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ओडिशा की आशा कार्यकर्ता : कोविड ​से संबंधित कलंक और भेदभाव पर काबू पाना

कोविड -19 से निपटने के लिए 46,000 से अधिक आशा कार्यकर्ता स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम कर रही हैं

ओडिशा | ओडिशा में खुर्दा जिले के गांव कांडालेई की एक आशा कार्यकर्ता मंजू जीना कोविड ​​-19 से संबंधित गतिविधियों में मदद करने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं और वह यह सुनिश्चित करने में लगी रहती है कि उनके समुदाय को आवश्यक और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिलती रहें। वर्षों से पूरी प्रतिबद्धता के साथ की गई अपनी सामुदायिक सेवा के दौरान मंजू ने ऐसी सामाजिक प्रतिष्ठा (पूंजी) हासिल कर ली है जिसने उन्हें कोविड -19 से संबंधित कलंक और परिणामस्वरूप उससे उत्पन्न भेदभाव को मिटाने में प्रभावी ढंग से बातचीत करने में सक्षम बना दिया है। शहर में कोविड महामारी से परेशान जब एक युवा प्रवासी गांव लौटा तो उसे गांव और उसके घर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। इस पर मंजू आशा उसके साथ समाज के कलंकपूर्ण व्यवहार को रोकने के लिए अपने बूते मजबूती से सामने आई। उन्होंने कोविड -19 पर समाज को जागरूक करते हुए इस बात पर जोर दिया कि गांव लौटा प्रवासी अपने घर में क्वारंटाइन में रह सकता है। उन्होंने क्वारंटाइन अवधि के दौरान उस युवक के स्वास्थ्य की स्थिति पर नजर रखने और उसके लिए स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सख्ती से काम लिया।

लॉकडाउन के दौरान मंजू आशा ने अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित की। उन्होंने कई गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित किया और इस काम में उनका सीधा सहयोग भी किया। यही नहीं, आशा की भूमिका में अपने काम के निर्वहन के बाद मंजू ने अपने घर में ही मास्क तैयार करके उन्हें गांव के गरीबों के बीच बांटने का भी काम किया।

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