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धान समेत 14 फसलों का बढ़ा एमएसपी

महाराष्ट्र में मुंबई के पास बनेगा 72 हजार करोड़ रुपए की लागत से नया बंदरगाह

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2024 – 25 के लिए धान, बाजरा, मक्का, तिल और कपास समेत 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की घोषणा की है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल काला तिल और कपास का समर्थन मूल्य बढ़ाने की प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सरकार के इस फैसले से किसानों के पास दो लाख करोड रुपए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए विपणन सत्र 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है। पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि तिलहन और दलहन के लिए की गई है। काला तिल के एमएसपी 983 रुपये प्रति क्विंटल, तिल में 632 रुपये प्रति क्विंटल और अरहर में 550 रुपये प्रति क्विंटल‌ की बढ़ोतरी की गई है।नई घोषणा के अनुसार खरीफ सीजन 2024 -25 में धान के लिए एमएसपी 117 रुपए बढ़ाकर 2300 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। ग्रेड ए के लिए यह 2320 रुपए प्रति क्विंटल होगा। ज्वार- संकर का एमएसपी 191 रुपए बढ़ाकर 3571 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। ज्वार- मालडंडी का एमएसपी 196 रुपए बढ़ाकर 3421 रुपए प्रति क्विंटल होगा।बाजरे का एमएसपी 125 रुपए बढ़ाकर 2625 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है।

रागी का एमएसपी 444 रुपए बढ़ाकर 4290 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। मक्का का एमएसपी 135 रुपए बढ़ाकर 2225 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।अरहर के एमएसपी में 550 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसका एमएसपी 7550 रुपए प्रति क्विंटल होगा। मूंग का एसपी 124 रुपए बढ़कर 8682 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। उड़द का एमएसपी 450 रुपए की वृद्धि के साथ 7400 रुपए प्रति क्विंटल होगा।मूंगफली का एमएसपी 406 रुपए बढ़कर 6783 रुपए, सूरजमुखी का 520 रुपए बढ़कर 7280 रुपए, तिल का 632 बढ़कर 9267 रुपए और काला तिल का 983 रुपए बढ़कर 8717 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।कपास – मध्यम का न्यूनतम समर्थन मूल्य 501 रुपए बढ़कर अब 7121 प्रति क्विंटल होगा।

महाराष्ट्र में मुंबई के पास बनेगा 72 हजार करोड़ रुपए की लागत से नया बंदरगाह

सरकार ने देश में अवसंरचना सुविधाओं के विस्तार के प्रयासों के तहत मुंबई के पास वधावन में 76,220 करोड़ रुपये की लागत से एक नया बंदरगाह बनाने का फैसला किया है।सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में इस विषय में मंत्रिमंडल के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि यह गहरे समुद्र का बंदरगाह पूरी तरह तैयार होने पर दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में से एक होगा। इसकी कुल क्षमता 2.3 करोड़ टीयू -20 फुट वाले कंटेनर की होगी। वधावन बंदरगाह को पालघर जिले के वधावन में सभी मौसम के लिए उपयुक्त डीप ड्राफ्ट प्रमुख बंदरगाह के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें जहाजों का रास्ता इतना गहरा होगा कि उसमें बड़े से बड़े जहाज आ जा सकेंगे।

उन्होंने बताया कि जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) से करीब 150 किलोमीटर दूर नया बंदरगाह बनेगा और इसका विकास जेएनपीटी और महाराष्ट्र मेरिटाइम बोर्ड (एमएमबी) की संयुक्त उद्यम कंपनी द्वारा किया जाएगा।श्री वैष्णव ने बताया कि बंदरगाह का पहला चरण 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य है जिसकी सालाना क्षमता 1.5 करोड़ कंटनर को संभालने की होगी। दूसरा चरण में 80 लाख कंटेनर संभालने की अतिरिक्त क्षमता का विस्तार किया जाएगा।उन्होंने कहा कि बधावन बंदरगाह के विकास का विचार 60 साल पहले किया गया था, लेकिन इस पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार अमल कर रही है।

