
पानीपत रद्दी कपड़ों की रीसायकल का वैश्विक केंद्र के रूप में सामने आया: मोदी
जल संरक्षण में हो सबकी भागीदारी : मोदी.अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस विराट महोत्सव बना: मोदी
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ की 120वीं कड़ी के सम्बोधन में रविवार को कहा कि हरियाणा का पानीपत रद्दी कपड़ों रीसायकल यानी फिर से उपयोग में लाने लायक बनाने के मामले में वैश्विक केंद्र के रूप में सामने आया है।उन्होंने कहा कि रद्दी कपड़ों से निपटने में कुछ शहर भी अपनी नई पहचान बना रहे हैं। हरियाणा का पानीपत रद्दी कपड़ों को फिर से इस्तेमाल में लाने के मामले में वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है।श्री मोदी ने कहा कि इसी प्रकार से बेंगलुरू भी नवीन तकनीकी समाधान से अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। यहाँ आधे से ज्यादा बेकार कपड़ों को जमा किया जाता है, जो हमारे दूसरे शहरों के लिए भी एक मिसाल है।इसी तरह तमिलनाडु का तिरुपुर अपशिष्ट जल उपचार और नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से रद्दी कपड़ों के प्रबंधन में जुटा हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार ‘मन की बात’ में मैं एक ऐसी चुनौती के बारे में बात करना चाहता हूँ, जो सीधे हम सब से जुड़ी हुई है। ये चुनौती है ‘अपशिष्ट कपड़ा’ (बेकार या रद्दी कपड़े) की। आप सोच रहे होंगे, ये ‘अपशिष्ट कपड़ा’ क्या नई बला आ खड़ी हुई है? दरअसल, बेकार कपड़े पूरी दुनिया के लिए नई चिंता की एक बड़ी वजह बन गया है। आजकल दुनिया-भर में पुराने कपड़ों को जल्द-से-जल्द हटाकर नए कपड़े लेने का चलन बढ़ रहा है। क्या आपने सोचा है कि जो पुराने कपड़े आप पहनना छोड़ देते हैं, उनका क्या होता है? यही अवशिष्ट कपड़े बन जाता है।”उन्होंने कहा, “इस विषय में दुनिया भर में बहुत सारे शोध हो रहे हैं।
एक शोध में यह सामने आया है सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम ‘अपशिष्ट कपड़ों’ को नए कपड़ों में रीसायकल यानी फिर से उपयोग में लाने लायक बनाया जाता है – एक प्रतिशत से भी कम! भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा ‘अपशिष्ट कपड़े’ निकलते हैं। यानि चुनौती हमारे सामने भी बहुत बड़ी है। लेकिन मुझे खुशी है कि हमारे देश में इस चुनौती से निपटने के लिए कई सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं। कई भारतीय स्टार्ट-अप्स ने पुराने कपड़ों को एक प्रक्रिया के बाद फिर से इस्तेमाल करने लायक सुविधाएं देने का काम शुरू किया है।
कई ऐसी टीमें हैं, जो कचरा बीनने वाले हमारे भाई-बहनों के सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही हैं। कई युवा-साथी टिकाऊ फैशन के प्रयासों में जुड़े हैं। वे पुराने कपड़ों और जूते-चप्पलों को रीसायकल कर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं। बेकार कपड़ों से सजावट की चीजें, हैंडबैग, स्टेशनरी और खिलौने जैसी कई वस्तुएं बनाई जा रही हैं।उन्होंने कहा कि कई संस्थाएं आजकल ‘सर्कुलर फैशन ब्रांड’ को लोकप्रिय बनाने में जुटी हैं। किराए पर डिजाइनर कपड़े उपलब्ध कराने का काम कई जगहों पर शुरू किया गया है। कुछ संस्थाएं पुराने कपड़े लेकर उसे दोबारा उपयोग करने लायक बनाती हैं और गरीबों तक पहुंचाती हैं।
जल संरक्षण में हो सबकी भागीदारी : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण में सामूहिक योगदान की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इसके लिए गांव में परंपरागत तालाबों और जल केंद्रों का संरक्षण कर वर्षा के पानी को बेकार होने से बचाने के लिए सामूहिक अभियान चलाने का सबको प्रयास करना चाहिए।श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी से प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 120वीं कड़ी के प्रसारण के दौरान देश की जनता से यह अपील करते हुए कहा कि जो संसाधन प्रकृति ने हमें दिए हैं उन्हें हम अपनी अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं और यह हम सबका नैतिक दायित्व भी होना चाहिए।उन्होंने कहा, “गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर-शहर, गांव-गांव, पानी बचाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं| अनेक राज्यों में जल संरक्षण से जुड़े कामों ने नयी तेजी पकड़ी है।
जलशक्ति मंत्रालय और अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं। देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेकडैम, बोरवेल रिचार्ज, सामुदायिक सोकपिट का निर्माण हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी ‘कैच द रेन’ अभियान के लिए कमर कस ली गई है। ये अभियान भी सरकार का नहीं बल्कि समाज का है, जनता-जनार्दन का है। जल संरक्षण से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए जल संचय जन-भागीदारी अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रयास यही है कि जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही सलामत पहुंचाना है।”प्रधानमंत्री ने कहा “बारिश की बूंदों को संरक्षित करके हम बहुत सारा पानी बर्बाद होने से बचा सकते हैं। पिछले कुछ सालों में इस अभियान के तहत देश के कई हिस्सों में जल संरक्षण के अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। मैं आपको एक दिलचस्प आंकड़ा देता हूँ।
