नयी दिल्ली : राज्यसभा में पिछले दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे तथा इसी हंगामे के बीच सदन चलाने पर अड़े सत्ता पक्ष के मध्य सोमवार को ‘‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’’ का नजारा देखने को मिला।
विपक्ष के हंगामे के कारण एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब बैठक फिर शुरू हुई तो उप सभापति हरिवंश ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का नाम पुकारा। इसी बीच आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के कई सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गये।
विधेयक को चर्चा के लिए पेश करने के बाद निशंक ने इसके बारे में सदन को जानकारी देना शुरू किया। हंगामे के बीच मानव संसाधन विकास मंत्री ने जब अपनी बात को जारी रखा तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश को सत्ता पक्ष के कई सदस्यों से बात करते हुए देखा गया। रमेश को सदन के नेता थावरचंद गहलोत, केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल से बात करते हुए निशंक की ओर इशारा करते हुए देखा गया।
इस बीच, सत्ता पक्ष की सबसे अग्रिम पंक्ति में जहां निशंक अपनी बात रख रहे थे, उनके सामने विपक्ष के कई सदस्यों ने आकर नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि इसके बावजूद निशंक ने अपनी बात को जारी रखा।
इसके बाद गहलोत एवं अन्य केन्द्रीय मंत्रियों द्वारा किये गये संकेत का पालन करते हुए निशंक अपने कागजात लेकर पहली पंक्ति से तीसरी पंक्ति में आ गये और उन्होंने वहां से अपनी बात पूरी की। इस प्रकार निशंक विधेयक पर हंगामे के बीच करीब 15 मिनट तक लगातार बोलते रहे।
उनके बाद भाजपा के सत्यनारायण जटिया हंगामे के बीच ही बोले और फिर उपसभापति ने दोपहर करीब ढाई बजे बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।