सत्ता पक्ष व विपक्ष ने लगाया एक दूसरे पर संविधान के अपमान का आरोप
नयी दिल्ली : लोकसभा में सत्ता पक्ष तथा विपक्ष ने एक दूसरे पर सत्ता का दुरुपयोग कर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि संविधान सबको समान अधिकारों, परंपराओं, कर्तव्यों और मूल्यों के संरक्षण का आदेश देता है और सभी को इसके दायरे में रहते हुए देश को प्रगति के पथ पर आगे बढाने के लिए काम करना चाहिए।लोकसभा में शुक्रवार को ‘संविधान अंगीकार करने के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ पर शुरु हुई दो दिन की चर्चा के पहले दिन सदस्यों ने कहा कि संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है और सबकी जिम्मेदारी इसमें वर्णित मूल्यों को मजबूती के साथ आगे बढाने की है। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कांग्रेस की सरकारों का इतिहास बताते हुए कहा कि उसने 1951 से ही संविधान में प्रदत्त मूल्यों की अवहेलना शुरु कर दी थी जबकि विपक्ष ने कहा कि सत्ताधारी दल लगातार लोगों को संविधान में दिए अधिकारों की अनदेखी कर रहा है।
रक्षा मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश का संविधान सभी वर्गों के कल्याण के लिए है और सबको समान अधिकार देता है, गरीब को शीर्ष पद पर बैठने की अनुमति देता है। हमारा संविधान भारत को एक आदर्श राष्ट्र बनाने, राष्ट्रीय एकता, देश के विकास, नागरिकों की गरिमा सुरक्षित करने तथा राष्ट्र के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का रोड मैप है। यह सभी नागरिकों के कल्याण की अनुमति देता है और इसी का परिणाम है कि गरीब परिवार में जन्मा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी बन सकता है। यह संविधान भारत के नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करता है और उन्हें सम्मान से जीने का अधिकार देता है। हमको सुनिश्चित करना चाहिए कि देश के नागरिकों के अधिकारों का कभी हनन नहीं हो और सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार मिलते रहें।
उन्होंने कहा कि संविधान सब नागरिकों को एक समान अधिकार देता है और देश की संस्कृति तथा परंपरा को अक्षुण्ण रखने की अनुमति देता है। संविधान में कमल का फूल है और भगवान राम की तस्वीर है, जो दर्शाता है कि हमारा संविधान हमारी परंपरा और विरासत का वाहक है और मोदी सरकार इन्हीं मूल्यों का अनुसरण कर देश के विकास के लिए सबको साथ लेकर काम कर रही है। संविधान को अंगीकार करने के 75 साल पूरे होने पर आज सदन में चर्चा की जा रही है। भारत के स्वतंत्रता सेनानियों और आम भारतीयों ने जो सपना देखा था वह आज के दिन पूरा हुआ था। इसी दिन 26 नवंबर को भारत सरकार ने अपना संविधान अंगीकार किया था और देश में राजतंत्र, ब्रिटिश तंत्र समाप्त होकर लोकतंत्र आ गया था। इस मौके पर सदन तथा देशवासियों को बधाई देते हुए उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले महान देशभक्तों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि हमारा संविधान सार्वभौम है जो नागरिकों को संवैधानिक और मौलिक अधिकार प्रदान करता है। हमारा संविधान राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं को छूते हुए देश के लिए सबको समान अधिकार देने का रास्ता प्रदान करता है तथा सबको मिलजुलकर काम करने की अनुमति प्रदान करता है। संविधान धर्म और कर्तव्य के निर्वहन का अधिकार देता है।
