नागपुर । स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर तिरंगे को ले कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे मे भ्रम फैलाने वालों को सोशल मीडिया में एक वायरल वीडियो के माध्यम से करारा जवाब मिल रहा है। दरअसल, सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने 17 सितम्बर, 2018 को दिल्ली के विज्ञान भवन में तिरंगे को ले कर विचार रखे थे। अब वही वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसके चलते आलोचकों को बगले झांकना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 52 वर्षों तक अपने मुख्यालय पर तिरंगा नही लहराया था, इस प्रकार का दुष्प्रचार कांग्रेस और वामपंथियों द्वारा प्राय: किया जाता है। नतीजतन, कई बार लोगों में भ्रम का माहौल बन जाता है। पिछले एक सप्ताह से सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के 17 सितम्बर, 2018 के भाषण की क्लिप सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। इसके माध्यम से विरोधियों के दुष्प्रचार की हवा निकल गई है। साथ ही युवा पीढ़ी को संघ के बारे में सच्चाई भी पता चल रही है। तिरंगा और संघ को लेकर भ्रम फैलाने के मामले में अब से करीब चार साल पहले सरसंघचालक ने कहा था कि संघ तिरंगे के जन्म से ही उसका सम्मान करता है।
बतौर सरसंघचालक फैजपुर के कांग्रेस अधिवेशन में 80 फीट उंचा तिरंगा लगाया गया था। उस वक्त तिरंगे पर अशोक चक्र की जगह चरखे की छवि हुआ करती थी। पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुए फैजपुर कांग्रेस अधिवेशन मे झंडा फहराते वक्त बीच मे ही लटक गया था। वहां मौजूद लोग यह सब देख ही रहे थे कि अचानक एक युवक भीड़ से बाहर निकला और 80 फीट उंचे खम्भे पर चढ़ गया। रस्सी की गुत्थी सुलझा कर उस युवक ने झंडे को सही तरीके से लहरा दिया। पं. नेहरू ने उस युवक की पीठ थपथपाई। कांग्रेस उस युवक का उचित सम्मान करना चाहती थी लेकिन बाद में पता चला कि किशन सिंह राजपूत नामक वह युवक संघ का स्वयंसेवक है, जो प्रतिदिन शाखा में जाता है। इसकी वजह से कांग्रेस ने उसके अभिनंदन की योजना खारिज कर दी।
डॉ. भागवत ने बताया कि किशन सिंह राजपूत के बारे मे जब डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को पता चला तो वह राजपूत से मिलने जलगांव पहुंचे। डॉ. हेडगेवार ने तिरंगे का सम्मान करने के लिए किशन सिंह राजपूत को चांदी का लोटा उपहार दिया था। डॉ. भागवत ने यह भी बताया कि 1931 में लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित करने के बाद संघ की शाखाओं में स्वयंसेवकों ने तिरंगे झंडे के साथ पथ संचलन निकाला था। साथ ही अभिनंदन का प्रस्ताव भी पारित किया था। डॉ. भागवत ने बताया कि संघ के स्वयंसेवक स्वतंत्रता के सभी प्रतीकों के लिए सम्मान का भाव रखते हैं और समर्पित भी हैं।
वीडियो के जरिए पता चली सच्चाई
डॉ. मोहन भागवत का 17 सितम्बर, 2018 का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर वायरल हो रहा है। इसके चलते देश के युवा सच्चाई से रूबरू हो रहे हैं। इस वीडियो के बारे में अपनी राय रखते हुए इंजीनियरिंग के कुछ छात्रों ने बताया कि टीवी डिबेट मे संघ पर लगे आरोपों को हम सच मान रहे थे लेकिन डॉ. भागवत का 4 साल पुराना वीडियो सामने आने के बाद हमे संघ और संघ के राष्ट्रवाद के बारे में ठोस जानकारी मिल रही है। छात्रों ने कहा कि संघ की स्थापना कांग्रेस के बड़े नेता रहे डॉ. हेडगेवार ने की थी। बतौर छात्र संघ कांग्रेस से अलग हुए राष्ट्रवादी विचारों के लोगों का संगठन है। इसके बावजूद कांग्रेस में अपने लोगों के विचारों और कार्यों की कद्र नहीं है।(हि.स.)