दुनिया में कोई भी हमें इस पर प्रवचन देने की स्थिति में नहीं है : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताया और इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में किसी के पास इस पहलू पर हमें उपदेश देने की साख नहीं बची है। उन्होंने कहा कि हमारी संवैधानिक संस्थाएं मजबूत और स्वतंत्र हैं तथा हमें अपनी न्यायिक प्रणाली पर गर्व है।नई दिल्ली में न्यूज 18 नेटवर्क की ओर से आयोजित राइजिंग इंडिया समिट-2023 में समापन भाषण में श्री धनखड़ ने कहा कि यह दुखद है कि हममें से कुछ लोग हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कलंकित करने के लिए बिना सोचे-समझे कुटिल अभियान चला रहे हैं।
भारत की अखंडता के खिलाफ वर्चुअल युद्ध के प्रति सभी को जागरूक होने का आह्वान करते हुए उन्होंने आगाह किया कि भीतर और बाहर की भयावह ताकतें हमारे विकास पथ को दूषित करने, कम करने तथा हमारी सफलता को कम करने के लिए एक खतरनाक एजेंडे के साथ काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने का मुकाबला करने के लिए एक ईकोसिस्टम को आकार दिया जा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक राष्ट्र राज्य के रूप में भारत की लेजिटमेसी पर हमला करते हुए संसद सहित इसकी संवैधानिक संस्थाएं देश के बाहर कुछ लोगों का पसंदीदा शगल बन रही हैं। उन्होंने कहा, “आपको दुनिया में ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा कि सत्ता के पदों पर बैठे लोग अपने ही देश को नीचा दिखाने के लिए दूसरे देशों में चले जाएं।”भ्रष्टाचार के मुद्दे को राजनीतिक और पक्षपातपूर्ण चश्मे से देखने पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि “लोकतंत्र में कोई भी किसी भी आधार पर कानून से ऊपर और कानून की पहुंच से परे होने का दावा नहीं कर सकता है।”
हाल के वर्षों में शासन सुधारों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनसे पारदर्शी और जवाबदेह ईको सिस्टम विकास हुआ है। “पावर कॉरिडोर, जो लंबे समय से लाइजनिंग से प्रभावित थे, लेकिन इस संस्कृति को अब खत्म कर दिया गया है। यह एक समय में एक आकर्षक काम हुआ करता था।” उन्होंने कहा नौकरशाही की स्थिति में एक बड़ा परिवर्तन भी दिखता है।यह देखते हुए कि “संसद में अव्यवस्था सामान्य व्यवस्था बन गई है,” श्री धनखड़ चाहते थे कि विधायिकाएं संवाद, बहस, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए वास्तविक मंच बनें, न कि व्यवधान और गड़बड़ी का रंगमंच। यह कहते हुए कि सभी को हमारे लोकतंत्र के पोषण और प्रस्फुटन के लिए काम करना चाहिए, उन्होंने पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे ऐसा माहौल तैयार करें ताकि हमारे सांसद, लोकतंत्र के मंदिरों में, बड़े पैमाने पर लोग उच्च मानकों का अनुकरण कर सकें।
खुद को न्यायपालिका का सिपाही बताते हुए और अपने लंबे कानूनी करियर का जिक्र करते हुए, श्री धनखड़ ने सुझाव दिया कि संवैधानिक संस्थाओं के शीर्ष पर बैठे लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र में टिप्पणी करने से बचना चाहिए।इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने “वॉयस ऑफ इंडिया-मोदी एंड हिज ट्रांसफॉर्मेटिव मन की बात” नामक एक कॉफी टेबल बुक का भी अनावरण किया। पुस्तक में भारत की सफलता की उन कहानियों पर प्रकाश डाला गया है जिनका उल्लेख प्रधानमंत्री के मन की बात के एपिसोड में किया गया था।इस अवसर पर राज्यसभा के उप सभापति डॉ. हरिवंश और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
मन की बात जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले लोगों की सराहना करती है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कॉफी टेबल बुक “वॉयस ऑफ इंडिया-मोदी एंड हिज ट्रांसफॉर्मेटिव मन की बात” प्रकाशित करने के लिए सीएनएन न्यूज 18 नेटवर्क की सराहना की है। इसका विमोचन उपराष्ट्रपति ने न्यूज 18 राइजिंग इंडिया सम्मेलन में किया गया। यह पुस्तक उल्लेखित लोगों और उनके द्वारा सृजित प्रभाव को अंगीकार करती है।
उपराष्ट्रपति के एक ट्वीट के उत्तर में, श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा:
“मन की बात का सबसे सुंदर पहलू वह तरीका है जिसमें जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाले लोगों की सराहना की जाती है। चूंकि यह कार्यक्रम सौ एपिसोड पूरे कर चुका है, मैं सीएनएन न्यूज 18 के प्रयासों की सराहना करता हूं जिसमें उन्होंने मन की बात में उल्लेखित लोगों और उनके द्वारा सृजित प्रभावों को स्वीकार किया है।”
The most beautiful part about #MannKiBaat is the manner in which it celebrates grassroots level change makers. As this programme completes hundred episodes, I compliment efforts like the one by @CNNnews18 to acknowledge the people mentioned and the impact they have created. https://t.co/T6egxnw15D
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2023