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गुगल की गलती से देशभर में आज मन रही शहीद मंगल पांडेय की जयंती

विजय बक्सरी

बलियाः देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्रामके नायक शहीद मंगल पांडेय की जयंती 30 जनवरी 1831 है। जबकि गुगल ने 19 जुलाई 1827 प्रदर्शित कर दिया। जिसके कारण गुगल की गलती ने देश के शहीद मंगल पांडेय की जयंती को लेकर भ्रम तो बनाया ही देश के गौरवशाही इतिहास का भी मजाक सा बना दिया। जिसके कारण लाकडाउन के बावजूद नेट पर नोटिफिकेशन मिलते ही लाखों की संख्या में लोग आनलाइन विभिन्न सोशल साइट पर शहीद मंगल पांडेय के जयंती को लेकर श्रद्धांजलि देने लगे। जब वास्तविक जयंती की जानकारी मिली तो अधिकांश ने उक्त जयंती संबंधित पोस्ट हटा लिया, बावजूद गैर जानकारी में अधिकांश लोगों ने आनलाइन जयंती मनाया। जबकि उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के नगवां गांव के मूल निवासी शहीद मंगल पांडेय की वास्तविक जयंती 30 जनवरी 1831 ही है। जिससे बलियावासियों समेत पूरे देश में गुगल की उक्त गलती को लेकर जबरदस्त नाराजगी व्याप्त हो गई है। मालूम हो कि टेक्नालाॅजी पर निर्भर होती पढ़ाई व नेटवर्कींग के बढ़ते प्रभाव के बीच करोड़ों की संख्या में लोग गुगल पर दी जाने वाली जानकारी को शत फीसदी सही मानते है। यही कारण है कि गुगल की एक अलग व मजबूत शाख है किंतु उक्त एक जयंती तिथि ने गुगल के विश्वसनीयता को भी प्रभावित किया है।

यही थे मंगल पांडेय

देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 में पहली बार आजादी की मशाल जलाने वाले अमर शहीद मंगल पाण्डेय एक ऐसे क्रांतिकारी याद्धा थे, जिनके द्वारा देश में भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था। उनका जन्म बलिया जनपद के नगवां गांव में 30 जनवरी 1831 को हुआ था। उनके पिता का नाम दिवाकर पांडेय तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था।

दिया नारा- मारो फिरंगियों को…

1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में बलिया के क्रांतिकारी मंगल पांडेय के मुंह से अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ गुस्से में निकली लाइन ‘‘मारो फिरंगियों को…‘‘ के उद्घोष ने क्रांति की ज्वाला भड़का दी और अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए।
श्अंग्रेजश् या ब्रिटिश जो उस समय देश को गुलाम बनाए हुए थे, को क्रांतिकारियों और भारतियों द्वारा फिरंगी नाम से पुकारा जाता था. आपको बता दें, गुलाम जनता और सैनिकों के दिल में क्रांति की जल रही आग को धधकाने के लिए और लड़कर आजादी लेने की इच्छा को दर्शाने के लिए यह नारा मंगल पांडे द्वारा गुंजाया गया था.

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