
राष्ट्र ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की
कृतज्ञ राष्ट्र ने सोमवार को महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रपिता को याद किया। इस मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजघाट पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने बापु की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस संबंध में राष्ट्रपति के ट्विटर हैंडल से एक वीडियो ट्वीट भी किया गया है।
LIVE: President Droupadi Murmu attends Sarva Dharma Prarthana Sabha at Rajghat on Martyrs’ Day https://t.co/C3ireM2wci
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 30, 2023
‘कभी भुलाया नहीं जा सकता बापू का बलिदान’
वहीं पीएम मोदी ने महात्मा गांधी को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट कर कहा-‘मैं बापू को उनकी पुण्यतिथि पर नमन करता हूं और उनके गहन विचारों को याद करता हूं। मैं उन सभी लोगों को भी श्रद्धांजलि देता हूं जो हमारे राष्ट्र की सेवा में शहीद हुए हैं। उनके बलिदानों को कभी भुलाया नहीं जाएगा। वे विकसित भारत के लिए काम करने के हमारे संकल्प को मजबूत करते रहेंगे।’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजघाट में राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी राजघाट पहुंच कर महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
I bow to Bapu on his Punya Tithi and recall his profound thoughts. I also pay homage to all those who have been martyred in the service of our nation. Their sacrifices will never be forgotten and will keep strengthening our resolve to work for a developed India.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 30, 2023
1948 में आज ही के दिन महात्मा गांधी की हुई थी हत्या
ज्ञात हो, प्रतिवर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि 30 जनवरी को कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 1948 में आज ही के दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी। भारत में आजादी के ठीक एक साल बाद इसी तारीख को महात्मा गांधी की हत्या की खबर से समूची दुनिया स्तब्ध रह गई थी और समूचा राष्ट्र रो पड़ा था।
गांधी जी की प्रेरणा से देश आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर
उनकी प्रेरणा से ही देश आज एक नए, विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर है। देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीदों की प्रेरणा हमारे इस संकल्प को सदा मजबूत करते रहेंगे। इसी उपलक्ष में आज गांधी जी की पुण्यतिथि पर नई दिल्ली में राजघाट स्थित गांधी समाधि पर अंतरधार्मिक प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। इस दौरान पीएम मोदी राजघाट पहुंचे और महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
अहिंसा की शक्ति से पूरी दुनिया को कराया परिचित
साल 1949 से इस परंपरा का निर्वहन हम करते आ रहे हैं। अहिंसा की राह पर चलते हुए गांधी जी ने देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका अदा की। इस प्रकार महात्मा गांधी ने अहिंसा की शक्ति से पूरी दुनिया को अपने विचारों से प्रभावित किया है। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर कई किताबें भी लिखीं, जो हमें आज भी जीवन की नई राह दिखाती हैं क्योंकि उनके ये अनुभव, उनका अहिंसा का सिद्धांत, उनके विचार आज भी उतने ही सार्थक हैं, जितने उस दौर में थे।
गांधी जी के तीन सूत्रों पर काम कर रही सरकार
गांधी जी के जीवन के तीन महत्वपूर्ण सूत्र थे, जिनमें पहला था सामाजिक गंदगी दूर करने के लिए झाडू का सहारा। दूसरा, जात-पात और धर्म के बंधन से ऊपर उठकर सामूहिक प्रार्थना को बल देना। तीसरा, चरखा, जिसे आगे चलकर आत्मनिर्भरता और एकता का प्रतीक माना गया। पीएम मोदी ने भी गांधी जी के इन सूत्रों को अपनाया है। वर्तमान में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के कार्यों में समय-समय पर गांधी जी के इन्हीं सूत्रों की झलक देखने को मिलती रहती है। चाहे वह ‘स्वच्छता अभियान’ हो या मेक इन इंडिया के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत मुहिम वर्तमान सरकार की योजनाओं में गांधी जी के इन्हीं सूत्रों का मार्ग नजर आता है।
गांधी के विचारों में थी ऐसी ताकत, विरोधी भी करते थे तारीफ
गांधी के विचारों में ऐसी ताकत थी कि विरोधी भी उनकी तारीफ किए बगैर नहीं रह सकते थे। 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। 02 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी ने राजनीति में कभी कोई बड़ा पद भले ही हासिल नहीं किया हो लेकिन अपने कार्यों की बदौलत वे साधारण से नागरिक होते हुए भी महात्मा गांधी बन गए और आज राष्ट्रपिता के रूप में जाने जाते हैं। 06 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो स्टेशन से पहली बार महात्मा गांधी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।
शहीद दिवस पर राहुल ने किया बापू को नमन
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया।श्री गांधी ने कहा कि राष्ट्रपिता ने पूरे देश को प्यार का संदेश दिया, सभी धर्मों का सम्मान करते हुए देश के लोगों को मिलजुल कर जीने का संदेश देते हुए सच के लिए लड़ना सिखाया था।उन्होंने ट्वीट कर कहा, “बापू ने पूरे देश को प्रेम, सर्वधर्म समभाव के साथ जीना और सत्य के लिए लड़ना सिखाया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहीद दिवस पर उन्हें कोटि कोटि नमन।”
राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 75वीं पुण्यतिथि पर मोरहाबादी के बापू वाटिका स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा नमन किया।मौके पर संवाददाताओं से बात-चीत करते हुए मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि हमसभी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार, आदर्श तथा संदेश को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। आज का दिन देश के लिए स्मरणीय दिन है। किसी भी हाल में उनके विचारों को समाप्त नही होने देना चाहिए।
इस अवसर पर बापू वाटिका स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रतिमा स्थल पर भजन मंडली के कलाकारों ने बापू के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे’ तथा रामधुन प्रस्तुत किये।मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन भी रखा गया। इस अवसर पर राज्यपाल श्री बैस एवं मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने चरखा चलाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किया।इस अवसर पर रांची मेयर आशा लकड़ा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, विधायक सी०पी० सिंह, विधायक समरी लाल, दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल आयुक्त प्रवीण टोप्पो, उपायुक्त रांची राहुल कुमार सिन्हा, वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल, खादी बोर्ड के मैनेजर विभूति राय, टाना भगत समुदाय के प्रतिनिधि सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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8 फरवरी 1921 को गांधीजी का गोरखपुर आना हुआ था। उन्होंने बालेमियां के मैदान में लाखों की भीड़ को संबोधित किया था। तब गोरखपुर की आबादी सिर्फ 58 हजार थी। यातायात के साधन सीमित थे। ऐसे में उनको सुनने आया जनसैलाब उस महामानव की बेशुमार लोकप्रियता का सबूत था।#History pic.twitter.com/OleQnRZ2iN— Girish Kumar Pandey (@GirishPandy) January 30, 2023