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पंडित दीनदयाल उपाध्याय को जौनपुर से मिल चुकी है हार

जौनपुर : देश में 18 वीं लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीखों की घोषणा भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की जा चुकी है, उत्तर प्रदेश में 73 जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में अब तक 17 बार हुए चुनाव एवं एक बार हुए उपचुनाव में कांग्रेस 6 बार, भाजपा 4 बार,जनसंघ 01 बार, सपा 2 बार, भालोद, जनता पार्टी, जनता दल व बसपा 1-1 बार और बसपा-सपा गठबंधन ने 1 बार चुनाव जीता है, जबकि 1963 में जौनपुर लोकसभा में हुए उपचुनाव में भारतीय जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय कांग्रेस के ठाकुर राजदेव सिंह से चुनाव हार गए थे।

लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बजने के साथ ही जौनपुर का भी सरकारी तंत्र चुनावी तैयारियों में जुटा हुआ है। जनपद जौनपुर में दो लोकसभा क्षेत्र है जिले में निर्वाचन के छठवें चरण यानी 25 मई को लोकसभा क्षेत्र जौनपुर और मछली शहर में वोट डाले जाएंगे। जिले में एक 73 जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है तो दूसरा 74 मछलीशहर (सु) के नाम से जाना जाता है। सरकारी तंत्र के साथ अब सभी राजनीतिक दल के लोग भी लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों के सबसे बड़े चयनकर्ता (मतदाताओ) को रिझाने के लिए गावं के गलियों की खाक छानना शुरू कर दिए है, जबकि निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के पहले भाजपा ने जौनपुर लोकसभा सीट पर महाराष्ट्र के पूर्व के राज्य मंत्री और जौनपुर जिले के निवासी कृपा शंकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि अभी तक विपक्ष के लोग अपने पत्ते नहीं खोले है।

मछलीशहर (सु) से भी अभी तक किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी को चुनावी जंग में नहीं उतारा है लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है।जौनपुर लोकसभा के लिए अब तक 17 बार हुए चुनाव में प्रतिनिधित्व करने वालों में 1952 और 1957 में दो सदस्यों वाली लोकसभा में बीरबल सिंह और गणपत राम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1962 में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा रहा और ठाकुर ब्रम्हजीत सिंह सांसद थे। ठाकुर ब्रह्मजीत सिंह का 1963 में निधन हो गया तो उसे समय उपचुनाव हुआ उपचुनाव में कांग्रेस के राजदेव सिंह और जनसंघ के दिग्गज नेता एवं तत्कालीन जनसंघ के अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें कांग्रेस के राज देव सिंह को विजय श्री हासिल हुई और पंडित दीनदयाल उपाध्याय को हार का सामना करना पड़ा था। 1967 और 1971 में फिर कांग्रेस राजदेव सिंह यहां से सांसद चुने गए।

1977 में जनता पार्टी से राजा यादवेंद्र दत्त दुबे राजा जौनपुर सांसद बने थे। 1980 में फिर जनता पार्टी से अजीजुल्ला आजमी सांसद हुए, 1984 में फिर कांग्रेस ने कब्जा जमाया और विकास पुरूष के नाम से जाने जाने वाले कमला प्रसाद सिंह सांसद बने थे, इसके बाद आज तक कांग्रेस को जौनपुर लोकसभा सीट पर सफलता नहीं मिली हैं।यहां से 1989 में राजा जौनपुर यादवेंद्र दत्त दुबे ने पहली बार भाजपा का कमल खिलाया और सांसद बने थे। 1991 में अर्जुन सिंह यादव जनता दल से सांसद बने थे। 1996 में भाजपा से राज केसर सिंह सांसद चुने गए। 1998 में भाजपा को पटखनी देकर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता पारस नाथ यादव ने अपना परचम लहराया और सांसद बने थे। 1999 में स्वामी चिन्मयानंद ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल किया और लोकसभा में जौनपुर का नेतृत्व करने के साथ ही देश के गृह राज्य मंत्री बने थे।

2004 के चुनाव में सपा प्रत्याशी पारस नाथ यादव से तत्कालीन देश देश के गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद हार गए और पारस नाथ सांसद बने थे। इसके बाद 2009 के चुनाव में बाहुबली नेता धनंजय सिंह विधायक पद छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार हाथी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे, उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में महिला प्रत्याशी सीमा द्विवेदी और समाजवादी पार्टी की ओर से पारसनाथ यादव चुनाव मैदान में रहे, इसके बाद आज तक धनंजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं।2014 में यहाँ से फिर भाजपा का परचम लहराया और डॉ कृष्ण प्रताप सिंह उर्फ के पी सिंह सिंह सांसद बने। इसके बाद 17 वीं लोकसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में सपा- बसपा गठबंधन से प्रत्याशी बने अवकाश प्राप्त पीसीएस अधिकारी श्याम सिंह यादव सांसद चुने गए थे।

17 बार हुए यहां लोकसभा चुनाव व एक बार हुए उपचुनाव में कोई भी महिला सांसद नहीं चुनी जा सकी हैं, जबकि 2009 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से सीमा द्विवेदी को अपना प्रत्याशी बनाया था मगर वह चुनाव हार गई थी।अब 18 वीं लोकसभा के लिए बिगुल बज गया है। जिले का मतदाता किसे अपना जन प्रतिनिधित्व चुनेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व दिन यहां से अपने प्रत्याशी के रूप में महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्य मंत्री एवं जौनपुर के निवासी कृपा शंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है अभी तक विपक्ष की ओर से कोई प्रत्याशी नहीं आया है, इसलिए चुनाव की रूझान पर चर्चा संभव नहीं है। हां, जिले के सियासी पिच पर भाजपा के बैनर तले अकेले कृपाशंकर सिंह चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

जिले की सियासत में धनंजय सिंह बाहुबली नेता और पूर्व सांसद चुनाव एलान के लगभग दो माह पहले से खुद को चुनावी जंग में उतरने का एलान किया था, उस समय लग रहा था कि चुनावी जंग संघर्ष पूर्ण रहेगी, लेकिन न्याय पालिका के एक फैसले के तहत उनको जेल की सलाखों के पीछे सात साल की सजा देते हुए पहुंचा दिया गया है।जौनपुर की जनता इस 18 वीं लोकसभा के चुनाव में क्या क्या गुल खिलाती है, यह तो अन्य विपक्षी दलों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होने के बाद ही पता चल सकता है ? मगर आजादी के बाद पहली बार यहां से कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा इस बार यहां कांग्रेस का चुनाव निशान हाथ का पंजा नहीं दिखेगा, क्योंकि यह सीट गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी के खाते में गई है। (वार्ता)

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