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‘परमार्थ परमो धर्मः’ के मार्ग पर चलने वाले लोग सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण: मोदी

नारी शक्ति के नमन का अवसर है महिला दिवस: मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परमार्थ परमो धर्मः’ के मार्ग पर चलने वाले, स्थानीय संस्कृति के संरक्षण में लगे लोगों तथा तकनीक की मदद से बदलाव के वाहक बनने वाले लोगों को सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण ताकत करार दिया है और ऐसे लोगों को सामने लाने का आह्वान किया है।श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम मन की बात के 110वें एपिसोड में रविवार को यह बात कही।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति की सीख है – ‘परमार्थ परमो धर्मः’ यानि दूसरों की मदद करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है। इसी भावना पर चलते हुए हमारे देश में अनगिनत लोग नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश के कार्यों की अपने क्षेत्र के एक अत्यंत गरीब एवं वंचित समुदाय मुसहर जाति के लोगों के बीच खूब चर्चा है। भीम सिंह भवेश जी ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर अपना फोकस किया है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। उन्होंने मुसहर जाति के करीब आठ हज़ार बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। उन्होंने एक बड़ी लाइब्रेरी भी बनवाई है, जिससे बच्चों को पढाई-लिखाई की बेहतर सुविधा मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भीम सिंह समुदाय के सदस्यों के जरूरी डॉक्यूमेंट बनवाने में, उनके फॉर्म भरने में भी मदद करते हैं। इससे जरूरी संसाधनों तक गाँव के लोगों की पहुँच और बेहतर हुई है। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक मेडिकल कैम्प लगवाए हैं। जब कोरोना का महासंकट सिर पर था, तब भीम सिंह ने अपने क्षेत्र के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए भी बहुत प्रोत्साहित किया।श्री मोदी ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भीम सिंह भवेश जैसे कई लोग हैं, जो समाज में ऐसे अनेक नेक कार्यों में जुटे हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम इसी प्रकार अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो यह, एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में बहुत ही मददगार साबित होगा।

उन्होंने कहा कि भारत की सुन्दरता यहाँ की विविधता और हमारी संस्कृति के अलग-अलग रंगों में भी समाहित है। कितने ही लोग नि:स्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-सँवारने के प्रयासों में जुटे हैं। इनमें से बड़ी संख्या उनकी भी है, जो, भाषा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे रहे हैं। वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है। उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ।

साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है। इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है।उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू एक शिक्षक हैं। उन्होंने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। उन्होंने एक भाषा स्कूल बनवाने का काम किया है। इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है। वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।उन्होंने कहा कि हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो गीतों और नृत्यों के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने में जुटे हैं।

कर्नाटक के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं। इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है। उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों, को प्रशिक्षण भी दिया है। भारत में उमंग और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो, हमारी संस्कृति को, निरंतर समृद्ध बना रहे हैं।प्रधानमंत्री ने कहा, “दो दिन पहले मैं वाराणसी में था और वहां मैंने एक बहुत ही शानदार फोटो प्रदर्शनी देखी। काशी और आसपास के युवाओं ने कैमरे पर जो मोमेंट कैप्चर किए हैं, वो, अदभुत हैं। इसमें काफी फोटोग्राफ ऐसी हैं, जो मोबाइल कैमरे से खींची गई थी।

“उन्होंने कहा कि आज जिसके पास मोबाइल है, वो एक कंटेंट क्रियेटर बन गया है। लोगों को अपना हुनर और प्रतिभा दिखाने में सोशल मीडिया ने भी बहुत मदद की है। भारत के युवा कंटेट क्रिएशन के क्षेत्र में कमाल कर रहे है। चाहे कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो, अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग कंटेंट शेयर करते हमारे युवा साथी मिल ही जाएंगे। पर्यटन हो, सामाजिक उद्देश्य हो, जनभागीदारी हो या फिर प्रेरक जीवन यात्रा, इनसे जुड़े तरह-तरह के कंटेंट सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। कंटेंट रचना कर रहे देश के युवाओं की आवाज आज बहुत प्रभावी बन चुकी है। उनकी प्रतिभा को सम्मान देने के लिए देश में नेशनल क्रियेटर्स अवार्ड शुरू किया गया है।

इसके तहत अलग-अलग श्रेणियों में उन बदलाव के वाहकों को सम्मानित करने की तैयारी है, जो सामाजिक परिवर्तन की प्रभावी आवाज बनने के लिए टेक्नॉलॉजी का उपयोग कर रहे हैं।श्री मोदी ने कहा, “यह कंटेंट माईगाॅव पर चल रहा है और मैं कंटेंट क्रियेटर्स को इससे जुड़ने के लिए आग्रह करूँगा। आप भी अगर ऐसे दिलचस्प कंटेंट क्रियेटर्स को जानते हैं, तो उन्हें नेशनल क्रियेटर्स के लिए जरुर नामित करें।”

