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सौर ऊर्जा से बचाया जा सकता है मानवता का भविष्य: मोदी

ग्लास्गो/नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि औद्योगिक क्रांति ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़कर पर्यावरण का बड़ा नुकसान किया है लेकिन हम सूर्य के माध्यम से प्रकृति से फिर से जुड़कर मानवता के भविष्य को बचा सकते हैं।श्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के महासम्मेलन कॉप 26 के दूसरे दिन मंगलवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ संयुक्त रूप से एक हरित ग्रिड , ‘एक सूर्य , एक विश्व और एक ग्रिड’ की पहल को लांच करने के मौके पर यह बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस पहल की परिकल्पना कई वर्ष पहले की थी और आज वह मूर्त रूप ले रही है।इस मौके पर उन्होंने एक और महत्वपूर्ण घोषणा भी कि भारत की अंतरिक्ष एजेन्सी इसरो जल्द ही एक ऐसा सौर कैलकुलेटर बनाने जा रही है जो किसी भी जगह की सौर ऊर्जा संभावनाओं का नाप सकेगा।उन्होंने कहा , “ आज ‘वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड’ के लांच पर मेरी कई साल पुरानी इस परिकल्पना को आज अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और ब्रिटेन के ग्रीन ग्रिड पहल से एक ठोस रूप मिला है।

”प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के बल पर आयी औद्योगिक क्रांति से कई देश तो समृद्ध हुए लेकिन इसने धरती और पर्यावरण को गरीब बना दिया। इस ईंधन की होड ने भू राजनैतिक तनाव भी खड़े किये लेकिन आज प्रौद्योगिकी ने हमें एक बेहतरीन विकल्प दिया है। “ हमारे यहां कहा गया है कि सब कुछ सूर्य से ही उत्पन्न हुआ है और यही सबकी ऊर्जा का स्रोत है और इससे ही सबका पालन होता है। जब से पृथ्वी पर जीवन उत्पन्न हुआ तभी से सभी प्राणियों का जीवन चक्र सूर्य के उदय और अस्त होने से जुडा हुआ है।

जब तक प्रकृति से संबंध जुडा रहा है तब तक हमारा ग्रह भी स्वस्थ रहा लेकिन आधुनिक काल में मनुष्य ने सूर्य के इस चक्र से आगे निकलने की होड में प्राकृतिक संतुलन को गडबडाया और पर्यावरण का बड़ा नुकसान भी कर लिया। ”उन्होंने कहा कि अगर हमें फिर से प्रकृति के साथ संतुलित जीवन का संबंध स्थापित करना है तो इसका रास्ता सूर्य से ही प्रकाशित होगा। मानवता के भविष्य को बचाने के लिए हम फिर से सूरज के साथ चलना होगा क्योंकि जितनी ऊर्जा पूरी मानवजाति साल भर में उपयोग करती है उतनी ऊर्जा सूर्य पृथ्वी को एक घंटे में देता है और यह पूरी तरह स्वच्छ तथा सतत ऊर्जा है।

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