
कुशीनगर। समाज जब संवेदनाओं के साथ आगे बढ़े तो कोई भी बच्चा बेसहारा नहीं रह सकता। इसी मानवीय भावना का उदाहरण पेश किया है मध्यदेशीय वैश्य महासभा उत्तर प्रदेश ने। शनिवार को संगठन के पदाधिकारी खड्डा क्षेत्र के हनुमान गंज पहुंचे, जहां मद्धेशिया समाज की दो अनाथ बच्चियों का जीवन संघर्ष सोशल मीडिया के जरिए सामने आया था। इन बच्चियों की शिक्षा और भविष्य की चिंता समाजसेवियों ने उठाई, तो संगठन के पदाधिकारियों ने इसे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए उनके भरण-पोषण और शिक्षा का संकल्प लिया।
सोशल मीडिया से समाज तक पहुँची गुहार
हनुमान गंज गांव की रहने वाली प्रतिमा की शादी चंदन मद्धेशिया से हुई थी। कैंसर से पति का निधन हुआ और कुछ समय बाद प्रतिमा भी बीमारी के चलते दुनिया छोड़ गईं। पीछे रह गईं उनकी दो नन्हीं बच्चियां—प्राची और छवि। अब यह दोनों अपने नाना-नानी के साथ रह रही थीं।एक समाजसेवी ने बच्चियों की स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली, जिससे यह दर्दनाक कहानी समाज और संगठन तक पहुँची।
संगठन के पदाधिकारी पहुंचे बच्चियों के पास
सूचना मिलते ही संगठन के राष्ट्रीय मंत्री हीरालाल मद्धेशिया, प्रदेश उपाध्यक्ष मायाशंकर निर्गुणायक, प्रदेश मंत्री प्रभात गुप्ता, जिला संगठन महामंत्री दीनानाथ वैश्य और नगर पंचायत सेवरही के सभासद प्रमोद मद्धेशिया समेत कई पदाधिकारी बच्चियों के घर पहुँचे। उन्होंने नाना-नानी और अन्य परिजनों से मिलकर बच्चियों के भविष्य की योजना पर बातचीत की और उन्हें विश्वास दिलाया कि समाज अब इन बच्चियों के साथ खड़ा रहेगा।
सरकार की योजना से भी मिलेगा सहारा
प्रदेश उपाध्यक्ष मायाशंकर निर्गुणायक ने बच्चियों के पिता पक्ष को भी इस पहल में शामिल किया और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, कुशीनगर से बात की। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योजना के तहत दोनों बच्चियों का रजिस्ट्रेशन कराया, जिससे उन्हें हर माह 2500 की आर्थिक मदद मिल सके। इसके साथ ही परिवार और पिता पक्ष के बड़े-बुजुर्गों ने मिलकर बच्चियों की देखभाल की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा की।
समाज के लिए प्रेरणा बनी पहल
इस संवेदनशील पहल ने साबित कर दिया कि जब समाज संगठित होकर आगे आता है तो किसी भी मासूम का भविष्य अंधकारमय नहीं रह सकता। बच्चियों की देखभाल और शिक्षा के लिए उठाया गया यह कदम अब मध्यदेशीय वैश्य महासभा*की सामाजिक जिम्मेदारी का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।
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