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चार लेन की हों नाथ कॉरिडोर की सड़कें, प्रभावित मंदिरों का हो शास्त्रीय पद्धति से स्थानान्तरण: मुख्यमंत्री

मन्दिरों पर वैदिक लाईब्रेरी का विकास किया जाए तथा वैदिक साहित्यों की डिजिटल फार्म में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए: मुख्यमंत्री .नाथ सर्किट का बनाएं डिजिटल टूरिस्ट मैप, पर्यटकों को होगी सुविधा .सीवेज, ड्रेनेज व ठोस अवशिष्ठों के प्रबन्धन में देशी पद्धतियों को अपनाने पर मुख्यमंत्री का जोर

  • बरेली को विशिष्ट पहचान देगा नाथ कॉरिडोर, अतिरिक्त भूमि की जरूरत हो तो तत्काल खरीदें: मुख्यमंत्री
  • अपनी पहचान को स्थान देना जरूरी तभी होगी वास्तविक समृद्धि: मुख्यमंत्री
  • नाथनगरी बरेली पहुंचे मुख्यमंत्री ने की नाथ कॉरिडोर परियोजना के प्रगति की समीक्षा
  • मुख्यमंत्री का निर्देश, रामगंगा नदी को चैनेलाइज करते हुए रिवर फ्रन्ट विकसित किया जाए

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बरेली में निर्माणाधीन नाथ कॉरिडोर शहर को एक विशिष्ट पहचान देगा।मुख्यमंत्री ने यहां सर्किट हाउस में नाथ कॉरिडोर परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि कोई भी शहर या जनपद जब तक अपनी पहचान को स्थान नहीं देगा तब तक वह समृद्ध नहीं हो सकता है। नाथनगरी बरेली में निर्माणाधीन नाथ कॉरिडोर की सड़कों को चार लेन के बनाया जाये और कॉरिडोर पर स्थित भूमि का व्यवसायिक उपयोग भी किया जाए, जिससे प्राधिकरण व नगर निगम की आय में भी वृद्धि हो।

बुधवार को बरेली दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने यहां सर्किट हाउस में नाथ कॉरिडोर परियोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि कोई भी शहर या जनपद जब तक अपनी पहचान को स्थान नहीं देगा तब तक वह समृद्ध नहीं हो सकता है। इसलिए बरेली की पहचान भगवान शिव को बरेली में विशेष महत्व दिया जाना बहुत आवश्यक है।मुख्यमंत्री  ने कहा कि विकास कार्यों से प्रभावित मंदिर के लोगों के साथ बैठकर आपसी सहमति से मूल मंदिर व उसके मुख्य मन्दिर के अतिरिक्त अन्य मन्दिरों को शास्त्रीय पद्धति से स्थानान्तरित किया जाए, जैसे बनारस में किया गया है और मन्दिर परिसरों को वैदिक पद्धति पर विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि सभी मंदिरों को एक समान प्रकार से वैदिक वास्तुकला के आधार पर विकसित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ कॉरिडोर के विकास के लिए यदि अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता हो तो तत्काल खरीद की जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि मन्दिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं जैसे- पार्किंग, पेयजल, विश्राम हेतु यात्री शेड, अत्याधुनिक प्रकाश व्यवस्था एवं ध्वनि व्यवस्था, जूता स्टैण्ड, शौचालय आदि को मन्दिर की वास्तु कला के अनुसार विकसित किया जाए। रूद्राभिषेक, भण्डारा आदि के लिए भूतल पर हॉल का निर्माण किया जाए तथा धार्मिक अनुष्ठानों एवं कथा कर्मकाण्डों के लिए प्रथम तल पर बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण किया जाए।

मुख्यमंत्री  ने कहा कि मन्दिरों पर वैदिक लाईब्रेरी का विकास किया जाए तथा वैदिक साहित्यों की डिजिटल फार्म में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। प्रसाद एवं पूजन सामग्री की व्यवस्था हेतु एक समान प्रकार की क्योस्क / दुकानों का निर्माण किया जाए। श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्राकृतिक एवं क्रत्रिम जल स्रोतों को भी विकास किया जाए।मंख्यमंत्री द्वारा यह भी निर्देश दिये गए कि शहरी क्षेत्र में नदी, तलाब आदि जल स्रोतों का पुनरुद्धार किया जाए। रामगंगा नदी को चैनेलाइज करते हुए रिवर फ्रन्ट विकसित किया जाए तथा अमृत योजना के तहत रामगंगा नदी के जल का उपयोग शहर में पेय जल के रूप में किया जाए इससे भू-जल सुरक्षित रहेगा तथा लोगों को पर्याप्त पेय जल भी उपलब्ध होगा।

मुख्यमंत्री द्वारा यह भी निर्देश दिए गए कि स्ट्रीट वेण्डरों को अनुशासित करते हुए उनका सुव्यवस्थित पुनर्वास किया जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि नाथ सर्किट का डिजिटल टूरिस्ट मैप भी तैयार कराया जाए, जिससे लोगों को यह पता चल पायेगा कि वह मन्दिरों तक कैसे पहुँच सकते है। कॉरिडोर के विकास में स्थानीय लोगों को प्रमुखता से जोड़ा जाए ताकि वह कॉरिडोर से अपना भावनात्मक लगाव महसूस करें।मुख्यमंत्री  द्वारा इस संबंध में निर्देश दिए गए कि टाउनशिप में सीवेज, ड्रेनेज व ठोस अवशिष्ठों के प्रबन्धन में देशी पद्धतियों का उपयोग किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एसटीपी चलाने के खर्चे बहुत अधिक होते है। यदि देशी मॉडल अपनाये जायेंगे तो खर्चों में बहुत अधिक कमी होगी। यह भी प्रयास किया जाए कि तरल व ठोस अपशिष्टों का शोधन इस रीति से किया जाए तथा उनकी रिसाइक्लिंग इस प्रकार की जाए जिससे कोई भी अपशिष्ट टाउनशिप से बाहर न जाए। गोरखपुर में इस विषय में सफल प्रयास किए गए हैं।मुख्यमंत्री  द्वारा निर्देश दिए गए कि आवासीय टाउनशिप के साथ-साथ विभिन्न औद्योगिक कलस्टर, मेडिसिटी व नॉलेज पार्क भी विकसित किये जाए, जिससे लघु उद्यमियों व सेवा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों को रोजगार भी प्राप्त हो।

समीक्षा बैठक में आयुक्त, बरेली मंडल द्वारा मुख्यमंत्री  को अवगत कराया गया कि नाथ कॉरिडोर परियोजना के अन्तर्गत 7 प्रमुख शिव मन्दिरों को आपस में जोड़ते हुए परिक्रमा मार्ग बनाया जाना प्रस्तावित है। परियोजना के अन्तर्गत मन्दिरों पर विभिन्न प्रकार के विकास कार्य किए जाने हैं। इसके अन्तर्गत, मन्दिर परिसर में अनियोजित तरीके से स्थापित छोटे-छोटे मन्दिरों व अन्य निर्माणों को पुनस्थापित कर मुख्य मन्दिर को प्रमुखता दी जाएगी।बैठक में उपाध्यक्ष, बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा ग्रेटर बरेली आवासीय योजना में व बदांयू रोड पर प्रस्तावित नाथ धाम इन्टीग्रेटेड टाउनशिप के बारे में भी मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया तथा प्राधिकरण द्वारा विगत 05 वर्षों में प्राप्त आय के बारे में अवगत कराया गया।

https://www.youtube.com/watch?v=SHRZMLvv70c

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