
क्रिकेटरों के ट्वीट से नहीं सुधरेगी भारत की छवि : शशि थरूर ,सचिन-कोहली का ट्वीट थरूर को नहीं आया रास
नई दिल्ली । भारत में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना और अन्य इंटरनेशनल सेलेब्रिटीज के बयान पर विवाद जारी है। ग्लोबल सेलेब्रिटीज को जवाब देने के लिए भारत में #IndiaTogether ट्रेंड चलाया गया। इस ट्रेंड के साथ भारतीय फिल्मी कलाकारों से लेकर क्रिकेटरों तक ने ट्वीट किया। यहां तक की भारतीय क्रिकेट कैप्टन विराट कोहली और महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी इस हैशटैग के साथ ट्वीट किया। भारतीय सेलेब्रिटीज ने ट्वीट कर बताया कि किसान आंदोलन भारत का आंतरिक मामला है और इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। इस पूरे मामले पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कहा है कि भारत की वैश्विक छवि को जो नुकसान पहुंचा है, उसकी भरपाई क्रिकेटरों के ट्वीट से नहीं होगी।
ट्वीट में शशि थरूर ने लिखा, “भारत सरकार के लिए इंडियन सेलेब्रिटीज से वेस्टर्न हस्तियों पर पलटवार कराना शर्मनाक है। भारत सरकार के अड़ियल और अलोकतांत्रितक रवैये से भारत की वैश्विक छवि को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई क्रिकेटरों के ट्वीट से नहीं की जा सकती है। इसलिए कानून वापस लीजिए और समाधान पर किसानों के साथ चर्चा कीजिए। तभी आप #IndiaTogether पाएंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिंदबरम ने भी इस पूरे मामले पर मोदी सरकार की आलोचना की। पी चिंदबरम ने ट्वीट कर लिखा, “अच्छा है कि रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग विदेश मंत्रालय (MEA) को जगा सकती हैं। विदेश मंत्रालय, आप इस बात को कब महसूस करेंगे मानव अधिकारों और आजीविका के मुद्दों से संबंधित लोग राष्ट्रीय सीमाओं को नहीं पहचानते हैं?“
एक अन्य ट्वीट में पी चिंदबरम ने सवाल किया, “विदेश मंत्रालय ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर टिप्पणी क्यों की? यह विदेश मंत्रालय के लिए बेहद चिंता का विषय क्यों था?, विदेश मंत्रालय श्रीलंका और नेपाल के `आंतरिक` मामलों पर नियमित रूप से टिप्पणी क्यों करता है? पी चिंदबरम ने कहा कि उन्हें इस बात की हैरानी है कि एस जयशंकर (विदेश मंत्री) जैसे विद्वान व्यक्ति विदेश मंत्रालय द्वारा ऐसी `बचाकानी प्रतिक्रिया` देने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। असल में किसान आंदोलन के समर्थन में रिहाना और अन्य इंटरनेशनल सेलेब्रिटीज के बयान आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था, किसानों का मामला भारत का आंतरिक मसला है। ऐसे ही किसी भी बाहरी व्यक्ति या संस्था को इसपर बयानबाजी करने से बचना चाहिए।