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निर्भया मामला: न्यायालय ने दया याचिका खारिज करने के खिलाफ दोषी मुकेश की अपील ठुकराई

नयी दिल्ली, जनवरी । उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के एक दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील बुधवार को ठुकरा दी।

न्यायमूर्ति आर. भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की एक पीठ ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका का शीघ्र निपटारा किए जाने का मतलब यह नहीं है कि उन्होंने सोच-समझकर फैसला नहीं किया।

पीठ ने कहा कि निर्भया मामले में सुनवाई अदालत, उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत के फैसले सहित प्रासंगिक रिकॉर्ड राष्ट्रपति के समक्ष गृह मंत्रालय की ओर से पेश किए गए।

अदालत ने यह भी कहा कि जेल में कथित पीड़ा का सामना करने को राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के खिलाफ आधार नहीं बनाया जा सकता ।

इससे पहले, दोषी मुकेश कुमार सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दावा किया था कि उसकी दया याचिका पर विचार के समय राष्ट्रपति के समक्ष सारे तथ्य नहीं रखे गये।

पीठ ने केन्द्र द्वारा मंगलवार को पेश की गई दो फाइलों को जिक्र करते हुए कहा कि 15 जनवरी को दिल्ली सरकार द्वारा गृह मंत्रालय को भेजे गए पत्र के अनुसार सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश किए गए।

पीठ ने कहा कि सुनवाई अदालत, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेश की विस्तृत जानकारी, सिंह की ओर से दायर सुधारात्मक याचिका संबंधी जानकारी, उसके पुराने अपराधों का लेखा-जोखा और उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि संबंधी सभी जानकारी दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय को भेजी थी।

पीठ ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सभी दस्तावेजों पर गौर किया। ’’

पीठ ने दोषी के वकील की दलीलों पर भी गौर किया, जिसमें कहा गया था कि दया याचिका जल्दबाजी में खारिज की गई।

इस पर पीठ ने कहा कि अगर दया याचिका शीघ्र भी खारिज की गई तो ऐसा माना नहीं जा सकता कि पूर्व-निर्धारित सोच के आधार पर निर्णय लिया गया।

दिल्ली में दिसम्बर 2012 में हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार मुजरिमों को अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी। इन दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी।

मुकेश कुमार सिंह दया याचिका खारिज होने के बाद ही अदालत ने चारों मुजरिमों -मुकेश, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार, को एक फरवरी को सुबह छह बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के आदेश पर अमल के लिये आवश्यक वारंट जारी किये थे।

इससे पहले अदालत ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने के लिये वारंट जारी किये थे।

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