State

बंगाल सरकार और आंदोलनरत डॉक्टरों के बीच वार्ता विफल,ममता ने काम पर लौटने का किया आग्रह

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार और आंदोलनकारी डॉक्टरों के बीच गुरुवार को वार्ता विफल होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आंदोलनरत डॉक्टरों को शीर्ष न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उनसे काम पर लौटने की अपील की।करीब दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और शाम करीब 19.00 बजे राज्य सचिवालय से चली गयी। सुश्री बनर्जी ने कहा , “हम आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ बहुत सहानुभूति रखते हैं, क्योंकि हम तिलोत्तोमा के लिए न्याय चाहते हैं, लेकिन साथ ही हम आम लोगों के प्रति जवाबदेह हैं, जो एक महीने से अधिक समय से इलाज न मिलने के कारण परेशानी का सामना कर रहे हैं।”

उन्होंने दावा किया कि हडताल की वजह से अब तक 27 लोग अपनी जान गवा बैठे हैं और 07 लाख से ज़्यादा लोग इलाज से वंचित हैं तथा 1500 से ज़्यादा मरीज़ ऑपरेशन के इंतज़ार में हैं।उन्होंने कहा कि तीन-चार जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर बाकी सभी सरकार से बात करना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ डॉक्टर दूसरी ताकतों के इशारे पर काम कर रहे हैं, जो ‘कुर्सी’ चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हम अपने डॉक्टरों के बीच भाई-बहनों से मिलने के लिए दो घंटे से इंतजार कर रहे हैं। हमने उन्हें पत्र लिखा था और उन्होंने कहा था कि वे आयेंगे, इसलिए हमने ये व्यवस्था की। मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव… सभी यहां हैं। मैंने उनके आने के लिए दो दिन तक इंतजार किया। हम उनकी भावना का सम्मान करते हैं और उन्हें माफ करते हैं और उनसे फिर से काम पर लौटने की अपील करते हैं क्योंकि सरकार राज्य के लोगों के प्रति जवाबदेह है।

”मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं ईएसएमए (आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम) और अन्य दमनकारी उपायों को लागू करने में विश्वास नहीं करती। हममें मानवता है और हम डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील करते हैं क्योंकि वे (बीमारों के लिए) भगवान हैं।”डॉक्टरों ने हालांकि मुख्यमंत्री के आरोपों से इनकार किया है। चौंतीस जूनियर डॉक्टर राज्य सचिवालय के प्रवेशद्वार पर आये और प्रवेश के लिए रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए, लेकिन राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत और पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि बैठक की वीडियोग्राफी और दस्तावेज़ीकरण किया जा सकता है, लेकिन इसका सीधा प्रसारण नहीं किया जा सकता, उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने से इनकार कर दिया।इससे पहले, पंत और श्री कुमार ने समझाया कि इस तरह की बैठक का सीधा प्रसारण नहीं किया जा सकता है, जैसा कि चिकित्सकों ने मांग की थी और कहा कि हर चीज की एक सीमा होती है। श्री पंत ने कहा, “हमने दोपहर में डॉक्टरों को ईमेल किया और वे आये। हमने सभी 34 डॉक्टरों को बैठक में शामिल होने की अनुमति दी। लेकिन उन्होंने लाइव-स्ट्रीमिंग की मांग की।हमने कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। हमने कहा है कि हम इसे रिकॉर्ड करेंगे।

”श्री कुमार ने कहा कि बैठक को लाइव-स्ट्रीम करने की डॉक्टरों की मांग को अनुचित बताया और कहा कि किसी भी औपचारिक बैठक का कभी भी लाइव प्रसारण नहीं किया जाता है। हमें (भी) संख्या से कोई समस्या नहीं है और हमने सभी 34 को उनके अनुरोध के अनुसार उपस्थित होने की अनुमति दी।मुख्यमंत्री के सचिवालय से जाने के बाद बस में आए डॉक्टरों ने आधे घंटे तक और इंतजार किया और फिर स्वास्थ्य भवन (राज्य स्वास्थ्य विभाग का मुख्यालय) के लिए रवाना हो गये। वे स्वास्थ्य भवन के बाहर पिछले तीन दिनों से अपनी मांगों के समर्थन में सड़कों पर रातें बिता रहे हैं। डॉक्टरों की मांगों में राज्य के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव और उनके दो अधीनस्थों तथा उत्तर एवं और मध्य कोलकाता के दो पुलिस उपायुक्तों का इस्तीफा, प्रशिक्षु डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या में शामिल लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा शामिल है।

इस बीच डॉक्टरों का हडताल आज 35वें दिन में प्रवेश कर गया है। धरने पर लौटने से पहले चिकित्सकों ने पत्रकारों से बातचीत में आश्चर्य जताया कि अगर शीर्ष न्यायालय महिला चिकित्सक के दुष्कर्म और हत्या पर अपनी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दे सकता है तो यहां बैठक के दौरान लाइव प्रसारण में क्या समस्या है।

इस्तीफा देने के लिए तैयार 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्होंने दावा किया कि कुछ ताकतें उनकी ‘मां माटी मानुस’ सरकार को बदनाम करने के लिए प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को उकसा रही हैं।सुश्री बनर्जी ने यह भी कहा कि वे सोशल मीडिया पर “विकृत जानकारी” पेश करके कुर्सी (सत्ता की सीट) के पीछे थे।मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी उनकी सरकार द्वारा चिकित्सकों के साथ बातचीत करने की तीसरी कोशिश विफल होने के बाद आई है। यहां तक ​​कि आंदोलनकारी डॉक्टर नबन्ना के सामने आए लेकिन बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि प्रशासन ने बातचीत के सीधे प्रसारण की उनकी मांग को मानने से इनकार कर दिया था।

उन्होंने डाक्टरों के साथ प्रस्तावित वार्ता विफल रहने के बाद एक मीडिया सम्मेलन में कहा “लोगों के हित में मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। मुझे मुख्यमंत्री का पद नहीं चाहिए। मैं तिलोत्तमा के लिए न्याय चाहती हूं और मैं चाहती हूं कि आम लोगों को इलाज मिले।”सुश्री बनर्जी ने कहा कि सरकार को जूनियर डॉक्टरों से सहानुभूति है और उन्होंने “तिलोत्तोमा” (वह नाम जिससे वह म़तक महिला डॉक्टर को बुलाती थीं) को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर मार्च भी किया। हालाँकि उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बैठक की सीधे प्रसारण की अनुमति नहीं दे सकती क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

उन्होंने डॉक्टरों से काम पर लौटने की भी अपील की और कहा कि उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय के सोमवार के आदेश के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है। अगर जूनियर डॉक्टर मंगलवार 10 सितंबर तक ड्यूटी पर नहीं आते हैं तो राज्य प्रशासन कदम उठा सकती है।(वार्ता)

Website Design Services Website Design Services - Infotech Evolution
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Graphic Design & Advertisement Design
Back to top button