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एमएसएमई-नई परिभाषा और मानदंड अधिसूचित किए गए; 1 जुलाई से हो जाएंगे प्रभावी

नई परिभाषा के तहत, चाहे सूक्ष्म, लघु या मध्यम कोई भी हो, किसी भी उपक्रम के टर्नओवर में नहीं होगी निर्यात की गणना , अन्य स्पष्टीकरण और नियमों के साथ विस्तृत दिशानिर्देश अलग से जारी किए जा रहे हैं , एमएसएमई को सहायता देने के उद्देश्‍य से “चैंपियन्‍स ” नामक एक मददगार पोर्टल लॉन्‍च किया गया है

नई दिल्ली । केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ने देश में एमएसएमई की परिभाषा और मानदंडों में ऊपर की तरफ संशोधन के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त करने के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी है। नई परिभाषा और मानदंड 1 जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे। 2006 में एमएसएमई विकास अधिनियम अस्तित्व में आने के 14 साल के बाद, 13 मई, 2020 को आत्मनिर्भर भारत पैकेज में एमएसएमई की परिभाषा में संशोधन किए जाने की घोषणा की गई थी। इस घोषणा के तहत सूक्ष्म विनिर्माण और सेवा इकाइयों की परिभाषा 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक बढ़ा दी गई थी। लघु इकाई के लिए सीमा 10 करोड़ रुपये के निवेश और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई थी। इसी प्रकार, मध्यम इकाई की सीमा 20 करोड़ रुपये के निवेश और 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक बढ़ा दी गई थी। भारत सरकार ने 1 जून, 2020 को एमएसएमई की परिभाषा में ऊपर की ओर संशोधन किए जाने का फैसला किया। मध्यम उपक्रमों के लिए अब यह सीमा 50 करोड़ रुपये का निवेश और 250 करोड़ रुपये का टर्नओवर होगी।

एमएसएमई की परिभाषा के वर्तमान मानदंड एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 पर आधारित हैं। यह विनिर्माण और सेवा इकाइयों के लिए अलग थे। यह वित्तीय सीमाओं के लिहाज से काफी कम भी थे। तब से अब तक अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव हो चुके हैं। 13 मई, 2020 को पैकेज के ऐलान के बाद, कई प्रस्तुतीकरणों के माध्यम से कहा गया था कि घोषित संशोधन अभी भी बाजार और मूल्य परिदृश्य के अनुरूप नहीं है, इसीलिए इसमें एक बार फिर ऊपर की ओर संशोधन किया जाना चाहिए। इन प्रस्तुतीकरणों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने मध्यम इकाइयों के लिए सीमा में और बढ़ोत्‍तरी करने का फैसला किया था। हालात के साथ तालमेल बिठाने और वर्गीकरण की उद्देश्य पूर्ण प्रणाली स्थापित करने के साथ ही कारोबार के लिहाज से सुगम माहौल बनाने के क्रम में ऐसा किया गया है।

विनिर्माण और सेवा इकाइयों के लिए वर्गीकरण का एक नया समग्र फॉर्मूला अधिसूचित किया गया है। अब, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के बीच कोई अंतर नहीं होगा। इसमें टर्नओवर का एक नया मानदंड भी जोड़ दिया गया है। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नई परिभाषा से एमएसएमई की मजबूती और विकास के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। विशेष रूप से टर्नओवर की गणना से निर्यात को अलग करने के प्रावधान से एमएसएमई को एमएसएमई इकाई का लाभ गंवाने के भय के बिना ज्यादा से ज्यादा निर्यात करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। देश के निर्यात में व्यापक बढ़ोत्‍तरी से विकास और आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोत्‍तरी होगी, साथ ही ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे। परिवर्तित परिभाषा के क्रम में वर्गीकरण के संबंध में एमएसएमई मंत्रालय द्वारा अलग से विस्तृत दिशानिर्देश और स्पष्टीकरण जारी किए जा रहे हैं। एमएसएमई मंत्रालय ने दोहराया कि इससे एमएसएमई और नए उद्यमियों की सहायता के लिए चैम्पियंस (www.champions.gov.in) के नाम से एक मददगार पोर्टल लॉन्‍च किया गया है। हाल ही में प्रधानमंत्री ने इसे लॉन्‍च किया है। इच्छुक उद्यमी/ लोग इस पोर्टल का फायदा उठा सकते हैं और अपनी जिज्ञासा या शिकायत भेज सकते हैं। इन पर तत्परता से प्रतिक्रिया दी जाएगी।

 

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