
संसद ने नौवहन समुद्री सहायता विधेयक 2021 पारित किया, महासागरों में बढ़ेगी देश की ताकत
राज्यसभा ने मंगलवार को नौवहन समुद्री सहायता विधेयक 2021 (द मरीन एड्स टू नेविगेशन बिल) पारित कर दिया। सदन में संक्षिप्त बहस के बाद विधेयक पारित किया गया। उपसभापति हरिवंश ने विधेयक को मतदान के लिए रखा और बाद में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद, सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
नौ दशक पुराने कानून की लेगा जगह
नौवहन सहायता, एक प्रकार का निशान या संकेत है, जो यात्री को नेवीगेशन में (आमतौर पर समुद्री या विमानन यात्रा में) सहायता करता है। इस तरह की सहायता के सामान्य प्रकारों में प्रकाशस्तंभ (लाइटहाउस), प्लाव (Buoys), कोहरे के संकेत एवं दिन के दीपस्तंभ शामिल हैं। नौवहन सहायता विधेयक, 2021 लगभग नौ दशक पुराने लाइटहाउस अधिनियम, 1927 (Lighthouse Act, 1927) को बदलने के लिए लाया गया है ताकि इसमें सर्वोत्तम वैश्विक क्रिया-कलाप, तकनीकी विकास और समुद्री नौवहन के क्षेत्र में भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्त्वों को समाहित किया जा सके।
इस विधेयक का उद्देश्य समुद्री नौवहन की अत्याधुनिक तकनीकों को विनियमित करना है जो पहले लाइटहाउस अधिनियम, 1927 के वैधानिक प्रावधानों में उलझी हुई थी। लाइटहाउस अधिनियम, 1927 नौवहन के दौरान प्रकाशस्तंभ के रख-रखाव एवं नियंत्रण के प्रावधानों से संबंधित एक अधिनियम है। इसे वर्ष 1927 में अंग्रेजों द्वारा अधिनियमित किया गया था।
विधेयक वैध ढांचा प्रदान करेगा
पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने मौजूदा सत्र के पहले ही दिन यह विधेयक चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन में पेश किया था। सोनोवाल के अनुसार इस विधेयक में नौवहन क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रावधान किए गये हैं। उन्होंने कहा कि पुराने लाइट हाउस कानून में सहायता के समुचित प्रावधान नहीं थे, जिन्हें वर्तमान विधेयक में शामिल किया गया है। चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय मंत्री सोनावाल ने कहा कि यह विधेयक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए एक वैध ढांचा प्रदान करेगा और विश्व की सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक जरूरतों की पूर्ति करेगा। इससे नौचालन का क्षेत्र सुरक्षित भी होगा।
दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय का होगा शक्तिकरण
यह विधेयक अतिरिक्त अधिकार एवं कार्यों जैसे- पोत यातायात सेवा, जहाज के मलबे को हटाना, प्रशिक्षण एवं प्रमाणन, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत अन्य दायित्त्वों का कार्यान्वयन जहां भारत एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है, के साथ ‘दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय’ (DGLL) को सशक्त बनाने का प्रावधान करता है। इस विधेयक में अपराधों की एक नई अनुसूची भी शामिल की गई है। जिसके तहत नौवहनीय सहायता में बाधा डालने एवं नुकसान के लिये तथा केंद्र सरकार एवं अन्य निकायों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान है।
नौवहनीय उपकर के लिये सहायता
भारत में किसी भी बंदरगाह से आने या जाने वाले प्रत्येक जहाज को केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित दरों पर उपकर का भुगतान करना होगा। वर्तमान में केंद्र सरकार लाइटहाउस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, भारत में किसी भी बंदरगाह से आने या जाने वाले सभी विदेशी जहाजों से प्रकाश देयताओं की वसूली करती है। प्रकाश देयताएँ (Light Dues), प्रकाशस्तंभों के रखरखाव एवं नेवीगेशन हेतु अन्य सहायता के लिये जहाजों पर लगाए गए शुल्क हैं।
समय-समय पर होते रहे हैं परिवर्तन
विधेयक के उद्देश्य एवं कारणों में कहा गया है कि समय-समय पर सामुद्रिक क्षेत्र में कई परिवर्तन हुए हैं और नौचालन के लिये सामुद्रिक सहायता के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का काफी विकास हुआ है। इसमें जलयान यातायात सेवा और नौचालन सहायता का विविधीकरण शामिल है, जिसके अंतर्गत प्रकाश स्तम्भ और प्रकाश पोतों से भिन्न तकनीकी सहायता शामिल है। इसमें कहा गया है कि नौचालन के लिये सामुद्रिक सहायता की भूमिका ‘रेडियो और डिजिटल’ आधारित हो गई है।