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पुलिस की छवि बदलने का करना चाहिए प्रयास : शाह

भोपाल : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि दुर्भाग्य से देश में फिल्मों को सफल बनाने के लिए कई लोगों ने पुलिस की छवि गलत तरीके से पेश की और हमें अब पुलिस की छवि बदलने का प्रयास करना चाहिए।श्री शाह ने आज यहां 261 करोड़ 69 लाख रुपए की लागत वाले 1304 पुलिस आवासीय भवनों और 67 करोड़ 91 लाख की लागत वाले 54 प्रशासकीय भवनों का लोकार्पण किया। साथ ही 34 करोड़ 68 लाख की लागत के 168 आवसीय भवनों और 51 करोड़ 12 लाख की लागत वाले 54 प्रशासकीय भवनों का शिलान्यास भी किया। उन्होंने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के परिसर का भूमिपूजन भी किया।

इस दौरान उन्होंने पुलिसकर्मियों के कल्याण की दिशा में प्रदेश सरकार की ओर से किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जवानों के परिवारों की चिंता कर रही है। साथ ही फॉरेंसिक साइंस विश्वविद्यालय की दिशा में काम करने के बाद मध्यप्रदेश के जो बच्चे इस क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, उन्हें अब कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा।गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से 60 के दशक के बाद देश में पुलिस को देखने का नजरिया बदला। फिल्मों को सफल बनाने कई लोगों ने पुलिस की छवि गलत पेश की। उन्होंने कहा कि अब वे देश भर की पुलिस को देख रहे हैं, ये एकमात्र ऐसा बल है, जिसकी नौकरी का कोई समय नहीं और जिनकी कोई छुट्टी नहीं। पुलिसकर्मी कोई त्योहार भी आम लोगों की तरह नहीं मना पाते।उन्होंने कहा कि पुलिस बल की कर्मठता के चलते ही पूर्वोत्तर और कश्मीर में शांति का दौर आया है। पुलिस की छवि को हमें बदलने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें यश और पुरस्कार दोनों मिलना चाहिए।

श्री शाह ने इस दौरान प्रदेश सरकार की भी प्रशंसा करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने व्यवस्थाओं में आमूलचूल परिवर्तन किया है। आज ‘शिवराज-नरोत्तम’ के नेतृत्व में सरकार ने नक्सलवाद को बाहर झोंक दिया है। कांग्रेस के शासन में मालवा का क्षेत्र सिमी का गढ़ था। आज सरकार ने सिमी को वहां से उखाड़ दिया है।इसी दौरान उन्होंने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के परिसर के भूमिपूजन का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ साल बाद कई देशों के विद्यार्थी यहां पढ़ने आएंगे।उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय ने 12-13 साल में बहुत ख्याति पाई है। आज 70 देशों के बच्चे वहां पढ़ने आते हैं। उन्होंने कहा कि बतौर गृह मंत्री वे हर धारा को आज की जरूरत के हिसाब से बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।अब थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है, पर अपराधों की रोकथाम भी करनी थी, इसलिए वैज्ञानिक एविडेंस लाना जरूरी है। ऐसे में विचार आया कि छह साल से ज्यादा की सजा वाले अपराधों में फॉरेंसिक टीम का दौरा आवश्यक किया जाए, लेकिन प्रयोगशाला और विशेषज्ञों की कमी है।

इसी से विचार आया कि गुजरात फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी को नेशनल बना दें और कई राज्यों में इसका परिसर खाेलें। आज पांचवां परिसर चालू हो रहा है। मणिपुर, आसाम और कर्नाटक में इसका परिसर बनाने का निर्णय हो चुका है। अभी राजस्थान और चंडीगढ़ के लिए बातचीत जारी है।(वार्ता)

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