उन्होंने कहा कि इस बंदरगाह से न केवल मुंबई, थाणे और आसपास के औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगो को फायदा होगा बल्कि दिल्ली-मुंबई माल गाडी गलियारे से जुड़ा होने से देश के उत्तरी, पश्चिमी और अन्य क्षेत्र के उद्योगों को भी लाभ मिलेगा और माल ढुलाई की लागत कम हो सकेगी।परियोजना का निर्माण वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड-वीपीपीएल द्वारा किया जाएगा, जो जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी- (जेएनपीए) और महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा गठित एक विशेष प्रयोजन कंपनी में दोनों की हिस्सेदारी क्रमश: 74 प्रतिशत और 26 प्रतिशत होगी।

अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वीजीएफ योजना को मंजूरी

सरकार ने गुजरात और तमिलनाडु में पांच -पांच सौ मेगावाट क्षमता की दो अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर निधि (वीजीएफ) योजना को बुधवार को मंजूरी दी, जिसका कुल परिव्यय 7453 करोड़ रुपये है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुयी केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव काे मंजूरी दी गयी।सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुये यहां संवाददाताओं से कहा कि इसमें एक गीगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं (गुजरात और तमिलनाडु के तट पर 500-500 मेगावाट प्रत्येक) की स्थापना और कमीशनिंग के लिए 6853 करोड़ रुपये का परिव्यय और अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दो बंदरगाहों के उन्नयन के लिए 600 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है।

उन्होंने कहा कि वीजीएफ योजना 2015 में अधिसूचित राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिसका उद्देश्य भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में मौजूद विशाल अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता का दोहन करना है। सरकार की ओर से वीजीएफ सहायता अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की लागत को कम करेगी और उन्हें डिस्कॉम द्वारा खरीद के लिए व्यवहार्य बनाएगी जबकि परियोजनाएं पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए निजी डेवलपर्स द्वारा स्थापित की जाएंगी, अपतटीय सबस्टेशनों सहित बिजली उत्खनन बुनियादी ढांचे का निर्माण पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) द्वारा किया जाएगा। नोडल मंत्रालय के रूप में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय योजना के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ समन्वय करेगा।

अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण और इसके संचालन के लिए विशिष्ट बंदरगाह बुनियादी ढांचे की भी आवश्यकता होती है, जो भारी और बड़े आयाम वाले उपकरणों के भंडारण और आवाजाही को संभाल सकता है।उन्होंने कहा कि योजना के तहत, देश के दो बंदरगाहों को अपतटीय पवन विकास की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा समर्थन दिया जाएगा। अपतटीय पवन नवीकरणीय ऊर्जा का एक स्रोत है जो तटवर्ती पवन और सौर परियोजनाओं की तुलना में कई फायदे प्रदान करता है, जैसे उच्च पर्याप्तता और विश्वसनीयता, कम भंडारण आवश्यकता और अधिक रोजगार क्षमता। अपतटीय पवन ऊर्जा क्षेत्र के विकास से निवेश आकर्षित करने, स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं के विकास, मूल्य श्रृंखला में रोजगार के अवसरों के सृजन और देश में अपतटीय पवन ऊर्जा के लिए प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से अर्थव्यवस्था-व्यापी लाभ होगा।

यह भारत के ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी योगदान देगा।श्री वैष्णव ने कहा कि एक गीगावाट अपतटीय पवन परियोजनाओं के सफल संचालन से सालाना लगभग 3.72 अरब यूनिट नवीकरणीय बिजली का उत्पादन होगा, जिसके परिणामस्वरूप 25 वर्षों की अवधि के लिए कार्बन उत्सर्जन में 29.8 लाख टन की वार्षिक कमी आएगी। इसके अलावा, यह योजना न केवल भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा विकास को गति देगी, बल्कि देश में समुद्र आधारित आर्थिक गतिविधियों के पूरक के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण भी करेगी। यह पारिस्थितिकी तंत्र लगभग 4,50,000 करोड़ रुपये के निवेश से प्रारंभिक 37 गीगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास का समर्थन करेगा।(वार्ता)

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