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सूर्य नगरी देव में चार दिवसीय कार्तिक छठ मेला शुरू

औरंगाबाद : बिहार में औरंगाबाद जिले के ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक स्थल देव में चार दिवसीय कार्तिक छठ मेला आज से आरंभ हो गया।छठ मेले के लिए राज्य के कोने-कोने और देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालुओं का देव पहुंचना शुरू हो गया है l इस अवसर पर यहां के त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर को अत्यंत आकर्षक ढंग से सजाया गया है और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष इंतजाम किए गये हैं।जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने आज यहां बताया कि कार्तिक छठ मेला को लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। उन्होंने कहा कि छठ मेला को लेकर देव स्थित  त्रेतायुगीन प्राचीन सूर्यमंदिर सहित पूरे क्षेत्र को आकर्षक ढ़ंग से सजाया गया है।

उन्होंने बताया कि छठ मेला में आने वाले श्रद्धालुओं तथा छठव्रतियों के लिए पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, यातायात, सुरक्षा आदि के समुचित प्रबंध किये गये हैं। मेला में विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए जगह-जगह दंडाधिकारियों के नेतृत्व में सशस्त्र बल की तैनाती की गयी है ।कार्तिक छठ के अवसर पर त्रेतायुगीन सूर्य मंदिर को अत्यन्त आकर्षक ढ़ंग से सजाया गया है। देव छठ मेले में देश के विभिन्न प्रांतों तथा राज्य के कोने-कोने से श्रद्धालुओं एवं व्रतधारियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। चार दिनों का यह पवित्र अनुष्ठान आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है,जो 20 नवंबर को प्रात: उदयाचल सूर्य को अर्घ्य अर्पित किये जाने के साथ सम्पन्न होगा।

सुप्रसिद्ध सूर्य तीर्थस्थल देव में कार्तिक छठ व्रत करने आये पूर्वोत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़,झारखंड, बंगाल, उत्तरांचल एवं बिहार के विभिन्न जिलों के श्रद्धालु छठव्रती महिलाओं ने यहां स्थित पवित्र सूर्यकुण्ड में विशिष्ट स्नान किया और ऐतिहासिक त्रेतायुगीन पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर में सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की।आज छठव्रती ने जिले के विभिन्न इलाकों में स्थित नदियों, तालाबों एवं सरोवरों में अंत:करण की शुद्धि के लिए पवित्र स्नान किया और व्रत के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले बर्तनों की साफ-सफाई की। स्नान-पूजन के बाद छठव्रतियों ने नदी एवं कुएं के जल से शुद्धता के साथ कद्दू-भात का आहार बनाकर ग्रहण किया और प्रसाद स्वरूप अपने परिजनों को खिलाया।

गौरतलब है कि कार्तिक छठ व्रत के दौरान सूर्य नगरी देव आकर छठ व्रत करने की विशिष्ट धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता है। कहा जाता है कि यहां प्रति वर्ष दो बार कार्तिक एवं चैत माह में छठ व्रत के दौरान छठव्रतियों एवं श्रद्धालुओं को सूर्यदेव की उपस्थिति की साक्षात अनुभूति होती है।(वार्ता)

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