National

गैर-कोविड रोगियों की अनजाने में उपेक्षा नहीं करनी चाहिए-डॉ. जितेन्द्र सिंह

कोविड के बाद के चरण में, भारत की स्‍वास्‍थ्‍य सेवा सुविधा को प्रमुखता से बढ़ावा मिल सकता है, अगर विवेकपूर्ण तरीके से योजना बनाई जाए: डॉ. सिंह

नई दिल्ली । केन्द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज चिकित्‍सा जगत, कॉरपोरेट अस्‍पताल क्षेत्र,  प्रमुख अनुसंधान संगठनों से जुड़े भारत के शीर्ष पेशेवरों और चिकित्सा अर्थशास्त्रियों के साथ कोविड के बाद स्‍वास्‍थ्‍य सेवा के बारे में चर्चा की। डेढ़ घंटे की वीडियो कॉन्फ्रेंस में, जिन लोगों ने सहयोग की पेशकश की, उनमें चेन्नई के अंतरराष्ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. वी. मोहन, मेदांता के सीएमडी डॉ. नरेश त्रेहन, नारायण हेल्थ बेंगलुरु के अध्‍यक्ष डॉ. देवी शेट्टी, अपोलो अस्‍पताल की संयुक्‍त एमडी डा. संगीता रेड्डी, बायोकॉन बेंगलुरु की सीएमडी किरण मजुमदार शॉ, सीएसआईआर नई दिल्ली के डीजी डॉ. शेखर मंडे, पुदुचेरी से डॉ. डी. सुंदररामन, एम्स नई दिल्ली से डॉ.शक्ति गुप्ता, एनआईपीएफपी नई दिल्ली के निदेशक डॉ. रतिन रॉय, डीएचएफआई नई दिल्ली के अध्‍यक्ष प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी और छत्तीसगढ़ के डॉ. योगेश जैन शामिल हैं।

अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कठोर परिश्रम और दक्षता के साथ कोविड महामारी के पहले चरण से निपटने के बाद, अब समय आ गया है जब भारत को कोविड के बाद के चरण की योजना बनानी चाहिए और यह रणनीति बनानी चाहिए कि इस आपदा को कैसे परास्‍त करके एक अवसर के रूप में बदला जा सकता है जिससे हम अपनी भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत बना सकें। उन्होंने कहा, अगर अंतर्दृष्टि के साथ विवेकपूर्ण तरीके से योजना बनाई जाए, तो यह न केवल विश्व स्तर के मानक के लिए, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भारत के भविष्य के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने का अवसर हो सकता है।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, मेडिकल बिरादरी की एक और चिंता यह है कि जब हम कोविड की चुनौती को जीतने के लिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं, तो हमें गैर-कोविड रोगियों की अनजाने में उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, जिनमें मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गैर-संचारी बीमारियों से पीड़ित लोग भी शामिल हैं जो कोविड की उपस्थिति के बावजूद उच्च मृत्यु दर जारी रखता है और साथ ही साथ सह-रुग्णता होने के कारण कोविड रोगियों की मृत्यु दर में भी योगदान देता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी, कोविड के खिलाफ लड़ाई जारी रह सकती है और बड़े पैमाने पर आबादी की स्क्रीनिंग का आह्वान किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा करने की जिम्‍मेदारी को स्वास्थ्य देखभाल के लिए भविष्य की योजना को ध्‍यान में रखते हुए तौलना होगा। चर्चा के दौरान, गंभीरता के आधार पर कोविड मामलों की उच्च स्तरीय निगरानी और वर्गीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसका मनोवैज्ञानिक नतीजा भी चर्चा के लिए सामने आया।

अर्थव्यवस्था पर चर्चा करते समय, राय यह थी कि किसी भी भविष्य की योजना में, स्वास्थ्य क्षेत्र को बहुत अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि यह भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख घटक बन जाए। साथ ही, भारत में विनिर्माण और फार्मा क्षेत्र को विशेष रूप से ऐसे समय में प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जब दुनिया के अधिकांश देश भारत के साथ व्यापार को प्राथमिकता देंगे। मौजूदा स्वास्थ्य क्षेत्र को वित्तीय प्रोत्साहन देने के लिए अन्य सुझावों में विभिन्न विकल्पों को शामिल किया गया है। गैर-कोविड ​​स्थितियों जैसे गैर-संचारी रोगों के मामले में निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर भी विस्तार से चर्चा की गई।

VARANASI TRAVEL
SHREYAN FIRE TRAINING INSTITUTE VARANASI

Related Articles

Back to top button
%d bloggers like this: