अंत: वौ वाह्य परजीवीयों के कारण बहुत सी बीमारियां पशुओं में आती है:डॉ विवेक
पीपीगंज,गोरखपुर। दुधारू पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियाँ होती है। सूक्ष्म विषाणु जीवाणु, फफूंदी, अंत: व वाह्य परजीवी, प्रोटोजोआ, कुपोषण तथा शरीर के अंदर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया में विकार आदि प्रमुख कारणों में है।इन बीमारियों में बहुत सी जानलेवा बीमारियां है कई बीमारियाँ पशु के उत्पादन पर कुप्रभाव डालती है। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ डॉ विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि पशुओ में अंत: वौ वाह्य परजीवीयों के कारण बहुत सी बीमारियां पशुओं में आती है यदि समय रहते इनपर ध्यान ना दिया जाय तो यह आर्थिक नुकसान का कारण बन जाते है।
पशुओं के शरीर पर बाह्म परजीवी जैसे कि जुएं पिस्सु या चिचडी आदि पशुओं का खून चूसते हैं जिससे उनमें खून की कमी हो जाती है तथा वे कमज़ोर हो जाते हैं। इन पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता घट जाती है तथा वे अन्य बहुत सी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। बहुत से परजीवी जैसे कि चिचडियों के प्रकोप से पशुओं में टीक-फीवर का संक्रमण बढ़ जाता हैं। पशुओं में बाह्म परजीवी के प्रकोप को रोकने के लिए अनेक दवाइयां उपलब्ध हैं जिन्हें पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार प्रयोग करके इनसे बचा जा सकता है।
पशुओं में अंत:परजीवी प्रकोप पशुओं की पाचन नली में भी अनेक प्रकार के परजीवी पाए जाते हैं जिन्हें अंत: परजीवी कहते हैं हैं। ये परजीवी पशु के पेट, आंतों, यकृत उसके खून व खुराक पर निर्वाह करते हैं जिससे पशु कमज़ोर हो जाता है तथा वह अन्य बहुत सी बीमारियों का शिकार हो जाता है। इससे पशु की उत्पादन क्षमता में भी कमी आ जाती है। पशुओं को उचित आहार देने के बावजूद यदि वे कमजोर दिखायी दें तो इसके गोबर के नमूनों का पशु चिकित्सालय में परीक्षण करना चाहिए।
परजीवी के अंडे गोबर के नमूनों में देखकर पशु को उचित दवा दी जाती है जिससे परजीवी नष्ट हो जाते हैं। पशुपालक समय समय पर अपने नजदीकी पशु स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपने पशुओ हेतु अंतः एवं वाह्य परजीवीयों के नियंत्रण लिए पशु चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।