
पांचवीं पीढ़ी का स्वदेशी लड़ाकू विमान भारतीय एयरोस्पेस क्षेत्र को देगा नयी ऊंचाई: राजनाथ
तीन रक्षा उपक्रमों को मिला मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा
नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत में इंजीनियरिंग, उच्च परिशुद्धता विनिर्माण और भविष्य की तकनीकों के लिए विकास केंद्र बनने की स्वदेशी क्षमता को रेखांकित करते हुये पांचवीं पीढ़ी के युद्धक विमानों के निर्माण कार्यक्रम को एक साहसिक और निर्णायक कदम बताया और कहा कि यह घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नयी ऊंचाइयों पर ले जायेगा।रक्षा मंत्री ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए उद्योग जगत के दिग्गजों से कहा, “ मेक-इन-इंडिया हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अनिवार्य घटक है और इसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रभावी कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
”श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम निष्पादन मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र को पहली बार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ एक मेगा रक्षा परियोजना में भाग लेने का अवसर मिलेगा, जिससे स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी।उन्होंने भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने के लिए एएमसीए कार्यक्रम के क्रियान्वयन मॉडल को एक साहसिक और निर्णायक कदम बताया, जो घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नयी ऊंचाइयों पर ले जायेगा। उन्होंने कहा, “एएमसीए परियोजना के तहत पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन किया जाएगा। यह मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।”ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मेक-इन-इंडिया की सफलता पर प्रकाश डालते हुये, श्री सिंह ने कहा कि यदि राष्ट्र ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत नहीं किया होता, तो भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाते।
उन्होंने सुरक्षा और समृद्धि के लिए मेक-इन-इंडिया को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के उपयोग ने साबित कर दिया हैकि भारत के पास दुश्मन के किसी भी कवच को भेदने की शक्ति है।उन्होंने कहा, “ हमने आतंकवादी ठिकानों और फिर सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। हम और भी बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन हमने शक्ति और संयम के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया।”रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति और प्रतिक्रिया को नये सिरे से तैयार किया है और पाकिस्तान को एहसास हो गया है कि आतंकवाद का कारोबार चलाना लागत प्रभावी नहीं है, बल्कि उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ अपनी भागीदारी और बातचीत के दायरे को फिर से निर्धारित किया है और अब बातचीत केवल आतंकवाद और पीओके पर होगी।श्री सिंह ने स्पष्ट किया कि पीओके भारत का हिस्सा है और भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग हुए लोग जल्द या बाद में स्वेच्छा से भारत लौट आयेंगे। उन्होंने कहा, “ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध है। पीओके के अधिकतर लोगों का भारत के साथ गहरा संबंध है। केवल कुछ ही लोग हैं जिन्हें गुमराह किया गया है।
”रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि सरकार ने नीति स्पष्टता, स्वदेशीकरण, आर्थिक लचीलापन और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दी है और इन प्रयासों की सफलता तभी सुनिश्चित हो सकती है, जब नवोन्मेषक, उद्यमी और निर्माता सहित सभी हितधारक इस राष्ट्रीय मिशन में मजबूत भागीदार बनें। उन्होंने भारतीय उद्योग जगत से कंपनी हितों से ज़्यादा राष्ट्रीय हितों पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “अगर कंपनी हितों की रक्षा करना आपका कर्म है, तो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना आपका धर्म है।”शिखर सम्मेलन की थीम ‘विश्वास निर्माण और भारत प्रथम’ पर अपने विचार साझा करते हुए श्री सिंह ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि श्री मोदी के नेतृत्व में भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा, “ यह केवल अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि का मामला नहीं है। यह भारत में दुनिया के बढ़ते भरोसे और खुद पर उसके भरोसे के बारे में भी है। आज भारत रक्षा प्रौद्योगिकी का केवल उपभोक्ता ही नहीं है, बल्कि एक उत्पादक और निर्यातक भी बन गया है। जब दुनिया उच्च-स्तरीय रक्षा प्रणालियों के लिये हमसे संपर्क करती है, तो यह केवल बाजार का संकेत नहीं होता है, बल्कि यह हमारी क्षमता के लिए सम्मान होता है।
”रक्षा मंत्री ने पिछले दशक में सरकार द्वारा की गयी पहलों के कारण हासिल की गयी उपलब्धियों को गिनाते हुए भारत की विकास यात्रा में रक्षा क्षेत्र द्वारा निभायी जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “10-11 साल पहले हमारा रक्षा उत्पादन लगभग 43 हजार करोड़ रुपये का था। आज यह एक लाख 46 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान 32 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। हमारा रक्षा निर्यात, जो 10 साल पहले लगभग 600-700 करोड़ रुपये था, आज 24 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमारे हथियार, प्रणालियाँ, उप-प्रणालियाँ, घटक और सेवायें लगभग 100 देशों तक पहुँच रही हैं। रक्षा क्षेत्र से जुड़े 16,000 से अधिक एमएसएमई आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ बन गये हैं। ये कंपनियाँ न केवल हमारी आत्मनिर्भरता की यात्रा को मजबूत कर रही हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।”श्री सिंह ने कहा कि आज भारत न केवल लड़ाकू विमान और मिसाइल प्रणाली बना रहा है, बल्कि न्यू एज वारफेयर तकनीक के लिये भी तैयार हो रहा है।
उन्होंने कहा, “हम अग्रणी तकनीकों में भी लगातार प्रगति कर रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर डिफेंस, मानवरहित प्रणाली और अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा के क्षेत्र में हमारी प्रगति को वैश्विक मंच पर मान्यता मिल रही है। भारत में इंजीनियरिंग, उच्च परिशुद्धता विनिर्माण और भविष्य की तकनीकों के लिए विकास केंद्र बनने की क्षमता है।”भारतीय उद्योग को राष्ट्र की सामूहिक आकांक्षाओं का वाहक बताते हुये रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार और उद्योग के साझा प्रयास और तालमेल से ही भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के समय में किसी राष्ट्र की ताकत का मूल्यांकन सिर्फ उसके जीडीपी, विदेशी निवेश या निर्यात के आंकड़ों जैसे आर्थिक सूचकांक से नहीं किया जाता है, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कोई देश अपने नागरिकों और वैश्विक समुदाय में कितना विश्वास जगा सकता है। उन्होंने कहा, “विश्वास तभी कायम रहता है, जब किसी देश को यह भरोसा हो कि वह अपने भू-राजनीतिक हितों की रक्षा कर सकता है, अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और भविष्य की अनिश्चितताओं के बावजूद स्थिर रह सकता है। राष्ट्र का मनोबल तभी ऊंचा रहता है, जब उसे पता हो कि उसका आज सुरक्षित है और कल भी सुरक्षित है।
”इस कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमण्यम, सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी और उद्योग जगत के शीर्ष प्रतिनिधि शामिल हुये।
तीन रक्षा उपक्रमों को मिला मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने देश की आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण क्षमताओं को और मजबूती देते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के तीन प्रमुख रक्षा उपक्रमों म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (एवीएनएल) और इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) को “मिनीरत्न श्रेणी-I” का प्रतिष्ठित दर्जा देने को स्वीकृति प्रदान की है।श्री सिंह ने गुरुवार को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर इन उपक्रमों को बधाई देते हुए कहा कि महज तीन वर्षों में इन संस्थाओं का एक पारंपरिक सरकारी ढांचे से लाभकारी और नवोन्मेषी कॉर्पोरेट संस्थाओं में रूपांतरण अत्यंत प्रशंसनीय है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इन कंपनियों ने कारोबार में वृद्धि, स्वदेशीकरण की दिशा में ठोस प्रगति और दक्षता के विभिन्न मापदंडों पर खरा उतरते हुए यह दर्जा प्राप्त किया है।म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2021-22 में 3,314 करोड़ रुपये की बिक्री से छलांग लगाकर 2024-25 (अनंतिम) में 8,214 करोड़ रुपये तक की वृद्धि दर्ज की है। निर्यात क्षेत्र में भी एमआईएल ने 22.55 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,081 करोड़ रुपये तक की शानदार प्रगति की है। इसके उत्पाद पोर्टफोलियो में विभिन्न कैलिबर के गोला-बारूद, रॉकेट, हैंड ग्रेनेड तथा इन-हाउस निर्मित उच्च विस्फोटक शामिल हैं।आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड ने बिक्री में 2,569 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4,946 करोड़ रुपये (अनंतिम) की वृद्धि हासिल की है। कंपनी ने टी-72, टी-90 और बीएमपी-II प्लेटफार्मों के लिए इंजनों का 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण कर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2021-22 में 562.12 करोड़ रुपये से 2024-25 (अनंतिम) में 1,541.38 करोड़ रुपये तक की बिक्री दर्ज कर 250 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हासिल की है। इसके प्रमुख उत्पादों में अत्याधुनिक ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक और विजन सिस्टम शामिल हैं, जो भारत की थल, जल और नौसेना प्रणालियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।उल्लेखनीय है कि इन तीनों उपक्रमों का गठन पूर्ववर्ती आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के पुनर्गठन के तहत 01 अक्टूबर 2021 को किया गया था, जिसके तहत कुल सात डीपीएसयू बनाए गए। एमआईएल और एवीएनएल ‘श्रेणी ए’ में आते हैं जबकि आईओएल ‘श्रेणी बी’ का डीपीएसयू है और रक्षा उत्पादन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत है। मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा इन कंपनियों को और अधिक वित्तीय तथा प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करेगा, जिससे वे नवाचार, वैश्विक साझेदारियों और निर्यात क्षमताओं के नए आयाम स्थापित कर सकेंगी।(वार्ता)
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