भारत और पाकिस्तान के कुछ लोग नहीं चाहते जम्मूू-कश्मीर में शांति: फारूक अब्दुल्ला
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को आरोप लगाया कि भारत और पाकिस्तान में कुछ लोग हैं जो जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं चाहते हैं।श्री फारूक ने सोमवार को श्रीनगर में मीडिया से कहा, “ मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर में हिंसा जारी रहने से उनकी खिचड़ी पकती है।
”जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों देशों में ऐसे लोग हैं जो जम्मू-कश्मीर में शांति नहीं देखना चाहते हैं।उन्होंने कहा, “ लोग शांति से रहना चाहते हैं और इसे कायम रखने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। स्थिति बिगड़ने पर जम्मू संभाग की पर्वतीय श्रृंखला में स्थिति से निपटने के लिए 7000 से अधिक सैनिकों को बुलाया गया है।”उन्होंने कहा कि हम कितना भी चिल्लाएं, कुछ नहीं होगा।
कांवड़ यात्रा और मुस्लिम ढाबा मालिकों के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर श्री फारूक ने कहा, “ मैं समझता हूं कि यह आदेश बिल्कुल गलत है। यात्रा पहले भी शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी। क्या यह बताना जरूरी था कि यह ढाबा मुसलमानों का है? वे किस नफरत के दम पर आगे बढ़ रहे हैं? मैंने कभी इस तरह के आदेश जारी होते नहीं देखे। वे हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मुझे यकीन है कि वे अपने नापाक इरादों में सफल नहीं होंगे।
श्री फारूक ने कहा कि पिछले चुनावों ने दिखा दिया कि वे ऐसे चुनाव हार गए, जिनके बारे में उन्हें यकीन नहीं था। वे अयोध्या में चुनाव हार गए, जहां हिंदू और मुसलमान साथ रहते थे और उत्तराखंड में जहां बद्रीनाथ का मंदिर है।श्री फारूक ने कहा, “कांवड़ यात्रा के लिए जारी किए गए आदेश संकेत देते हैं कि वे देश के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत फैलाना चाहते हैं।”उन्होंने कहा “ भारत प्रेम और भाईचारे के साथ आगे बढ़ेगा और हमें इसके भीतर रहना होगा। मैं उत्तर प्रदेश सरकार से ऐसे आदेश वापस लेने और नफरत न फैलाने का आग्रह करता हूं।
”यह पूछे जाने पर कि क्या जम्मू की स्थिति का आगामी विधानसभा चुनावों पर कोई प्रभाव पड़ेगा, श्री फारूक ने कहा, “हमने 1996 में भारी आतंकवाद के बीच चुनाव कराए थे और हमने सरकार बनाई और छह साल तक बड़ी सफलता के साथ सरकार चलाई।आज स्थिति उतनी खराब नहीं है। अगर वे चुनाव स्थगित करते हैं तो यह उनकी कमजोरी होगी और इससे शांति के उनके बड़े-बड़े दावों की पोल खुल जाएगी क्योंकि भाजपा सहित सभी दल जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए तैयार हैं।”(वार्ता)