पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए स्फूर्ति योजना, 5,000 क्लस्टर्स बनाने का लक्ष्य
पारंपरिक उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए राशि देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से स्फूर्ति योजना चलाई जा रही है। इस योजना के जरिए पारंपरिक शिल्पकारों के लिए क्लस्टर बनाने के संबंध में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने स्फूर्ति योजना के तहत दो दिवसीय कार्यशाला का का उद्घाटन किया।
कार्यशाला का उद्देश्य
> हितधारकों को समयबद्ध तरीके से क्लस्टर्स बनाने की योजना तैयार करने के संबंध में प्रशिक्षित करना है ताकि सरकार के प्रयासों का लाभ जल्दी-से-जल्दी लाभार्थियों को मिल सके
> उनकी उत्पादन गुणवत्ता बढ़ सके और उनकी आय में इजाफा करना।
> स्फूर्ति योजना से संबद्ध करीब 400 संगठन इस दो दिन की कार्यशाला में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अथवा स्वयं उपस्थित होकर भाग लेंगे।
> इस कार्यशाला में स्फूर्ति क्लस्टर्स के सफलतापूर्वक लागू किए जाने के संबंध में कुछ केस स्टडीज पर भी चर्चा होगी।
स्फूर्ति के तहत 5,000 क्लस्टर्स बनाने का लक्ष्य
इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने स्फूर्ति के तहत 5,000 क्लस्टर्स बनाने का लक्ष्य तय किया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “इस व्यवस्था को डिजिटलाइज किया जाए तथा समयबद्ध, नतीजा देने वाली, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जाए”। उन्होंने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पादन में एमएसएमई क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि एमएसएमई क्षेत्र ने अब तक देश में 11 करोड़ लोगों को नौकरियां प्रदान की हैं।
जिले में खादी ग्रामोद्योग और ग्रामीण उद्योगों की एक शाखा जरूरी
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “हर जिले में खादी ग्रामोद्योग और ग्रामीण उद्योगों की एक न एक शाखा जरूर होनी चाहिए और इनका कारोबार मौजूदा 88,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये तक ले जाया जाना चाहिए।“ उन्होंने कहा कि “सभी योजनाओं का आकलन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि उन्होंने कितने रोजगार अवसर पैदा किए और कितने लोगों के जीवनस्तर में सुधार किया।“
स्फूर्ति योजना के तहत 394 क्लस्टर्स को मंजूरी
बता दें कि आज की तारीख तक स्फूर्ति योजना के तहत 394 क्लस्टर्स को मंजूरी दी जा चुकी है जिनमें से 93 कामकाज कर रहे हैं और भारत सरकार की 970.28 करोड़ रुपये की सहायता से 2.34 लाख लाभार्थियों को मदद कर रहे हैं। इस योजना के तहत जिन क्षेत्रों में काम किया जाता है उनमें हस्तशिल्प, हथकरघा, खादी, वस्त्र, कॉयर (नारियल का रेशा), बांस, कृषि प्रसंस्करण, शहद आदि शामिल हैं।