
आम आदमी तक कोरोना की वैक्सीन पहुंचाने चुनाव जैसी तैयारी
कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मिली मंजूरी
- 20 मंत्रालय व 23 विभाग निभाएंगे अहम भूमिका
नई दिल्ली । कोरोना महामारी को खत्म करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे देशवासियों को जल्द ही वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी। क्योंकि देश में एक नहीं बल्कि दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल गई है। पहली ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजनेका की वैक्सीन `कोविशील्ड` और दूसरी स्वदेशी भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन `कोवैक्सीन`। ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर देश के हर आदमी तक सुरक्षित तरीके से कोरोना की वैक्सीन कब और कैसे पहुंचेगी? इसे लेकर सरकार ने कमर कस ली है। आम आदमी तक टीका पहुंचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार चुनावी प्रक्रिया के तहत योजना बना रही। मतलब जिस तरीके से चुनाव करवाये जाते हैं, ठीक उसी प्रकार से सरकार अपनी तैयारी करीब-करीब पूरी कर ली है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमें वैक्सीनेशन के लिए चुनाव प्रक्रिया के आधार पर बूथ स्तर तक के लिए तैयारी की है। 719 जिलों के करीब 57,000 प्रतिभागियों ने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है। अबतक कुल 96,000 वैक्सिनेटर्स को प्रशिक्षित किया जा चुका है। देशभर में कोरोना वैक्सीन के रोल-आउट में स्वास्थ्य मंत्रालय के अलावा करीब 20 मंत्रालय और 23 विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये विभाग नक्सल प्रभावित इलाकों में कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता से लेकर टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ को संभालने तक पूरी तरह जिम्मेदारी संभालेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक Co-WIN नाम के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लाभार्थियों को ट्रैक किया जाएगा। इस प्लेटफॉर्म पर सभी जानकारी रियल टाइम में अपडेट की जाएंगी। वैक्सीनेशन साइट पर सिर्फ उन्हीं लोगों को टीका लगाया जाएगा जो प्राथमिकता के आधार पर पहले ही रजिस्टर्ड होंगे।
आपको कैसे मिलेगी कोरोना वायरस की वैक्सीन
भारत सरकार का पहले चरण में 30 करोड़ लोगों को टीके लगेंगे। इसके लिए आपको को-विन मोबाइल ऐप पर पंजीकरण करना होगा। चलिए जानते हैं कि आपको कोरोना वैक्सीन लेने के लिए क्या करना होगा।
कैसे पता चलेगा कि कोई व्यक्ति टीकाकरण के योग्य है या नहीं?
पहले चरण में स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों और फ्रंटलाइन श्रमिकों को टीके लगेंगे। सरकार ने कहा कि टीके की उपलब्धता के आधार पर 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को भी टीका मिल सकता है। लाभार्थियों को टीकाकरण के समय और स्थान के बारे में उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से सूचित किया जाएगा।
वैक्सीन के लिए बनाए जाएंगे बूथ
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक टीकाकरण के लिए वैक्सीनेशन बूथ होंगे और हर वैक्सीनेशन बूथ पर 3 कमरें होंगे। जिनमे वेटिंग रूम या एरिया, वैक्सीनेशन रूम तथा ऑब्जर्वेशन रूम। इसमें ऑब्जर्वेशन रूम वो जगह होगी जहां टीका लगवाने के बाद लाभार्थी को 30 मिनट इंतजार करना होगा। इस कमरे में पीने के पानी और टॉयलेट की सुविधा भी रहेगी। टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन के बाद 30 मिनट निगरानी में रहना होगा, जिससे देखा जा सके कि कोई प्रभाव तो नहीं पड़ा।
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन` कोवैक्सीन` और पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड के भारत में आपात इस्तेमाल पर आज अपनी मुहर लगा दी। डीसीजीआई डॉ वेणुगोपाल जी सोमानी ने रविवार को नेशनल मीडिया सेंटर में संवाददताओं को यह जानकारी दी कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है।
कोविशील्ड वास्तव में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित है और एसआईआई ने एक समझौते के तहत भारत में इसका दूसरे और तीसरे चरण का मानव परीक्षण किया है और साथ ही इसे यहां तैयार भी किया है। देश में कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बनाई गई सीडीएससीओ की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने शुक्रवार और शनिवार को बैठक की थी। इस समिति ने बैठक में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के आपात इस्तेमाल को लेकर अपनी सिफारिशें डीसीजीआई के समक्ष पेश की। समिति ने साथ ही दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर के तीसरे चरण के मानव परीक्षण को लेकर भी सिफारिश की। भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है। भारत बायोटेक ने शनिवार को यह जानकारी दी कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के मानव परीक्षण में शामिल वालंटियर की संख्या जल्द ही उसके लक्ष्य के मुताबिक 26,000 हो जाएगी।