
छोटी जोत की बहू बनी “कृषि सखी”:वाराणसी की सुमन देवी ने बदल दी हजारों महिलाओं की जिंदगी
- मिशन शक्ति: सालाना लाखों की कमाई करने वाली कृषि सखी सुमन देवी बनीं हजारों महिलाओं की प्रेरणा
लखनऊ। कभी छोटी जोत के किसान परिवार की बहू रही सुमन देवी आज पूरे वाराणसी में “कृषि सखी” के नाम से जानी जाती हैं। मिशन शक्ति के जरिए वह नारी सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन की नई कहानी लिख रही हैं। वाराणसी जिले के सेवापुरी ब्लाक के मडैया गांव की रहने वाली सुमन देवी ने योगी सरकार के सहयोग से न सिर्फ अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दी है, बल्कि हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नई राह दिखाई है।
ढाई एकड़ से तीन लाख रुपये प्रति सीजन की कमाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार किसानों को मोटे अनाजों के लिए बीज और तकनीकी सहायता उपलब्ध करा रही है। इसी पहल से प्रेरित होकर सुमन देवी ने 2019 में खेती का तरीका बदला और प्राकृतिक खेती का रास्ता चुना। उन्होंने ढाई एकड़ खेत में मक्का, बाजरा और राई जैसे मोटे अनाज की खेती शुरू की। सरकार का सहयोग मिला, जिससे लागत कम और मुनाफा कहीं ज्यादा रहा। नतीजा यह हुआ कि सुमन देवी अब हर सीजन में तीन लाख रुपये से अधिक की आमदनी कर रही हैं। सुमन देवी गर्व से कहती हैं—“योगी सरकार की सहायता और योजनाओं ने मेरी जिंदगी बदल दी। पहले सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी कम जमीन से इतनी बड़ी आमदनी होगी।”
महिलाओं का मजबूत नेटवर्क बना
सुमन देवी की सफलता ने आसपास की ग्रामीण महिलाओं को नई दिशा दी। आज 5000 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनके साथ जुड़ चुकी हैं। ये महिलाएं अपने अनाज और सब्जियां सुमन देवी के नेटवर्क के जरिए बेचती हैं। पैकेजिंग, प्रसंस्करण और बाजार तक पहुंचाने का काम भी सामूहिक रूप से किया जाता है। इस मॉडल ने महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामूहिक उद्यमिता का रास्ता भी दिखाया है।
“मल्टीग्रेन आटा” से मिली नई पहचान
सुमन देवी ने अपने गांव में ही चक्की यूनिट स्थापित की है। यहां मोटे अनाजों की पिसाई कर *मल्टीग्रेन आटा* तैयार किया जाता है। स्थानीय बाजार में तो यह आटा तुरंत बिक जाता है, वहीं पैकेजिंग के जरिए दूर-दराज के ग्राहक भी इसे पसंद कर रहे हैं। सुमन देवी बताती हैं—“मल्टीग्रेन आटे की मांग इतनी ज्यादा है कि हर सीजन में हमारी खेती की जोत कम पड़ जाती है। अनाज कटते ही तुरंत बिक जाता है।”
खेती के साथ गो-पालन और सब्जी उत्पादन भी
सुमन देवी केवल मोटे अनाज तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने गो-पालन से दूध और दुग्ध उत्पादों की आय का साधन बनाया है। इसके साथ ही उन्होंने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ प्राकृतिक सब्जी उत्पादन भी शुरू किया है। इस मिश्रित मॉडल से न सिर्फ नियमित आय हो रही है, बल्कि ग्रामीण समाज को संदेश भी मिल रहा है— “स्वस्थ भोजन, स्वच्छ खेती।”
परिवार से मिली ताकत, समाज के लिए बनी प्रेरणा
सुमन देवी के परिवार में उनकी सास, पति और दो बच्चे रहते हैं। उनके पति धर्मेंद्र सिंह पंचायत भवन में कर्मचारी हैं और खेती में भी हाथ बंटाते हैं। पूरे परिवार ने मिलकर खेती को आजीविका का मजबूत आधार बना दिया है।सुमन देवी भावुक होकर कहती हैं— “योगी सरकार की योजनाओं ने मुझे हिम्मत दी। आज मैं न सिर्फ अपने परिवार का अच्छे से पालन-पोषण कर रही हूं, बल्कि गांव की हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखा रही हूं।”
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