
दिल्ली में इंडोर वायु गुणवत्ता को लेकर IIT दिल्ली का सर्वे, स्कूल-कॉलेजों में PM-10 और PM-2.5 का स्तर सबसे अधिक
क्या आप जानते हैं कि जिस हवा में आप सांस ले रहे उसकी गुणवत्ता क्या है? दरअसल, बेहद कम लोग होंगे जिनका इस ओर ध्यान जाता है। यह बात सही है कि लोग अपने दैनिक जीवन में करीब 90 फीसदी वक्त इंडोर माहौल में बिताते हैं। चाहे वह घर हो या दफ्तर या फिर स्कूल, कॉलेज हो या शॉपिंग माल और रेस्टोरेंट। ऐसे में लोग यह मानकर चलते हैं कि प्रदूषण का असर ज्यादा नहीं होता। लेकिन हमारे लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि इंडोर वातावरण की जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं उसकी गुणवत्ता क्या है। जी हां, यदि इंडोर वायु की गुणवत्ता खराब है और हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा अधिक है तो इसका गंभीर प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
गौरतलब हो आई.आई.टी दिल्ली की ओर से राजधानी दिल्ली विभिन्न भवनों में कराए गए इंडोर एयर क्वालिटी सर्वे में इंडोर प्रदूषण को लेकर चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक भवनों के अंदर प्रदूषक तत्वों की मात्रा सीपीसीबी द्वारा तय मानक से दो से पांच गुना अधिक और डब्ल्यूएचओ द्वारा तय मानक से 10 से 15 गुना अधिक पाई गई है। साथ ही स्कूल और कॉलेजों में पीएम 10 और पीएम 2.5 तत्वों की मात्रा सबसे अधिक पाई गई है।
पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा तय मानक से 2 से 5 गुना अधिक
आई.आई.टी. दिल्ली की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न भवनों में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा तय मानक से 2 से 5 गुना अधिक पाई गई है। जबकि स्कूल और कॉलेज भवनों में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा तय मानक से 8 गुना तक अधिक पाई गई है। इसके अलावा अस्पताल, कॉलेजों, दफ्तरों और रेस्टोरेंट में कार्बन डाइ ऑक्साइड का स्तर काफी अधिक पाया गया है।
दिल्ली के 37 भवनों में अक्टूबर 2019 से जनवरी 2020 के बीच हुआ सर्वे
दिल्ली के 37 भवनों में अक्टूबर 2019 से जनवरी 2020 के दौरान यह सर्वे किया गया। इनमें आवासीय भवनों के अलावा स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट, दफ्तर और सिनेमा हॉल शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि हर जगह प्रदूषण का स्तर तय मानक से अधिक पाया गया। आई.आई.टी. दिल्ली के प्रोफेसर साग्निक डे कहते हैं कि सिनेमा हॉल और शॉपिंग मॉल में भी बहुत प्रदूषण है। चिंता की बात यह है कि ऐसी जगहों पर बहुत ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। फिलहाल कोरोना की वजह से लोग इतना इकट्ठा नहीं हो रहे लेकिन आने वाले समय के लिए यह चिंता का विषय है।
इंडोर वायु प्रदूषण का लोगों की सेहत पर पड़ सकता है असर
आमतौर पर ये माना जाता है कि घर में या इंडोर रहने पर बाहर के मुकाबले प्रदूषण का खतरा कम रहता है। लेकिन आई.आई.टी दिल्ली के सर्वे में ये बात गलत साबित हुई है। इस सर्वे के आधार पर इंडोर वायु प्रदूषण के मानक तय कर लोगों की सेहत पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सकता है।