कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बुधवार-गुरुवार की मध्यरात्रि को आक्रोशित भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया, पुलिस चौकी और आपातकालीन उपचार कक्ष में तोड़फोड़ की, इसके अलावा कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और सीसीटीवी कैमरों को भी नष्ट कर दिया।आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि हंगामे के दौरान उपायुक्त (उत्तर) और मानिकतला थाने के प्रभारी अधिकारी सहित कोलकाता पुलिस के लगभग 15 कर्मी घायल हो गए। इस घटना में संलिप्त नौ संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि हमलावरों ने पुलिस बैरक, ओसी के कक्ष और भूतल पर सीसीटीवी कैमरों के सर्वर रूम को क्षतिग्रस्त कर दिया।प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि आपातकालीन वार्ड में भी तोड़फोड़ की गई, बहुमूल्य दवाएं नष्ट कर दी गईं और चोरी कर ली गईं। उपद्रवियों ने एमआरआई कक्ष में घुसकर तोड़फोड़ करने की भी कोशिश की। अचानक हुए हमले से डॉक्टर घबरा गए और छिप गए। इसके बाद उन्होंने पुलिस और प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की।बाद में कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल ने मीडिया पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि जो कुछ हुआ वह गलत और सोशल मीडिया द्वारा गलत खबर फैलाने का नतीजा था।
श्री गोयल ने कहा, ‘मेरे डीसीपी, जो लड़कों की सुरक्षा कर रहे थे, बेहोश हैं और यहां जो कुछ हुआ है वह गलत, दुर्भावनापूर्ण मीडिया अभियान के कारण हुआ है। कोलकाता पुलिस ने मामले को सुलझाने के लिए क्या नहीं किया है?’इस बीच एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस ने अस्पताल में तोड़फोड़ करने वाले हमलावरों की पहचान के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
कोलकाता के अस्पताल में तोड़फोड़ पर शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की
बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बुधवार रात हुई बर्बरता पूर्ण घटना को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस से हस्तक्षेप की मांग की।पुलिस ने बताया कि कल देर रात हथियारबंद अज्ञात लोगों ने सरकारी संपत्ति, पुलिस चौकी, सीसीटीवी कैमरे, एक सर्वर रूम में जमकर तोड़ फोड़ की और कुछ पुलिस कर्मियों पर भी पर हमला किया। हमले में 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल सरकार की कड़ी आलोचना की
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष को दूसरे सरकारी अस्पताल में नियुक्त करने के खिलाफ प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के प्रति पश्चिम बंगाल सरकार की असंवेदनशीलता की कड़ी आलोचना की।मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपराध को ‘भयानक’ बताया और सरकार से पूछा कि उसने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को क्या आश्वासन दिया है। पीठ ने पाया कि कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की ओर से की गयी जांच में ‘कुछ कमी’ है।
पीठ ने यह भी सवाल उठाया कि सोमवार को सरकारी सेवा से इस्तीफा देने वाले अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष को कुछ ही घंटों में दूसरे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में कैसे बहाल कर दिया गया।न्यायालय ने कहा, “वह बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली होगा, क्योंकि उसका प्रतिनिधित्व सरकारी वकील कर रहे हैं। जब अदालत ने सरकारी वकील से घोष का इस्तीफा पत्र और उसके बाद की नियुक्ति पत्र पेश करने को कहा, तो प्रिंसिपल ने कथित तौर पर 15 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन किया। अगर उन्होंने किसी नैतिक जिम्मेदारी का हवाला देते हुए पद छोड़ा है, तो क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि आपको उन्हें पुरस्कृत करना चाहिए? प्रिंसिपल सभी कार्यरत डॉक्टरों का अभिभावक है। अगर उन्होंने कोई सहानुभूति नहीं दिखाई, तो और कौन दिखाएगा? आपके मुवक्किल (प्रिंसिपल) को काम नहीं करना चाहिए, उन्हें घर पर रहना चाहिए। वह इतने शक्तिशाली हैं कि एक सरकारी वकील उनका प्रतिनिधित्व कर रहा है?’
न्यायालय ने कहा , “आपके मुवक्किल (प्रिंसिपल) काम नहीं करेंगे। उन्हें पद छोड़ने के लिए कहें। हम उन्हें आज दोपहर तीन बजे तक अपना अवकाश आवेदन जमा करने का विकल्प देते हैं, अन्यथा एक आदेश पारित किया जायेगा।”इस बीच राज्य के स्वास्थ्य प्रमुख सचिव नारायण स्वरूप निगम ने मीडिया कॉन्फ्रेंस में चिकित्सकों से यह कहते हुए अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की कि सरकार चिकित्सा पेशेवरों के कल्याण के प्रति बहुत संवेदनशील है।(वार्ता)