड्रोफोबिक पत्ती संरचना की प्रतिकृति बनाकर उच्च गुणवत्ता वाली हाइड्रोफोबिक सतहों को विकसित करने की चुनौतियां भी देता है।