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भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लक्ष्य महत्वाकांक्षी, पर हासिल किए जाएंगे: मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लक्ष्य लोगों को भले ही महत्वाकांक्षी लगते हो, लेकिन इस क्षेत्र में देश की हाल की उपलब्धियों से विश्वास जगा है कि ये लक्ष्य जरूर हासिल होंगे।श्री मोदी ने ऊर्जा क्षेत्र पर भारत के प्रतिष्ठित सम्मेलन -इंडिया एनर्जी वीक का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत ऊर्जा के मामले में भारत ऐसे समाधान देने के लिए प्रतिबद्ध है जो हमारी आर्थिक वृद्धि को शक्ति देने के साथ साथ हमारी प्रकृति को भी समृद्धि करने वाले हों। उन्होंने उर्ज क्षेत्र के विकास और कार्बन उत्सर्जन में कमी के भारत के लक्ष्यों के बारे में कहा, “हमारे ये लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी लग सकते हैं, लेकिन बीते 10 साल में जो भारत ने हासिल किया है, उससे ये विश्वास पैदा हुआ है कि ये लक्ष्य भी हम जरूर हासिल कर लेंगे।

”प्रधानमंत्री मोदी इस समय फ्रांस की यात्रा पर है। उन्होंने सम्मेलन को आडियो विजुअल कांफ्रेंसिंग सुविधा के माध्यम से संबोधित किया। जिसमें केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य, अधिकारी विभिन्न देशों के राजनयिक, देश विदेश की ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। उन्होंने इस सम्मेलन को ऊर्जा क्षेत्र को लेकर देश की महत्वाकांक्षाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।उन्होंने कहा कि भारत इस समय विश्व की आर्थिक गाड़ी को शक्ति प्रदान कर रहा है और इसमें ऊर्जा क्षेत्र की बड़ी भूमिका है।प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाएं स्तम्भों पर खड़ी हैं। उन्होंने कहा, “इस वर्ष के बजट में हमने न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर को भी ओपन कर दिया है। एनर्जी में हो रहा हर निवेश, नौजवानों के लिए नई जॉब्स क्रिएट कर रहा है, ग्रीन रोजगार के अवसर बना रहा है।

”इन स्तम्भों की व्याख्या करते हुए कहा, “हमारे पास संसाधन हैं, जिनको हम उपयोग में ला रहे हैं। दूसरा, हम अपने प्रखर बुद्धि के लोगों को को नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। तीसरा, हमारे पास आर्थिक शक्ति है, राजनीतिक स्थायित्व है। चौथा, भारत की भौगोलिक स्थित रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जो हमारे लिए खनिज ऊर्जा के व्यापार को ज्यादा आकर्षक और आसान बनाती है। और पांचवां, भारत वैश्विक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए प्रतिबद्ध है। इससे भारत के ऊर्जा क्षेत्र में में नई संभावनाएं तैयार हो रही हैं।”उन्होंने कहा, “भारत के लिए अगले दो दशक बहुत अहम हैं और इसमें आने वाले पांच साल में हम अनेक बड़े पड़ाव पार करने वाले हैं। वर्ष 2030 तक हम पांच लाख मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता जोड़ना चाहते हैं। वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे ने निवल शुद्ध उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2030 तक हम हर साल, पांच लाख करोड़ टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य लेकर चल रहे है और इसे हासिल कर सकें, ये हमारा लक्ष्य है।

”उन्होंने कहा कि बीते दस साल में भारत ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को को 32 गुना बढ़ाया है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पैदा करने वाला देश है। हमारी गैर खनिज ईंधन आधारित उत्पादन क्षमता तीन गुना बढ़ी है। भारत जी-20 देशों में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने वाला पहला देश है। इथेनॉल ब्लेडिंग, आज भारत 19 प्रतिशत ब्लेडिंग कर रहा है। देश अक्टूबर 2025 से पहले ही 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण की राह पर बढ़ रहा है। आज भारत की जैव ईंधन उद्योग तेजी से बढ़ करने के लिए तैयार है। हमारे पास 50 करोड टन का का स्वस्थ जैव ईंधन स्टॉक है।उन्होंने कहा कि भारत में खपत हो रही ऊर्जा में प्राकृतिक गैस का अनुपात बढ़ रहा है। भारत अभी चौथा सबसे बड़ा तेल शोधन केंद्र है और हम अपनी तेल शोधन क्षमता 20 प्रतिशत तक बढ़ाने में जुटे हैं |

उन्होंने कहा कि भारत के सेडिमेंटरी (तलछटी) थालों में कई सारे हाइड्रोकार्बन स्रोत उपस्थित हैं। इनमें से कई का पता चल चुका है, और कई ऐसे हैं जिन्हें खोजा जाना बाकी है।उन्होंने कहा कि भारत का तेल-गैस उत्खनन क्षेत्र इंडिया का और आकर्षक हो, इसके लिए सरकार ने ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी बनाई है। उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न सुधारों के कारण समुद्री क्षेत्र में तेल और गैस की खोज करने, उत्पादन बढ़ाने और रणनीतिक पेट्रोलियम भांडार को संभालना आसान होगा।उन्होंने कहा कि देश में बढ़ते पाइपलाइन इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण, नेचुरल गैस की सप्लाई बढ़ रही है। और इसी कारण, आने वाले समय में नैचुरल गैस का उपयोग भी बढ़ने वाला है। इन सारे क्षेत्रों में आपके लिए निवेश की बहुत सारी संभावनाएं बन रही हैं।प्रधानमंत्री ने ईबी स्टोरेज बैटरी आदि का विनिर्माण प्रोत्साहित करने की पहलों का उल्लेख करते हुए कहा भारत का बहुत बड़ा फोकस, मेक इन इंडिया पर है, स्थानीय सप्लाई चेन पर है।

उन्होंने कहा, “बैटरीज और स्टोरेज क्षमता के क्षेत्र में नवाचार और विनिर्माण्, दोनों के लिए बहुत अवसर है। भारत बहुत तेज़ गति से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की तरफ बढ़ रहा है। इतने बड़े देश की मांग को पूरा करने के लिए बैटरीज़ और भंडारण क्षमता के क्षेत्र में हमें बहुत तेज़ी से काम करना है। ”उन्होंने हाल के बजट प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि कोबाल्ट पाउडर, लिथियम आयन बैटरी वेस्ट, लेड, ज़िंक, ऐसे अनेक क्रिटिकल मिनरल्स से ड्यूटी हटा दी गई है। नेशनल क्रिटिकल मिनरल्स मिशन भी भारत में एक सशक्त सप्लाई चेन के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाएगा। नॉन-लिथियम बैटरी इकोसिस्टम को प्रमोट करने की दिशा में भी हम आगे बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा भारत के ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए हम इसे जनता की पावर से लैस कर रहे हैं। हमने देश के सामान्य परिवारों और किसानों को ऊर्जादाता बनाया है।

उन्होंने कहा, “बीते साल हमने पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना शुरु की। इस योजना का स्कोप सिर्फ ऊर्जा उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, इसमें सोलर सेक्टर्स में नई स्किल्स बन रही हैं, नया सर्विस इकोसिस्टम बन रहा है, और आपके लिए निवेश की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।” (वार्ता)

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