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यूक्रेन संघर्ष में कोई पक्ष विजेता नहीं, सभी को होगा नुकसान : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष के बारे में कहा कि इस युद्ध में कोई भी पक्ष विजेता नहीं हो सकता। इससे सभी का नुकसान होगा और भारत शांति का पक्षधर है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ सोमवार को एक साझा प्रेसवार्ता में कहा कि यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने का एक मात्र रास्ता बातचीत है। यूक्रेन के घटनाक्रम से विश्व बाजार में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है। इसका सबसे खराब असर विकासशील देशों पर पड़ेगा।

उन्होंने कहा, “यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, विश्व में खाद्यान और उर्वरकों की कमी हो रही है। इससे विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है। विकासशील और गरीब देशों पर इसका और खराब असर पड़ेगा।”प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार यूक्रेन के घटनाक्रम को ‘युद्ध’ की संज्ञा दी। हालांकि उन्होंने इस संबंध में रूस का नाम नहीं लिया और ना ही उसकी आलोचना की।दूसरी ओर जर्मन चांसलर ने युद्ध के लिए रूस पर दोषारोपण करते हुए इसके खिलाफ लोकतांत्रिक देशों की लामबंदी पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने कहा, “मैं व्लादिमीर पुतिन से अपनी अपील दोहराता हूं, इस मूर्खतापूर्ण हत्याओं को खत्म करो, यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाओ।”

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने फिर तेजी पकड़ ली है। दुनिया में आर्थिक वृद्धि की बहाली के लिए भारत एक प्रमुख स्तंभ साबित होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूक्रेन के घटनाक्रम से प्रभावित होने वाले देशों को भारत ने तेल की आपूर्ति की है तथा आर्थिक सहायता मुहैया कराई है।उन्होंने कहा कि हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रम से दुनिया में शांति और स्थायित्व पर विपरीत असर पड़ा है। इससे यह बात भी साबित हुई है कि दुनिया के विभिन्न देश किस तरह एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रधानमंत्री और जर्मन चांसलर की बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने हरित और टिकाऊ ऊर्जा साझेदारी कायम करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। जर्मनी द्विपक्षीय सहयोग की इन परियोजनाओं के लिए 10 अरब यूरो की धनराशि उपलब्ध करायेगा। दोनों देशों ने हरित हाइड्रोजन कार्यबल गठित करने का भी फैसला किया है।चांसलर ओलाफ शोल्ज ने प्रधानमंत्री मोदी को जर्मनी में आयोजित होने वाली विकसित देशों की संस्था जी7 की बैठक के लिए आमंत्रित किया। पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि यूक्रेन घटनाक्रम के संबंध में भारत की तटस्थ नीति के कारण संभवतः उसे जी7 बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाए।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के पूर्ण सत्र की सह-अध्यक्षता की। अपने उद्घाटन भाषण में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख पहलुओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-जर्मनी साझेदारी एक जटिल दुनिया में सफलता के उदाहरण के रूप में काम कर सकती है। उन्होंने भारत के आत्मनिर्भर अभियान में जर्मनी को भागीदारी के लिए भी आमंत्रित किया।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह और डीपीआईआईटी सचिव अनुराग जैन ने भी बैठक में भाग लिया और अपनी प्रस्तुती दीं।(हि.स.)

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