भाजपा नेता ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया और कहा कि यह पार्टी संविधान को ‘हाईजैक’ करना चाहती है, संविधान पर अपना एकाधिकार मानती है और मौका मिलते ही इसी संविधान का अपमान करती है। उनका कहना था कि जिन लोगों ने कभी संविधान को नहीं माना, वे संविधान की प्रति जेब में रखकर चलते हैं और वे इसका महत्व नहीं समझते हैं जबकि भाजपा संविधान को जेब में नहीं, सिर माथे पर रखती है। संविधान हमारे कर्म में दिखाई देता है। हमारी सरकार ने दस साल में जो भी संशोधन किए हैं, उनका मकसद लोगों के अधिकारों को सशक्त करना रहा है। भाजपा ने जो भी कानून बनाया है उसमें सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया गया है। इसी संविधान ने भाजपा सरकार को धारा 370 हटाने की ताकत दी है। हमने देश में संघवाद को मजबूत करने का काम किया है। हमने संविधान की रक्षा के लिए हर कदम उठाए हैं और इसे मजबूत करने के लिए काम किया है। दल विरोधी कानून को और मजबूत किया है, ताकि राजनीतिक भ्रष्टाचार को रोकने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में एक ऐसा संशोधन हुआ है, जिसमें एक अपराधी व्यक्ति एक बार भी यदि एक बार भी शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठता है, तो उसके सारे अपराधों को माफ करना था। यह जनता को फिर से उनके अधिकारों पर कुठाराघात का प्रयास था, लेकिन आज कांग्रेस पार्टी उसी के सहारे आज राजनीति कर संविधान को बचाने की बात करते हुए संविधान की प्रति लेकर घूम रही है, लेकिन संविधान का पालन नहीं करती है। संविधान में पुरुषों का ही नहीं बल्कि महिलाओं के भी योगदान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माण महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। जब 24 जनवरी 1950 को संविधान पर हस्ताक्षर किए गये थे उनमें 11 महिलाएं भी शामिल थी। इनमें अमृत कौर, हंसा मेहता, सुचिता कृपलानी आदि शामिल रहीं हैं। देश की महान महिलाओं के योगदान की सामूहिक सराहना की जानी चाहिए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा,“हमारा संविधान इंसाफ, उम्मीद, अभिव्यक्ति और आकांक्षा की वो ज्योत है, जो हर हिंदुस्तानी के दिल में जल रही है। संविधान ने हर नागरिक को अधिकार दिया कि वो सरकार बना भी सकता है और सरकार बदल भी सकता है। संविधान न्याय, एकता और अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है। दुःख की बात है कि सत्ता पक्ष ने बीते दस वर्षों में यह सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया। संविधान में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा है, इसे तोड़ने का काम शुरू हो चुका है। लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर करने का काम किया जा रहा है। सरकार में चुनाव पारदर्शिता से कराने के लिए मतपत्रों के इस्तेमाल का आग्रह किया और कहा कि यदि वे मतपत्रों से चुनाव करा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
”उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं के भाजपा में आने पर तंज कसते हुए कहा,“इनके यहां वाशिंग मशीन लगी है। जो जाता है, वह धुल जाता है। कई लोग हमारे यहां थे जो अब उधर बैठे हैं। वे धुल गये हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि जो संविधान को माथे से लगाते हैं लेकिन संभल एवं मणिपुर पर न्याय की गुहार को अनसुना कर देते हैं। ये भारत का संविधान है, संघ का विधान नहीं है।”श्रीमती वाड्रा ने कहा कि यह संविधान एकता की मोहब्बत की बात करता है। करोड़ों देशवासी एक दूसरे से प्रेम करते हैं, घृणा नहीं। सरकार ने अभिव्यक्ति की सुरक्षा को कमजोर करके भय का वातावरण बना दिया है। पहले जनता ने खुल कर सरकार की आलोचना की है, धरने प्रदर्शन किये हैं।