नारी शक्ति के नमन का अवसर है महिला दिवस: मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ मार्च को मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उल्लेख करते हुए रविवार को कहा कि ये विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान काे नमन करने का अवसर होता है।प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 110वें संस्करण में कहा “ कुछ ही दिन बाद आठ मार्च को हम ‘महिला दिवस’ मनाएंगे। ये विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी-शक्ति के योगदान को नमन करने का अवसर होता है। महाकवि भरतियार जी ने कहा है कि विश्व तभी समृद्ध होगा, जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे।

”उन्होंने कहा कि आज भारत की नारी-शक्ति हर क्षेत्र में प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू रही है। कुछ वर्ष पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में, गाँव में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी, लेकिन आज ये संभव हो रहा है। आज तो गाँव-गाँव में ड्रोन दीदी की इतनी चर्चा हो रही है, हर किसी की जुबान पर नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी ये चल पड़ा है। हर कोई इनके विषय में चर्चा कर रहा है।उन्होंने कहा “ एक बहुत बड़ी जिज्ञासा पैदा हुई है और इसीलिए, मैंने भी सोचा कि क्यों ना इस बार ‘मन की बात’ में, एक नमो ड्रोन दीदी से बात की जाए।” इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीतापुर की रहने वाली नमो ड्रोन दीदी सुनीता देवी से भी चर्चा की जिन्होंने बताया कि वह स्नातक हैं और खेती बाड़ी से जुड़ी हुई हैं।

सुनीता देवी ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद वह अब ड्रोन का खेती के लिए उपयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा, “फसल बड़ी होने पर या बरसात के मौसम या कुछ अन्य परिस्थितियों में दिक्कत होती है, खेत में फसल में हम लोग घुस नहीं पा रहे हैं तो कैसे मजदूर अन्दर जाएगा, तो इसके माध्यम से बहुत फायदा किसानों को होगा और वहाँ खेत में घुसना भी नहीं पड़ेगा। हमारा ड्रोन जो हम मजदूर लगाकर अपना काम करते हैं वो हमारा ड्रोन से मेढ़ पे खड़े होके, हम अपना काम कर सकता है, कोई कीड़ा-मकोड़ा अगर खेत के अन्दर है उससे हमें सावधानी भी बरतनी रहेगी। अब कोई दिक्कत नहीं हो सकती है और किसानों को भी बहुत अच्छा लग रहा है। हम 35 एकड़ में स्प्रे कर चुके हैं अभी तक।

”सुनीता देवी ने कहा कि किसान इससे बहुत संतुष्ट होते हैं। समय का भी बचत होता है, सारी सुविधा वह खुद देखती हैं, पानी, दवा सब कुछ साथ-साथ में रखती है और किसानों को सिर्फ आकर बताना पड़ता है कि कहां से कहां तक उनका खेत है और सारा काम आधे घंटे में ही निपटा देती हूँ। किसान नंबर लेकर जाते हैं और स्प्रे कराने की बात भी करते हैं।सुनीता देवी ने कहा “ आज मैं अकेले ड्रोन दीदी हूँ तो ऐसी ही हजारों बहनें आगे आएं कि मेरे जैसे ड्रोन दीदी वो भी बने और मुझे बहुत खुशी होगी कि जब मैं अकेली हूँ, मेरे साथ में और हजारों लोग खड़े होंगे, तो बहुत अच्छा लगेगा कि हम अकेले नहीं बहुत सारे लोग हमारे साथ में ड्रोन दीदी के नाम से पहचानी जाती हैं।

”प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी-शक्ति पीछे रह गई हो। एक और क्षेत्र, जहाँ महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है वो है प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता। रसायन से धरती को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। देश के कोने-कोने में महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं। आज अगर देश में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत इतना काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के ही पास है। इसके अलावा भी बहनें-बेटियाँ, जल संरक्षण के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं।इस दौरान प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र की महिला कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल से भी बात की जो माइक्रो बॉयोलॉजी में परास्नातक है।

श्रीमती पाटिल ने बताया कि उन्होंने दस प्रकार के वनस्पति को एकत्रित करके उससे ऑर्गेनिक फवारणी(स्प्रे) बनाया और उसका उपयोग कीटनाशकों के रूप में किया जा रहा है क्योंकि रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणाम होते हैं और उससे सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं।जलसंरक्षण के क्षेत्र में अपने अनुभव का साझा करते हुये श्रीमती पाटिल ने कहा कि शासकीय इमारतों में बारिश के पानी को इकट्ठा करके एक जगह पर संग्रहित किया जाता है और जो रिचार्ज शाफ्ट में ले जाया जाता है । अभी उनके गांव में 20 इस तरह के शाफ्ट हैं और 50 शाफ्ट को मंजूरी मिल चुकी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में नारी-शक्ति की सफलता बहुत प्रेरक है। उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर हमारी नारी-शक्ति के इस जज्बे का हृदय से सराहना करता हूँ।”(वार्ता)

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