
जौनपुर। एक न्यूज़ चैनल के संपादक अर्नब गोस्वामी को आज मुंबई पुलिस द्वारा किसी गैंगस्टर या आतंकवादी की तरह गिरफ्तार किए जाने को लेकर पत्रकारों में काफी क्षोभ है। केंद्र सरकार के कई मंत्रियों ने भी इसके लिए महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की कड़ी आलोचना की है केंद्रीय मंत्रियों ने गिरफ्तारी को गलत बताया है। इस गिरफ्तारी को फिल्म अभिनेता सुशांत राजपूत और महाराष्ट्र में हुई संतों की हत्या पर लगातार सवाल उठाने से हो रही किरकिरी से तिलमिलाई उद्धव सरकार द्वारा मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश करार दिया जा रहा है।
भारी पुलिस फोर्स के साथ मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने अर्णब गोस्वामी के घर पर जिस तरह से उन्हें गिरफ्तार किया और प्रतिवाद करने पर परिवार के साथ दुर्व्यवहार किया वह अक्षम्य माना जा रहा है। अर्नब गोस्वामी और उनके संस्थान द्वारा अपनाई जा रही पत्रकारिता की शैली पर असहमति हो सकती है लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में कार्यदाई संस्थाओं के काम करने के तरीकों पर मीडिया द्वारा सवाल उठाए जाने को गलत नहीं ठहराया जा सकता साथ ही मीडिया द्वारा बड़े पदों पर बैठे लोगों की कार्यशैली की आलोचना करने पर मीडिया कर्मियों को प्रताड़ित किया जाना अशुभ संकेत है। असहमतियों के बावजूद इस प्रकरण पर देश के मीडिया संगठनों को खुलकर आना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस विषय पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की हैं। लंबे समय तक पत्रकारिता से संबद्ध रहे और सम्प्रति उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट ओमप्रकाश सिंह ने इसे चौथे स्तंभ की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा की पहले इंदिरा गांधी के जमाने में और अब सोनिया गांधी के इशारे पर आपातकाल के कुकृत्य दोहराये जा रहे हैं। मीडिया का गला घोंटा जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पहले ही इसकी कड़ी निंदा की है, उन्होंने कहा भी है कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ लगाए गए सभी चार्ज वापस लिए जाएं और उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
जौनपुर के पत्रकारों ने अर्नब गोस्वामी को तत्काल रिहा करने और ऐसी अलोकतांत्रिक हरकतों से विरत रहने की उद्धव सरकार से अपील की है। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के जिला अध्यक्ष विजय प्रकाश मिश्र ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि यह सीधे-सीधे पत्रकारिता पर कुठाराघात है। मुंबई पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी यह साबित करती है कि वहां लोकतंत्र के सभी अंग पंगु हो गए हैं। एक दैनिक समाचार पत्र के संपादक महेंद्र ने महाराष्ट्र सरकार की इस कार्रवाई को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले की संज्ञा दी है। अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा के सरकार के इशारे पर मुंबई पुलिस ने जो तरीका अपनाया है वह साफ तौर पर इशारा करता है कि महाराष्ट्र सरकार अर्नब गोस्वामी और उनके चैनल को मजबूर करके अपने खिलाफ न होने के लिए मजबूर करने की कोशिश में है।
अर्नब को गिरफ्तार कर कांग्रेस-शिवसेना ने फिर दिलाई इमरजेंसी की याद, सोशल मीडिया पर उबाल