सरकार को ललकारा है और न्याय मांगा है। नुक्कड़ों, गली मोहल्लों, चौराहों पर चर्चा बंद नहीं हुई। आज जनता को डराया जाता है। छात्र नेता, प्रोफेसर हो, पत्रकार हो, सरकार के विरोध में बोले तो धमकाया जाता है। इस सरकार ने किसी को नहीं छोड़ा। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को देशद्रोही करार दे दिया। मीडिया की मशीन झूठ फैला रही है। कानून एक उद्योगपति के लिए बन रहे हैं। गोदाम एक उद्योगपति के लिए दिये जा रहे हैं। खान, बंदरगाह, हवाईअड्डे सब एक ही उद्योगपति को दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आमलोगों में धारणा बनती जा रही है कि यह सरकार अडानी के मुनाफे के लिए चल रही है। जो अमीर है वह और अमीर हो रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने मोदी सरकार पर तानाशही के रास्ते पर आगे बढने का आरोप लगाया और कहा,“एडोल्फ हिटलर भी जर्मनी में लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने के बाद ही संविधान संशोधन करके तानाशाह बना था। हमारी सरकार भी उसी राह पर चल रही है। जाति जनगणना आप करा सकते हैं, तो कराइये, वरना हमें जब भी मौका मिलेगा, तब हम करायेंगे। हम जाति जनगणना के पक्ष में हैं, जाति जनगणना से दूरियां मिट सकेंगी, जब तक जाति जनगणना नहीं होगी, हमें न्याय नहीं मिलेगा।”मोदी सरकार पर आरक्षण समाप्त करने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियां न मिलें, इसलिये सरकारी विभागों में भर्तियां नहीं करायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वंचितों को आरक्षण न देना पड़े, इसलिये सरकारी नौकरियों के लिये होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक कराये जा रहे हैं। आरक्षण न देना पड़े, इसलिये सरकारी उपक्रम बेचे जा रहे हैं, निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सपा नेता ने कहा, “शिक्षा मंत्री बतायें कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में अधिकतर कुलपति किस वर्ग के हैं। उनके द्वारा भर्ती किये जा रहे प्रोफेसर किन-किन जातियों के हैं। आज ‘नॉट फाउंड सूटेबिल’ की आड़ लेकर आरक्षित वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों से वंचित किया जा रहा है। वंचितों को आरक्षण न देना पड़े, इसलिये संविदा पर भर्तियां की जा रही हैं। सरकार सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों का ख्याल रख रही हैं, बाकी लोगों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। अग्निवीर योजना के तहत युवाओं को बहुत कम समय के लिये सेना में नौकरियां दी जा रही हैं। आज हालात ऐसे हैं कि अन्याय के खिलाफ बोलने पर जेल हो जाती है, हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजे जा रहे हैं। सरकार की नीतियों के कारण वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जितने उद्योगपति विदेश चले गये हैं, उतने आजादी के बाद से कभी नहीं गये।
”तृणमूल कांग्रेस की मोइया मित्रा ने सरकार पर हर मोर्चे में विफल रहने और देश के बदहाली की ओर जाने के आरोप लगाया। उन्होंने न्यायमूर्ति लोया की मौत को लेकर विवादास्पद टिप्पणी सदन में की जिस पर भारतीय जनता पार्टी के निशिकांत दुबे में आपत्ति जतायी कि यह मामला उच्चतम न्यायालय द्वारा पूरी तरह से निस्तारित किया जा चुका है और इसमें कुछ भी गलत नहीं पाया गया है। इसके बावजूद सुश्री मोइत्रा गलत आरोप लगा रही है। इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सदस्य को टोका कि उन्हें न्यायपालिका द्वारा निस्तारित मुद्दे पर गैर जिम्मेदार होकर नहीं बोलना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजीजू ने कहा कि उन्होंने सुश्री मोइत्रा ने न्यायमूर्ति लोया का मामला उठाया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के समूह ने इस पर विचार करके स्पष्ट किया है कि यह प्राकृतिक मृत्यु थी।इस मुद्दे पर हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुई। (वार्ता)
संविधान नागरिकों के कल्याण के लिए है, कांग्रेस ने इसे ‘हाईजैक’ कर लिया: राजनाथ