‘सत्या फाउण्डेशन’ की मेहनत रंग लाई, दिन में 75 डेसीबल और रात 10 बजते ही पुलिस ने बंद कराया उर्स का लाउडस्पीकर
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन के क्रम में शहर में अधिकाँश स्थानों पर रात 10 बजे लाउडस्पीकर स्विच ऑफ हो जाता है और पुलिस द्वारा आये दिन मुकदमे भी कायम किये जाते हैं मगर अभी भी कुछ जगहों पर, कुछ लोग परंपरा और धर्म की दुहाई देकर लाउडस्पीकर बजाते रहते हैं। वाराणसी के सिगरा थाना अंतर्गत अंधरापुल क्षेत्र में पिछले कई दशकों से हजरत बाबा बिजली शहीद बाबा रहम्तुल्ला अलैय का 3 दिवसीय सालाना उर्स आयोजित होता रहा है। हर साल पूरे 3 दिन यानी 72 घण्टे तक लाउडस्पीकर बजता था और नागरिक खूब परेशान होते थे। इस बार स्थानीय नागरिकों ने ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था “सत्या फाउण्डेशन” के हेल्पलाइन नंबर 9212735622 पर फोन करके सहायता माँगी और बताया कि उर्स के संचालक प्रशासन से ‘लिखित अनुमति’ लेने का दावा करते हैं और परंपरा की आड़ में जोरदार ध्वनि प्रदूषण करते हैं। “सत्या फाउण्डेशन” के सचिव चेतन उपाध्याय ने पूरी कानूनी जानकारी देकर नागरिकों का हौसला बढ़ाया और कहा कि दिन में भी, ध्वनि के स्रोत से 1 मीटर की दूरी पर अधिकतम 75 डेसीबल की आवाज में ही स्पीकर बजाया जा सकता है और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच स्पीकर को स्विच आफ करना आयोजकों की जिम्मेदारी है। किसी भी स्मार्ट फोन में गूगल प्ले स्टोर से साउंड लेवल मीटर को डाउनलोड किया जा सकता है। और आजकल की नई व्यवस्था में जिला प्रशासन द्वारा जारी अनुमति में यह साफ़-साफ़ लिखा होता है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर को पूरी तरह (100%) स्विच ऑफ रखा जाएगा। इस पूरी जानकारी से लैस होने के बाद नागरिकों ने वाराणसी के सिगरा थानाध्यक्ष श्री आशुतोष कुमार ओझा को लिखित शिकायती पत्र दिया। पुलिस ने शिकायती पत्र पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर एक सब इंस्पेक्टर (पुलिस उपनिरीक्षक) और 2 कांस्टेबलों को दिन में ही भेजकर साउंड लेवल को कम करा दिया और रात 10 बजते ही लाउडस्पीकर को पूरी तरह स्विच ऑफ करवा दिया। बाकी 2 दिनों के लिए भी पुलिस ने कड़ाई से ताकीद की कि दिन में अधिकतम 75 डेसीबल और रात 10 बजते ही लाउडस्पीकर को स्विच ऑफ करना पड़ेगा। पुलिस की निष्पक्ष और जोरदार कार्रवाई से स्थानीय जनता में हर्ष की लहर है।