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लोकसभा में लगे रेल मंत्री हाय हाय के नारे, वैष्णव का धैर्य टूटा

नयी दिल्ली : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का लोकसभा में आज अलग रंग दिखायी दिया। अति विनम्र स्वभाव और मुस्कान भरे चेहरे के लिए पहचाने जाने वाले श्री वैष्णव का रेलवे को लेकर विपक्ष की कथित ट्रोल आर्मी एवं विपक्षी सदस्यों के आरोपों से कुपित होकर धैर्य टूट गया और उन्होंने जिस आक्रामक अंदाज में विपक्षी सदस्यों की टाेकाटाकी का प्रतिवाद किया उससे विपक्ष आसन के समक्ष आ गया और रेल मंत्री हाय हाय के नारे लगाये।लोकसभा में तीन दिन तक बजट में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्री वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में कहा था कि देश के अभियंताओं में इतनी क्षमता और बुद्धिमत्ता है कि वे सर्वोत्तम तकनीक और प्रौद्योगिकी का आविष्कार कर सकते हैं। श्री मोदी के दूरदर्शिता के अनुरूप अब रेलवे में हर क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का रेलवे की नीतियों और संचालन में पूरा ध्यान गरीब और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखा जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रेलवे आम आदमी की सवारी है और पिछले 10 वर्षों में यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं कि मध्यम वर्ग और आकांक्षी मध्यम वर्ग इसकी सेवाएं ले सकें। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्लीपर और गैर-एसी कोचों सहित सामान्य कोचों का एसी कोचों से अनुपात लगभग 2:1 है। यानी ट्रेनों में दो तिहाई गैर वातनुकूलित और एक तिहाई वातानुकूलित कोच हैं। ट्रेनों में गैर वातानुकूलित कोच बढ़ाये जा रहे हैं। दस हजार गैर वातानुकूलित कोचों के निर्माण का काम हाथ में लिया गया है और अगले कुछ महीनों में 2500 गैर वातानुकूलित कोच संचालन के लिये मिल जायेंगे।

उन्होंने कहा कि आगामी महीनों में लगभग 2500 अतिरिक्त सामान्य कोच का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि निकट भविष्य में, लगभग 10 हजार अतिरिक्त सामान्य कोचों का उत्पादन किया जाएगा, जिससे सामान्य कोचों की उपलब्धता में कोई समस्या न हो।श्री वैष्णव ने कहा कि श्री मोदी ने ‘अमृत भारत’ पहल के तहत सस्ती कीमतों पर सर्वोत्तम रेलवे की कल्पना की है, जिसे पिछले साल पटरी पर उतारा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अतिरिक्त 50 अमृत भारत ट्रेनों के उत्पादन को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। आने वाली 50 अमृत भारत ट्रेनों में 13 नए सुधार शामिल किए जाएंगे।उन्होंने कहा कि आधुनिक और तेज गति से चलने वाली ट्रेन चलाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वंदेभारत की जोरदार सफलता के बाद अब अमृत भारत ट्रेन चलाना शुरू कर दिया गया है। अभी दो अमृत भारत ट्रेन चलायी जा रही हैं, ये ट्रेन अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त बहुत आरामदायक सफर का अनुभव कराती हैं। जल्द ही पचास अमृत भारत ट्रेन चलाने की योजना है। इन ट्रेनों में 400 से 450 रुपये के बीच में करीब एक हजार किलोमीटर का सफर किया जा रहा है।

श्री वैष्णव ने कहा कि 100 से 150 किलोमीटर की दूरी वाले दो मेट्रो स्टेशनों के बीच चलने वाली वंदे मेट्रो ट्रेन को जल्द ही शुरू किया जायेगा। यह ट्रेन यात्रियों के लिये एक वरदान साबित होगी। यह ट्रेन यात्रा का एक नया स्वरूप प्रदान करेगी। पहली वंदे मेट्रो ट्रेन बन गयी है, उसका परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संप्रग काल में केवल 2,300 एलएचबी कोचों का उत्पादन किया गया था, जबकि राजग की दो सरकारों में 37000 कोचों का उत्पादन किया गया है। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के अनुरूप स्वदेशी दिमाग से एक नया कोच विकसित किया जाएगा।उन्होंने कहा कि ट्रेनों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कवच का इस्तेमाल बढ़ाने पर निरंतर ध्यान दिया जा रहा है और जल्द ही सभी ट्रेनों में इसका उपयोग शुरू कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि देश भर में कहीं भी बिना चौकीदार वाले फाटक अब नहीं रह गये हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में नौ हजार बिना चौकीदार वाले फाटकों चौकीदार नियुक्त कर दिये गये हैं या अंडर ब्रिज या ओवर ब्रिज बना दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन संचालन में सुरक्षा के हर विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार दुर्घटनाओं को रोकने के लिये पूरी तरह के कटिबद्ध है।

