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प्लास्टिक उद्योग की रक्षा के लिए जो भी संभव होगा वह करेंगे : मांडविया

मांडविया ने प्लास्टिक उद्योग और उसके भविष्य पर कोविड-19 के प्रभाव और उसके निहितार्थ पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया

केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने आश्वासन दिया है कि सरकार कानून के दायरे मेंप्लास्टिक उद्योग को कोविड​​-19 के प्रभाव से बचाने के लिए जो भी संभव होगा वह करेगी। श्री मांडविया “प्लास्टिक उद्योग और उसके भविष्य पर कोविड-19 के प्रभाव और निहितार्थ” पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे जिसका आयोजन फिक्की ने रसायन और पेट्रो रसायन विभाग, सीआईपीईटी और प्लास्टइंडिया फाउंडेशन के सहयोग से किया था।

श्री मांडविया ने कहा कि रसायन और पेट्रो रसायन क्षेत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की परिकल्पना का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह क्षेत्र औद्योगिक विकास का मुख्य आधार है और कई उद्योगों के लिए बिल्डिंग ब्लॉक प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र आत्मानिर्भर भारत की प्रधानमंत्री की परिकल्पना को भी साकार करने में योगदान दे रहा है। श्री मांडविया ने कहा कि भारतीय प्लास्टिक उद्योग को दुनिया में पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ, अभिनव और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए हमें उन चुनौतियों को स्वीकार और परिभाषित करना होगा जो आगे आने वाले समय में हमारे सामने खड़ी होंगी।

उन्होंने कहा कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि प्लास्टिक उद्योग आज ज़रूरत के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि इसके उत्पाद कोविड-19 से संघर्ष में लगे फ्रंटलाइन योद्धाओं की कोशिशों में काफी मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि कोविड-19 के खत्म होने तक इसके खिलाफ संघर्ष में हर महीने 89 मिलियन मेडिकल मास्क, 76 मिलियन परीक्षण दस्ताने और 1.6 मिलियन काले चश्मे की आवश्यकता होगी। इसलिए, इससे संकेत मिलता है कि भारत को कोरोना वायरस से मुक्त करना सुनिश्चित करने के लिए प्लास्टिक उद्योग को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम आंतरिक अवरोध या प्रतिस्पर्धी असंतुलन पैदा करके आंतरिक बाजार को विखंडित नहीं करना चाहते हैं बल्कि हमें एक राष्ट्र और शक्ति के रूप में एक साथ जुड़ना होगा।

रसायन एवं पेट्रो रसायन सचिव राजेश कुमार चतुर्वेदी ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि इस महामारी से प्लास्टिक की वास्तविक क्षमता का पता चला है। कोविड महामारी के दौरान खतरनाक सामग्री वाले सूट, एन-95 मास्क, दस्ताने, टोपी (विजर्स), काले चश्मे, जूते के कवर की मांग के कारण इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है क्योंकि ये सभी पॉलीप्रोपाइलीन / प्लास्टिक से बनते हैं।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक उद्योग आर्थिक विकास और मोटर वाहन, निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य देखभाल, कपड़ा और एफएमसीजी आदि जैसे देश के विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने उद्योग से अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के संदर्भ में, डीसीपीसी ने कोविड-19 की वजह से प्लास्टिक उद्योग के सामने मौजूद मुख्य मुद्दों को स्वीकार किया है और यह उम्मीद है कि सभी के सहयोग और इस मंच के माध्यम से विचार-विमर्श के साथ हमारा विभाग उद्योग की मौजूदा चुनौतियों से निपटने की स्थिति में होगा। इस अवसर परसंयुक्त सचिव (पेट्रो-रसायन) श्री काशी नाथ झा, सीआईपीईटी के महानिदेशक प्रो. एस. के. नायक और सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

 

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