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नीतीश ने आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 75 प्रतिशत करने का दिया प्रस्ताव

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है ।श्री कुमार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा में पेश जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद कहा कि अनुसूचित जातियों-जनजातियों को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण मिलता है। 2011 की जनगणना की तुलना में इनकी आबादी बढ़ी है। इसलिए अनुसूचित जाति को 16 के बदले 20 और जनजातियों को एक के बदले दो प्रतिशत आरक्षण दिया जाए । इसी तरह पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों की भी आबादी बढ़ी है। उन्हें अभी 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, इसे बढ़ा कर 43 प्रतिशत किया जाए। पिछड़े वर्ग की महिलाओं को पहले से मिलने वाला तीन प्रतिशत आरक्षण इसमें समायोजित कर दिया जाएगा। राज्य सरकार पहले से ही महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे रही है। इसलिए अब इसकी आवश्यकता नहीं रह गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण यथावत रहेगा । इस तरह आरक्षण 60 से बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगा । उन्होंने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 94 लाख गरीब परिवार हैं । इन गरीब परिवार को 2 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी।श्री कुमार ने कहा कि सभी जाति के गरीबों को मदद पहुंचाई जाएगी। उन्हें जमीन खरीदने के लिए 60 हज़ार रुपये के बदले एक लाख रुपये दिया जाएगा। इसके अलावा घर बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये दिया जाता है। इस पर 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को 50-50 हजार रुपये प्रति वर्ष खर्च कर 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा लेकिन विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए तो 2 साल मे ही यह लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा,”जातीय जनगणना को लेकर केंद्र से हम लोग मिले थे,तब उन्होंने मौखिक रूप से कह दिया कि आप अपने राज्य में करा लीजिए। इसके बाद निर्णय हुआ कि जनगणना केंद्र करेगा और हम लोग जातीय गणना करेंगे।”उन्होंने कहा कि जब वह पहली बार लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे तब तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने जातीय जनगणना के संबंध में उनसे बात की थी। उनकी इस बात से वह काफी प्रभावित हुए थे । इसके बाद उन्होंने अपने दल के नेताओं से भी इस संबंध में बातचीत की थी।श्री कुमार ने कहा कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से देश में जातीय जनगणना कराने की मांग की थी, लेकिन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बोल रहे हैं कि इस जाति की आबादी बढ़ा दी गई और उस जाति की घटा दी गई। यह सब बेकार की बात है। अगर किसी को दिक्कत है तो केंद्र से जातीय जनगणना करा ले। (वार्ता)

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