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मस्जिद पर झंडा लहराने की बात में तथ्य नहीं : पुलिस आयुक्त

शोभायात्राओं पर हमले की जांच एनआईए को सौंपने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली । दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने सोमवार को कहा कि जहांगीर पुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा किसी छोटे-मोटे वाद-विवाद से शुरू हुई थी। मस्जिद पर झंडा लगाने संबंधित एक पक्ष के दावे में कोई तथ्य नहीं है। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने हुनमान जयंती पर जहांगीर पुरी में भड़की सांप्रदायिक हिंसा मामले में प्रेसवार्ता में कहा कि पुलिस मामले के हर पहलू की जांच कर रही है। इस हिंसा में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से शामिल सभी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। अस्थाना ने कहा कि मामले में दोनों पक्षों के लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस जाति, धर्म, संप्रदाय और संबंध के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगी। घटना में संलिप्त सभी को गिरफ्तार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि मामले में अब तक दोनों पक्षों के 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले में पुलिस कर्मियों और एक नागरिक सहित 9 लोग घायल हैं। सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल मीडिया का विश्लेषण किया जा रहा है। क्राइम ब्रांच की 14 टीमें मामले को संभाल रही है। संवेदनशील इलाकों में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 14 टीमें तैनात हैं। यह तैनाती तब तक रहेगी जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। पुलिस आयुक्त ने जनता से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें। कुछ लोग सोशल मीडिया के जरिए शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रख रही है और गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जहांगीर पुरी हिंसा मामले में जांच ने पकड़ी तेजी

जहांगीर पुरी हिंसा मामले में जांच ने तेजी पकड़ ली है। इस जांच के क्रम में दिल्ली फॉरेंसिक टीम उस जगह पर पहुंची जहां से इस पूरी हिंसा की शुरुआत हुई थी। जहांगीर पुरी हिंसा मामले की जांच करने के लिए दिल्ली एफएसएल की टीम ने सोमवार सुबह घटनास्थल पर मस्जिद के आसपास फोटोग्राफी की। टीम ने यहां से फॉरेंसिक सबूत जुटाए। फॉरेंसिक टीम ने मस्जिद व उसके आसपास की गलियों में जाकर जांच की और जिन छतों से पथराव किए गए उनकी भी जांच की। मस्जिद के आसपास की दुकानों के पास भी फोटोग्राफी और जांच की गई। फॉरेंसिक टीम ने मस्जिद की खिड़कियों, दीवारों, सीढ़ी और टॉप फ्लोर से फिंगर प्रिंट्स लिये हैं।

कुशल चौक के पास बनी मस्जिद पर फॉरेंसिक की टीम ने आसपास के इलाकों में फोटोग्राफी करते हुए मस्जिद की छत पर पहुंची। जहां से मस्जिद की खिड़की, दरवाजे, दीवार टॉप फ्लोर से फॉरेंसिक टीम फिंगरप्रिंट इकट्ठा किये। यह जांच का एक अहम हिस्सा बताया जा रहा है कि इसी जांच के आधार पर कुछ अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी संभव है। भारी मात्रा में पुलिस बल भी इलाके में मौजूद हैं और लगातार लोगों से अमन बनाए रखने की अपील की जा रही है। साथ ही दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा समय-समय पर अपील की जाती है कि किसी भी तरीके की अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए। इस मामले में मास्टरमाइंड सहित 21 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में जांच लगातार जारी है।

शोभायात्राओं पर हमले की जांच एनआईए को सौंपने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली के जहांगीरपुरी समेत देश के कई शहरों में रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर निकाली गई शोभायात्राओं पर हुए हमले की जांच एनआईए को सौंपने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता विनीत जिंदल ने कहा है कि कई राज्यों में हुई घटनाएं संयोग नहीं हो सकतीं। इनके तार आपस में जुड़े हो सकते हैं। याचिका में कहा गया है कि देश भर में कई स्थानों पर रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर शोभायात्राएं निकाली गई थी जिसमें पत्थरबाजी की घटनाएं घटी। इन घटनाओं में कई लोग घायल हो गए और संपत्तियों का भी काफी नुकसान हुआ। याचिका में कहा गया है कि ये केवल संयोग नहीं हो सकता है कि देश के कई हिस्सों में रामनवमी और हनुमान जयंती के मौके पर निकाली गई शोभायात्राओं के दौरान पत्थरबाजी और हमले हुए हैं। इसके पीछे साजिश की आशंका है। इसलिए इन घटनाओं की एनआईए से जांच की जानी चाहिए।बता दें कि हनुमान जयंती के मौके पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा निकाले जाने के दौरान हमले किए गए थे। इसके अलावा मध्य प्रदेश और देश के दूसरे हिस्सों में भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं घटीं।

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