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पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे -बनारस की शास्त्रीय संगीत परंपरा ने खोया अपना महान स्वर

पद्मविभूषण शास्त्रीय गायक पं. छन्नूलाल मिश्र का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरी संवेदना जताई। बनारस की संगीत परंपरा को विश्व पटल तक पहुँचाने वाले पं. मिश्र ठुमरी, दादरा, कजरी और भजन गायन के लिए प्रसिद्ध थे।

  • लंबी बीमारी के बाद मिर्जापुर में हुआ निधन, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने जताया शोक; मणिकर्णिका घाट पर होगा अंतिम संस्कार

प्रख्यात शास्त्रीय गायक और पद्मविभूषण से सम्मानित पं. छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद मिर्जापुर में निधन हो गया। वह अपनी बेटी नम्रता मिश्र के साथ मिर्जापुर स्थित आवास पर रह रहे थे।नम्रता मिश्र ने बताया कि अंतिम संस्कार गुरुवार शाम को काशी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पं. मिश्र पिछले कई महीनों से अस्वस्थ थे। 11 सितंबर को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मिर्जापुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार न होने पर चिकित्सकों ने उन्हें बीएचयू रेफर किया।13 से 27 सितंबर तक बीएचयू में उनका इलाज चला। स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें मिर्जापुर लाया गया था।

बीएचयू की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, पं. मिश्र टाइप-2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और फेफड़ों के संक्रमण सहित कई बीमारियों से पीड़ित थे।पं. छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उनके दादा गुदई महराज प्रख्यात तबला वादक थे, जबकि पिता बद्री प्रसाद मिश्र संगीत के विद्वान थे। पं. मिश्र ने अपने पिता और उस्ताद अब्दुल गनी से संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। वह ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन गायन के लिए विख्यात थे। उनका होली गीत ‘खेले मसाने में होली’ विशेष रूप से लोकप्रिय रहा।पं. मिश्र को 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण और 2021 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे।

पं छन्नूलाल मिश्र के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने दुख प्रकट किया

पद्मविभूषण शास्त्रीय संगीत गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के निधन पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दुख प्रकट किया।श्री मोदी ने लिखा “सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति के समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन जन तक पहुंचाने के साथ भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान दिया। यह मेरा सौभाग्य है कि उनका स्नेह और आशीर्वाद सदैव प्राप्त होता रहा। साल 2014 में वाराणसी सीट से मेरे प्रस्तावक भी रहे थे। शोक की इस घड़ी में मैं उनके परिजनों और प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं। ‘ओम शांति’ ।

”उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संवेदना प्रकट किया। उन्होने एक्स पर लिखा “ भारतीय संगीत के मर्मज्ञ ‘पद्मविभूषण’ शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत दुखद एवं शास्त्रीय संगीत विद्या की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। आपने अपना पूरा जीवन भारतीय शास्त्रीय गीत संगीत के उत्थान में समर्पित कर दिया। आपका गायन कला साधकों के लिए प्रेरणा श्रोत हैं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को सद्धित व उनके शोकाकुल परिजनों, अनुयायियों और प्रशंसकों को यह अथाह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे।”

संगीत ही साधना, काशी ही कर्मभूमि

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ जिले के हरिहरपुर गांव में हुआ था। उन्होंने बनारस घराने की गायकी को नई ऊँचाइयाँ दीं। ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन गायन में उनकी अद्वितीय पकड़ थी। उनका प्रसिद्ध होली गीत “खेले मसाने में होली” आज भी हर संगीतप्रेमी के दिल में गूंजता है। वे कहा करते थे -“काशी मेरी आत्मा में बसती है, और संगीत मेरी साधना है।”

पुरस्कार और सम्मान

भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए पं. मिश्र को कई राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए —

  • संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2000)
  • पद्मभूषण (2010)
  • पद्मविभूषण (2021)

इसके अलावा उन्होंने देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर भारत की संगीत परंपरा का प्रतिनिधित्व किया। वे 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक* भी रहे थे।

संगीत जगत में शोक की लहर

पं. मिश्र के निधन की खबर फैलते ही संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई। बीएचयू संगीत विभाग, आकाशवाणी वाराणसी, तथा देशभर के कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।संगीतकार पं. अजय चक्रवर्ती, गायक कैलाश खेर, और मिश्र परिवार (पं. राजन-साजन मिश्र) ने सोशल मीडिया पर अपनी संवेदना व्यक्त की।

श्रद्धांजलि

पंडित छन्नूलाल मिश्र अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका स्वर – ठुमरी, भजन और कजरी के रूप में सदैव बनारस की हवा में गूंजता रहेगा। वे सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत के “जीवित स्वरूप” थे। ॐ शांति।

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