पिछले 7-8 साल में नए बने टैंक, तालाब और अन्य जल भराव के के ढांचे से 11 अरब क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा पानी का संरक्षण हुआ है। अब आप सोचेंगे कि 11 अरब क्यूबिक मीटर कितना पानी होता है। भाखड़ा नांगल बांध में जो पानी जमा होता है, उसकी तस्वीरें तो आपने जरूर देखी होगी। ये पानी गोविंद सागर झील का निर्माण करता है। इस झील की लंबाई ही 90 किलोमीटर से ज्यादा है। इस झील में भी 9-10 अरब क्यूबिक मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है। सिर्फ 9-10 क्यूबिक मीटर पानी और देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयास से, देश के अलग–अलग हिस्सों में 11 क्यूबिक मीटर पानी के संरक्षण का इंतजाम कर दिया है-है ना ये शानदार प्रयास।”इस संदर्भ में उन्होंने कर्नाटक का एक उदाहरण देते हुए कहा “इस दिशा में कर्नाटका के गडग जिले के लोगों ने भी मिसाल कायम की है। कुछ साल पहले यहाँ के दो गाँव की झीलें पूरी तरह सूख गईं|
एक समय ऐसा भी आया जब वहाँ पशुओं के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा। धीरे-धीरे झील घास-फूस और झाड़ियों से भर गई| लेकिन गाँव के कुछ लोगों ने झील को पुनर्जीवित करने का फैसला किया और काम में जुट गए। और कहते हैं ना, ‘जहां चाह-वहाँ राह’। गाँव के लोगों के प्रयास देखकर आसपास की सामाजिक संस्थाएं भी उनसे जुड़ गईं। सब लोगों ने मिलकर कचरा और कीचड़ साफ किया और कुछ समय बाद झील वाली जगह बिल्कुल साफ हो गई। अब लोगों को इंतजार है बारिश के मौसम का। वाकई, ये ‘कैच द रेन’ अभियान का शानदार उदाहरण है। साथियो, आप भी सामुदायिक स्तर पर ऐसे प्रयासों से जुड़ सकते हैं। इस जन-आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए आप अभी से योजना जरूर बनाइये, और आपको एक और बात याद रखनी है – हो सके तो गर्मियों में अपने घर के आगे मटके में ठंडा जल जरूर रखिए| घर की छत पर या बरामदे में भी पक्षियों के लिए पानी रखिए। देखिएगा ये पुण्य कार्य करके आपको कितना अच्छा लगेगा।”
अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस विराट महोत्सव बना: मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि दस साल पहले 21 जून 2015 को शुरू हुआ पहला अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस ने अब एक विराट महोत्सव का रूप ले लिया है।श्री मोदी ने रेडियो पर अपने मासिक प्रसारण ‘मन की बात’ की 120वीं कड़ी के सम्बोधन में रविवार को कहा कि मानवता भारत की ओर से यह एक ऐसा अनमोल उपहार है, जो भविष्य की पीढ़ी के बहुत काम आने वाला है।श्री मोदी ने कहा कि साल 2025 के योग दिवस की थीम रखी गई है, ‘ योगा फॉर वन अर्थ वन हेल्थ’ यानि हम योग के जरिए पूरे विश्व को स्वस्थ बनाने की कामना करते हैं।
उन्होंने कहा,“मेरे प्यारे देशवासियो, आज फिटनेस के साथ-साथ गिनती की बड़ी भूमिका हो गई। एक दिन में कितने कदम चले इसकी गिनती, एक दिन में कितनी कैलोरीज खायी और कितनी कैलोरीज इस्तेमाल हुई इनका हिसाब, इतने सारे हिसाब के बीच, एक और उल्टी गिनती शुरू होने वाला है। विश्व योग दिवस की उल्टी गिनती। योग दिवस में अब 100 दिन से भी कम समय रह गया है। अगर आपने अपने जीवन में अब तक योग को शामिल नहीं किया है तो अब जरूर कर लीजिए अभी देर नहीं हुई है।”उन्होंने कहा कि यह हम सबके लिए गर्व करने वाली बात है कि आज हमारे योग और परंपरागत दवाओं को लेकर पूरी दुनिया में जिज्ञासा बढ़ रही है। बड़ी संख्या में युवा योग और आयुर्वेद को स्वस्थ होने के एक बेहतरीन माध्यम मानकर इसे अपना रहे हैं। अब जैसे दक्षिण अफ्रीका का देश चीली है। वहां आयुर्वेद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पिछले साल मैं ब्राज़ील की यात्रा के दौरान चीली के राष्ट्रपति से मिला था।
आयुर्वेद की इस प्रसिद्धि को लेकर हमारे बीच काफी चर्चा हुई थी। मुझे ‘सोमोस इंडिया’ नाम की टीम के बारे में पता चला है। (स्पेनिश में इसका अर्थ है – हम भारत हैं. यह टीम करीब एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में जुटी है।) उनका ध्यान उपचार के साथ-साथ शैक्षिक कार्यक्रमों पर भी है। वे आयुर्वेद और योग से संबंधित जानकारियों को स्पेनिश भाषा में अनुवाद भी करवा रहे हैं। सिर्फ पिछले वर्ष की बात करें तो उनके अलग-अलग कार्यक्रम और पाठ्यक्रम में करीब नौ हजार लोगों ने हिस्सा लिया था।श्री मोदी ने कहा,“मैं इस टीम से जुड़े सभी लोगों को उनके इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।” (वार्ता)