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छठ के दूसरे दिन खरना करने की है परंपरा

लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना करने की परंपरा है।बिहार में लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के आज दूसरे दिन राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा समेत अन्य नदियों और तालाबों में स्नान किया।छठ की छटा पूरी राजधानी में छाई हुयी है। घर से लेकर घाट तक, गलियों से लेकर सड़कों तक… हर तरफ आकर्षक सजावट दिख रही है। घाटों पर व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है। वहीं सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। व्रतियों की सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है।

गंगा नदी में आज सुबह स्नान करने के बाद व्रती समेत उनके परिवार के सदस्य गंगाजल लेकर अपने घर लौटे और पूजा की तैयारी में जुट गये हैं। व्रत का आज दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है, जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है। ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन यदि किसी भी तरह की आवाज हो तो व्रती खाना वहीं छोड़ देते हैं। इसलिए, इस दिन लोग यह ध्‍यान रखते हैं कि व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के समय आसपास शोर-शराबा ना हो।खरना के मौके पर व्रती पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ भगवान भास्कर की आज शाम पूजा-अर्चना करेंगे।

भगवान भास्कर को गुड़ मिश्रित खीर और घी की रोटी का भोग लगाकर स्वयं भी ग्रहण करेंगे। इसके बाद भाई-बंधु, मित्र और परिचितों में खरना का प्रसाद बांटा जायेगा। उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार एवं निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा।महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंद मूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं।

प्रदेश के सभी जिलों के बड़े बाजारों में आज सुबह से ही चहल-पहल बढ़ गयी है। व्रत के दूसरे दिन खरना को लेकर सुबह से ही लोग दूध समेत अन्य सामानों की खरीददारी के लिए बाजारों के लिए निकल गये। दूध के साथ ही लोग अन्य सामानों जैसे चूल्हा, आटा, गुड़ समेत अन्य सामानों की खरीददारी करने में व्यस्त हैं।महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार के घर-घर में छठ के गीत गूंजने लगे हैं। ..केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेडराय, आदित लिहो मोर अरगिया.., दरस देखाव ए दीनानाथ.., उगी है सुरुजदेव.., हे छठी मइया तोहर महिमा अपार.., कांच ही बास के बहंगिया बहंगी लचकत जाय.., गीत सुनने को मिल रहे हैं ।

छठ पूजन सामग्री की खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़, बनाया खरना का प्रसाद

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में सूर्य उपासना व लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पर भारी उत्साह देखा गया। डाला छठ के दूसरे दिन शनिवार को पूजन सामग्री फल आदि की खरीदारी के लिए जहां बाजार मे भीड़ उमड़ पड़ी, वही घरों मे खरना का प्रसाद बनाया गया। प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही स्नान ध्यान कर महिलाओं ने व्रत का संकल्प लिया।रविवार को व्रती महिलाएं तालाब, सरोवर व गंगा घाट पर अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देगी।

महापर्व डाला छठ के मद्देनजर नगर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों मे फल फूल,सूप,दौरी आदि की दुकाने सजाई गई थी। दुकानों पर सुबह से फल आदि की खरीदारी के लिए लोग पहुंचने लगे थे। समय के साथ भीड़ भी बढ़ती गई सायंकाल तक चली खरीदारी के दौरान नगर मे जाम की स्थिति बनी रही। पर्व पर मौसमी के साथ अन्य तमाम तरह की फलों से सजी दुकानों पर लोगो ने सामर्थ्य के अनुसार खरीदारी की।(वार्ता)

बिहार में गूंज रहे हैं छठी मैया के गीत

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