
साथी बना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों सहारा
रोज औसतन आ रही हैं करीब 2500 इन्क्वायरी, सर्वाधिक सवाल बैंक और पूंजी से संबंधित
गिरीश पांडेय
लखनऊ | सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग द्वारा जारी एप साथी उद्यमियों को नया सहारा बना है। 14 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर इसे लांच किया। लांच होने के साथ यह संबंधित सेक्टर के उद्यमियों में हिट हो गया। औसतन हर रोज इस पर उद्यमियों की करीब 2500 इन्क्वारीज आ रही हैं। पूछताछ करने वालों में सर्वाधिक संख्या बैंक और पूंजी के संबंध में है। इसके बाद अनुमति, अनापत्ति प्रमाणपत्र एनओसी, श्रमिक, बकाया भुगतान, जीएसटी और अन्य करों का रिफंड, बकाया भुगतान, कच्चे माल की कमी या अनुपलब्धता और निर्यात आदि से संबंधित है। वैसे तो ये समस्याएं हर जिलों से आ रहीं हैं, पर लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर, कानपुर नगर ,वाराणसी, बरेली, गोरखपुर और अलीगढ़ जैसे जिले जहां ऐसी इकाईयां सर्वाधिक हैं, पूछताछ भी वहीं से सर्वाधिक हो रही है।
मालूम हो कि उप्र में कुटीर उद्योगों की बेहद संपन्न परंपरा रही है। यही वजह है कि हर जिले के कुछ खास उत्पाद रहे हैं। इनसे जुड़ी इकाईयां एमएसएमई की श्रेणी में ही आते हैं। करीब 20 जिले (वाराणसी, लखनऊ, मुरादाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, फिरोजाबाद, आगरा और कानपुर, सिद्धार्थनगर आदि) तो ऐसे हैं जिनके उत्पाद खुद में ब्रांड हैं। इनके समेत अन्य जिलों के खास उत्पादों को गुणवत्ता और दाम में बाजार में प्रतिस्पद्र्धी बनाने के लिए सरकार ने करीब ढ़ाई साल पहले एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना लांच की। मंशा थी कि इन इकाईयों के जरिए स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिले। उप्र के उत्पाद देश और दुनिया में ब्रांड उप्र के नाम से जाने जाएं।
मददगार है साथी – नवनीत सहगल-प्रमुख सचिव एमएसएमई
लांचिंग के करीब 10 दिन बाद ही साथी की उपयोगिता साबित होने लगी है। इसमें आने वाली समस्याओं के लिए विभागवार नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये हैं। आने के साथ ही समस्याएं उनको भेज दी जाती हैं। उनके हल के लिए उनके द्वारा क्या किया जा रहा है, उसकी शासन स्तर से लगातार निगरानी की जाती है। मसलन अगर किसी उद्यमी की बैंक से समस्या है तो हम बैंक से बात करते हैं। सरकार पर देनदारी हो या जीएसटी का रिफंड या अन्य समस्या सबके हल में यह साथी से मदद मिल रही है।
इस बीच कोरोना के संकट के कारण लॉकडाउन हुआ तो लाखों की संख्यामें प्रदेश के प्रवासी श्रमिक और कामगार अपने घर लौट आए। लौटने वालों में अधिकांश की किसी ने किसी हुनर में दक्षता है। सरकार ने खुद के लिए इसे अवसर माना और प्रवासी श्रमिकों के हुनर के जरिए प्रदेश को देश का मैन्यूफैक्चिरिंग हब बनाने को प्रतिबद्ध है। ऐसा तभी होगा जब इस श्रेणी के उद्यमियों की समस्याओं को सुनकर उनका हल किया जाय। सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत भी है। पूंजी की सबसे प्रमुख समस्या के हल के लिए अभी पिछले दिनों सरकार ने एक ऑनलाइन लोन मेला आयोजित किया था। इसमें करीब 5700 उद्यमियों को दो हजार करोड़ से अधिक का लोन दिया गया था। जून, जुलाई और अगस्त के पहले हफ्ते में भी इसी तरह के बड़े मेले आयोजित किए जाएंगे। अनुमान है कि इनमें आठ से नौ लाख उद्यमियों की पूंजी की समस्या का हल हो जाएगा। एप को लांच करने का मकसद भी उद्यमियों की समस्याओं को यथाशीघ्र हल करना है। ताकि वे सरकार की मंशा के अनुरूप उप्र को देश का मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने में अपना योगदान दे सकें।