श्री वैष्णव के जवाब के बीच-बीच में विपक्षी बेंचों से टोकाटाकी हो रही थी। रेल दुर्घटनाओं का जिक्र आने पर उन्होंने कहा कि एक भी दुर्घटना बहुत दुखद है और लेकिन वह विपक्ष के सदस्यों के बार-बार पूछने पर रिकॉर्ड रखना चाहते हैं कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के कार्यकाल में साल में औसतन 171 दुर्घटनाएं होतीं थीं। अब यह आंकड़ा 68 प्रतिशत कम हो गया है। उनके यह कहने पर विपक्ष की ओर से कोई कटाक्ष किया गया जिस पर श्री वैष्णव भड़क गये। उन्होंने तेज आवाज़ में कहा, “जो लोग 58 साल के राज में एक एटीसी (टक्कररोधी उपकरण) नहीं लगा पाये वो सवाल उठा रहे हैं। अपने गिरेबां में झांक कर देखें।”विपक्ष की ओर से शोरशराबा होने पर रेल मंत्री का गुस्सा भी बढ़ गया, उन्होंने तेवर दिखाते हुए कहा कि अयोध्याधाम रेलवे स्टेशन के पुराने भाग की एक पुरानी दीवार क्या क्षतिग्रस्त हुई। कांग्रेस की ट्रोल आर्मी ने उसे उठा कर तमाशा खड़ा कर दिया। रोज़ाना दो करोड़ से अधिक लोग यात्रा करते हैं, उनको ये डराना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि इसी सदन में जब सुश्री ममता बनर्जी ने दुर्घटनाओं का स्तर कुछ कम होने पर मेजें थपथपा कर स्वागत किया था, लेकिन आज उससे बड़ी उपलब्धि मिली है पर उसकी तारीफ करने में सब पीछे हैं। उन्होंने संसद सदस्यों का आह्वान किया कि रेलवे के 12 लाख कर्मचारियों की हिम्मत बढ़ाने की जरूरत है जो रेल को चलाते हैं। इस पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने मेज़ें थपथपायीं। रेल मंत्री ने भी जोर जोर से मेज थपथपायी।श्री वैष्णव ने कहा, “कांग्रेस की झूठ की दुकान नहीं चलेगी। कभी फौज को नीचा दिखाते हैं, कभी रेलवे को। जबकि रेलवे में वो ताकत है कि देश की कोई भी समस्या और बड़ी से बड़ी चुनौती से पार पा सकती है।”रेल मंत्री ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ई टी मोहम्मद बशीर के वक्तव्य का उल्लेख करते हुए कहा कि श्री बशीर ने किसी सीएजी की रिपोर्ट का उल्लेख करके रेलवे में दलित आदिवासी एवं पिछड़े वर्गों के लोगों की भर्ती का मामला उठाया था। हमारे अधिकारियों ने सीएजी की सभी रिपोर्टों को खंगाला लेकिन कहीं कोई एससी एसटी या ओबीसी का विषय नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2004-14 तक संप्रग काल के दौरान, केवल 4,11,000 भर्तियाँ की गईं, जबकि 2014-24 तक कुल 502,000 भर्तियां पूरी की गईं। इस परीक्षा में करीब ढाई करोड़ अभ्यर्थी शामिल हुए, लेकिन एक भी शिकायत नहीं मिली। जनवरी में रेलवे भर्ती के लिए एक वार्षिक कैलेंडर भी स्थापित किया गया है तथा 40 हजार 565 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चालू है। उन्होंने कहा कि जिस मेहनत से ढाई करोड़ से अधिक लोगों की परीक्षा करायीं गयीं उसी प्रकार से आगामी परीक्षाएं होंगी और 40 से 50 हजार भर्तियां होंगी।संरक्षा के मुद्दे की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 2023-24 में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर व्यय 98,414 करोड़ रुपए था और इस बजट में इसके लिए 1,08,795 करोड़ आवंटित किए गए हैं। रोलिंग ब्लॉक प्रणाली कुशल और सक्रिय रखरखाव सुनिश्चित करते हुए, अगले 26 सप्ताहों के लिए योजना बनाकर रखरखाव को प्राथमिकता देती है। इसका लाभ कई दशकों तक मिलता रहेगा।

उन्होंने यात्री सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे का राजनीतिकरण न करने के लिए दोनों पक्षों के सांसदों की सराहना की। उन्होंने मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग के मुद्दे को संबोधित करते हुए कहा कि 2019 में ऐसी 9000 क्रॉसिंग थीं। अब आरओबी, गेट और अंडरपास के निर्माण से यह समस्या दूर हो गई है।उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्टेशनों पर अब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के माध्यम से नियंत्रण है। जबकि 2004 और 2014 के बीच केवल 837 स्टेशनों के पास यह तकनीक थी, अगले दशक में एक महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, 2014 से 2024 तक 2,964 स्टेशनों को कवर किया गया। उन्होंने यह भी नोट किया कि विभिन्न निर्माताओं के इंटरलॉकिंग सिस्टम को इंटरऑपरेबल बनाने के लिए कदम उठाए गए थे।उन्होंने बताया कि ट्रेनों की सुरक्षा को एटीपी (स्वचालित ट्रेन सुरक्षा) कहा जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के करीब 60 साल के शासनकाल में रेलवे नेटवर्क के पास यह जरूरी तकनीक नहीं थी।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में एटीपी विकसित करने का फैसला किया, कवच का 2016 में पहला परीक्षण हुआ और 2019 में एसआईएल-4 प्रमाणन प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि 2022 में इस प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए 3,000 किलोमीटर लंबी परियोजना शुरू की गई थी और 2024 में कवच के संस्करण 4.0 को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कवच के तीन निर्माता हैं, दो अतिरिक्त निर्माता जोड़े जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 8,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया गया है, और छह विश्वविद्यालयों ने अब अपने पाठ्यक्रम में कवच के बारे में अनुभाग शामिल किए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब हमारे पास कवच को बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए आवश्यक मानव संसाधन और क्षमताएं हैं।श्री वैष्णव ने कहा कि ट्रैक विफलता, रेल दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है, जिसे बड़ी चिंता के साथ संबोधित किया गया है।

