देहरादून : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद स्वरूप, देवालयों से पवित्र उत्तराखंड को देवभूमि कहने की परंपरा वंदनीय है।श्रीमती मुर्मु ने कहा कि इसके साथ ही पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती एवं शक्ति के अन्य पूजनीय स्वरूपों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली तथा गंगा-यमुना जैसी नदियों के स्नेह से सिंचित यह पावन धरती ‘देवी-भूमि’ भी है। यह क्षेत्र ‘जय महाकाली’ और ‘जय बदरी विशाल’ के पवित्र उद्घोष से गुंजायमान रहता है। हेमकुंड साहिब और नानकमत्ता से निकले गुरबानी के स्वर यहां के वातावरण को पावन बनाते हैं।
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित भव्य समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुयीं राष्ट्रपति ने प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि अपनी अलग पहचान स्थापित करने और अपने विकास का रास्ता तय करने का उत्तराखंड के निवासियों का सपना आज ही के दिन यानी 9 नवंबर वर्ष 2000 को उत्तरांचल राज्य की स्थापना के साथ पूरा हुआ था। उन्होंने कहा कि उस समय श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे। बाद में राज्य का नाम बदलकर उत्तराखंड रखा गया। यह प्रसन्नता की बात है कि नई पहचान के साथ उत्तराखंड के परिश्रमी लोगों ने राज्य के लिए विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं।श्रीमती मुर्मु ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर के महीने में मुझे उत्तराखंड की यात्रा करने का सुअवसर मिला था। उत्तराखंड में आने का प्रत्येक अवसर तीर्थ यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह होता है। उत्तराखंड की इस देव भूमि से मैं सभी देशवासियों के लिए दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं और महालक्ष्मी से यह प्रार्थना करती हूं कि उत्तराखंड सहित समस्त भारत को वे धन-धान्य तथा सुख और आरोग्य से परिपूर्ण करें।
उन्होंने देहरादून की विख्यात राज्य आंदोलनकारी दिवंगत सुशीला बलूनी का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड की अलग पहचान और स्थापना के लिए संघर्ष करने वाली दिवंगत श्रीमती बलूनी जी को इस राज्य के सभी निवासी तो याद रखेंगे। साथ ही नारी में संघर्ष की शक्ति के उदाहरण के रूप में उन्हें सभी देशवासी सदैव स्मरण करेंगे। उन्होंने श्रीमती बिशनी देवी शाह का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अपने असाधारण साहस का परिचय दिया था।राष्ट्रपति ने दुनियाभर में ख्याती प्राप्त करने वाली प्रदेश की महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि माउंट एवरेस्ट पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली प्रथम महिला बछेन्द्री पाल जी और पेड़ों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर संघर्ष करने वाली गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की महिलाओं ने पूरे देश के लिए आदर्श प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसी महिलाओं ने उत्तराखंड की संस्कृति को मजबूत बनाया है।
उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 को अनुमति प्रदान करते समय मुझे विशेष प्रसन्नता हुई थी, क्योंकि वह अधिनियम उत्तराखंड सहित हमारे देश की बहनों और बेटियों के लिए राष्ट्र-निर्माण में उच्च स्तरीय योगदान देने हेतु मार्ग प्रशस्त करता है।राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की यह भूमि वीर प्रसवा रही है। स्वाधीनता के बाद के सभी युद्धों में उत्तराखंड के वीरों ने सर्वोच्च बलिदान दिया है। मैं उन सभी वीरों को और वीर भूमि उत्तराखंड को नमन करती हूं। भारतीय सेना में शामिल होकर भारत माता की रक्षा करने में यहां के युवा गर्व की अनुभूति करते हैं। राष्ट्र की रक्षा के प्रति उत्साह का यह भाव सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय है।उन्होंने कहा कि हमारी थल सेना के दो रेजीमेंट कुमायूं और गढ़वाल रेजीमेंट का नाम उत्तराखंड के क्षेत्रों के आधार पर रखा गया है। यह उत्तराखंड की शौर्य परंपरा को रेखांकित करता है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत जी इसी धरती के सपूत थे। हमारे वर्तमान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान जी उत्तराखंड के ही निवासी हैं।
श्रीमती मुर्मूुने कहा कि उत्तराखंड की फिजिकल और डिजिटल कनेक्टिविटी निरंतर बढ़ाई जा रही है। भारत की अध्यक्षता में हुए जी20 से जुड़ी गतिविधियों के क्रम में उसके बुनियादी ढांचा समूह की एक बैठक ऋषिकेश में सम्पन्न हुई थी। उस बैठक में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा के निर्माण से जुड़ी सार्थक चर्चाएं हुई। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तेज गति से काम हो रहा है। साथ ही, आपदा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उत्तराखंड में हो रही बहु-आयामी प्रगति से निवेशकों में उत्साह बढ़ रहा है।राष्ट्रपति ने इस बात पर भी प्रसन्नता जताई कि दिसंबर में देहरादून में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होगा। उन्होंने इस पर भी खुशी जताई कि पिछले सप्ताह तक समिट की तैयारी के लिए आयोजित रोड़ शो में 81,500 करोड़ रुपए से अधिक के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा चुके थे और इस राशि में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने भरोसा व्यक्त किया कि निवेशकों में उत्तराखंड के प्रति बढ़ते उत्साह को कार्यरूप देने के लिए जो प्रयास किए जा रहे हैं, उनसे उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
श्रीमती मुर्मु ने इस पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तराखंड के विकास में इकोलॉजी और इकोनॉमी दोनों पर ज़ोर दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा हरित पर्यावरण परियोजना यानी जीईपी का आकलन करने की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में स्टेट जीडीपी के साथ-साथ स्टेट जीईपी पर ध्यान देने से सतत विकास को बल मिलेगा। (वार्ता)
LIVE: President Droupadi Murmu addresses the Uttarakhand State Foundation Day programme at Dehradun https://t.co/rSztzyc1xJ
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 9, 2023