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भारतीय दवा बाजार मेें जापानी काराेबारियों को मांडविया ने किया आमंत्रित

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने भारतीय दवा बाजार में बढ़ते अवसरों का लाभ उठाने के लिए जापानी कंपनियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा है कि सरकार की नीतियां इसके लिए अनुकूल है।

श्री मांडविया ने जापान के टोक्यो में सोमवार को जापानी कारोबारियों काे संबोधित करते हुए कहा कि भारत में दवा उद्योग विदेशी कंपनियों से बहुत अधिक निवेश आकर्षित कर रहा है और भागीदारी तथा के अवसरों में ईजाफा हो रहा है। सरकार के नीतिगत सुधारों से दवा कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश करने के रोमांचक अवसर खोले हैं। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं ने विनिर्माताओं को वैश्विक बाजार में आपूर्ति करने के उद्देश्य से भारत में दवाओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

श्री मांडविया टोक्यो में भारतीय दूतावास में जापानी फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों और जापान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जेपीएमए) के सदस्यों के साथ बातचीत कर रहे थे। जेपीएमए के महानिदेशक जुनिची शिराइशी और जेपीएमए के प्रबंध निदेशक डॉ सचिको नाकागावा भी चर्चा में उपस्थित थे।

उन्होंने बताया कि विश्व स्तर पर, बायो-फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार जीवन विज्ञान क्षेत्र में विकास के लिए महत्वपूर्ण चालक बन गए हैं। भारतीय पारंपरिक दवाओं की बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए श्री मांडविया ने कहा कि सरकार ने पारंपरिक दवाओं और फाइटो-फार्मास्यूटिकल्स को मुख्यधारा की प्रक्रियाओं को एकीकृत करने के प्रयास शुरू किए हैं। भारत की समृद्ध जैव विविधता और वनस्पतियों और जीवों की प्रचुरता के साथ, फाइटो फार्मास्यूटिकल उत्पादों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल करने की अपार संभावनाएं हैं। इन दवाओं के लिए वैश्विक पहचान के लिए अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय मंत्री ने सटीक दवा, सेल और जीन थेरेपी, जैविक उत्पादों और डिजिटल उपकरणों के प्रयोग जैसे उभरते अभिनव उपचारों और प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और नवाचार पर जापानी सहयोग को भी आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और नवाचार पर इस तरह के सहयोग से इन नवीन चिकित्सीय विकल्पों की घरेलू उपलब्धता और सामर्थ्य बढ़ाने में मदद मिलेगी।

श्री मांडविया ने कहा कि भारत को एक वैश्विक फार्मास्युटिकल केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारतीय दवा उद्योग को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति का लगभग 60 प्रतिशत और सामान्य निर्यात का 20-22 प्रतिशत देकर वैश्विक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में, भारत ने लगभग 185 देशों को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग ने मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं के निर्माण, थोक दवाओं के निर्यात और सक्रिय दवा सामग्री की आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया है। भारतीय दवा उद्योग में 3,000 दवा कंपनियों और 10,500 विनिर्माण इकाइयों का नेटवर्क शामिल है। इसके वर्ष 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।(वार्ता)

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