उन्होंने उल्लेख किया कि पिछले 10 वर्षों में, 26,52,000 अल्ट्रासोनिक दोष पहचान परीक्षण किए गए हैं, और नई प्रौद्योगिकियों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 2013-14 में, लगभग 2,500 रेल फ्रैक्चर थे, लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर केवल 324 रह गई है, जो 85 प्रतिशत की कमी का संकेत देती है।लोको पायलटों के संदर्भ में रेल मंत्री ने कहा कि लोको पायलट रेल परिवार के बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उनके कल्याण के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। इस पर विपक्ष की ओर से किये गये कटाक्षों से श्री वैष्णव फिर से भड़क गये, उन्होंने कहा, “हम रील बनाने वाले नहीं, रियल में काम करने वाले हैं।” उन्होंने कहा कि लोको पायलटों के लिए वर्ष 2005 के नियमों के हिसाब से ड्यूटी एवं विश्राम का समय तय किया जाता था। वर्ष 2016 में नियमों में संशोधन करके लोको पायलटों की कार्य स्थितियों में सुधार के लिए कदम उठाए तथा ऑफ-ड्यूटी सुविधाओं में वृद्धि की गयी है। देश में सभी 558 रनिंग रूम को वातानुकूलित बनाया गया। लोकोमोटिव इंजन की कैब में एर्गोनोमिक सीटों और एयर कंडीशनिंग को शामिल करने के लिए 7000 से अधिक लोको कैब का उन्नयन किया गया है।

उन्होंने कहा, “जो लोग लोकोपायलट के साथ रील बना रहे थे, उनके समय में एक भी रनिंग रूम वातानुकूलित नहीं था।”रेल मंत्री विपक्ष के प्रतिक्रियात्मक शोर शराबे पर आक्रामक मुद्रा में आ गये और कहासुनी भी हुई। इस पर विपक्ष के सदस्य रेल मंत्री हाय हाय के नारे लगाने लगे।इस बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने रेल मंत्री से कहा कि वह विपक्ष की टोकाटाकी पर ध्यान नहीं दें। श्री वैष्णव ने कहा कि केरल का आवंटन बढ़ाकर औसतन 3011 करोड़ रुपये किया गया है जो संप्रग सरकार के दौरान 372 करोड़ रुपये था। तमिलनाडु का आवंटन औसतन 879 करोड़ रुपए से बढ़कर 6362 करोड़ रुपये हो गया। केरल और तमिलनाडु से भूमि अधिग्रहण समर्थन की उम्मीद है। रेलवे परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तमिलनाडु से 2749 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, केवल 807 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है।श्री वैष्णव ने कहा कि रेलवे विद्युतीकरण ने दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 10 वर्षों में 44 हजार किलोमीटर का विद्युतीकरण हुआ, जबकि 50 वर्षों में केवल 20 हजार किलोमीटर का विद्युतीकरण हुआ। पिछले 10 वर्षों में विद्युतीकरण से होने वाले लाभों में 600 मिलियन टन अतिरिक्त कार्गो, 640 करोड़ लीटर डीजल की बचत और 400 करोड़ किलो कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी शामिल है, जो 16 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।रेल मंत्री ने पिछले कुछ वर्षों में रेलवे को रिकॉर्ड आवंटन के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को धन्यवाद दिया।

उन्होंने लगभग 12 लाख रेलवे कर्मचारियों को भी धन्यवाद दिया जो प्रतिदिन लगभग 21 हजार ट्रेनें चलाने के लिए दिन-रात काम करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रेलवे देश की जीवन रेखा है और एक महत्वपूर्ण संगठन है जिस पर देश की अर्थव्यवस्था निर्भर करती है। उन्होंने संसद से रेलवे को राजनीतिकरण से मुक्त करने और देश के लाभ के लिए इसके सुधार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पिछले दो दिनों में सरकार और विपक्षी सांसदों दोनों की ओर से कई सुझाव आए हैं जिन पर सरकार सकारात्मक ढंग से विचार करेगी।श्री वैष्णव का वक्तव्य पूरा होने पर विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। श्री बिरला ने कहा कि चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, जब अगले पक्ष का कोई सदस्य या मंत्री बोल रहे हों तो दूसरे पक्ष के लोगों को बैठे बैठे टोकाटाकी नहीं करनी चाहिए। (वार्ता)

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