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नवनीत राणा मामले में लोकसभा सचिवालय ने महाराष्ट्र सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब

राणा दंपत्ति की जमानत याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट ने की नामंजूर, लगाई फटकार

मुंबई । अमरावती की सांसद नवनीत राणा की गिरफ्तारी मामले में लोकसभा सचिवालय ने महाराष्ट्र सरकार को 24 घंटे के अंदर लिखित जवाब देने का आदेश दिया है। लोकसभा सचिवालय ने यह कार्रवाई सांसद नवनीत राणा की ओर से भेजे गए ईमेल के बाद की है।जानकारी के अनुसार नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को ईमेल भेजकर महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र पुलिस पर पेयजल उपलब्ध नहीं कराने और वॉशरूम नहीं जाने देने का आरोप लगाया था। इसके बाद लोकसभा उल्लंघन समिति ने नवनीत राणा की गिरफ्तारी के मामले में 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश महाराष्ट्र सरकार को दिया है।

उल्लेखनीय है कि नवनीत राणा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें 23 तारीख को गिरफ्तार कर पुलिस स्टेशन लाया गया। उन्हें पूरी रात पुलिस स्टेशन में गुजारनी पड़ी। रात में कई बार पानी मांगा, लेकिन रात भर पानी नहीं दिया। मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने कहा, ”मैं अनुसूचित जाति की हूं, इसलिए वे मुझे उसी गिलास में पानी नहीं दे सकते, जिसमें वे पीते हैं। मेरा मतलब है, मेरी जाति के कारण मुझे पीने के लिए पानी तक नहीं दिया गया।” नवनीत राणा ने कहा कि उन्हें मानवाधिकारों से वंचित रखा गया। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को बताया कि वे रात को बाथरूम जाना चाहती थीं, लेकिन पुलिस ने उनकी बात अनसुनी कर दी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

बंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को अमरावती की सांसद नवनीत राणा तथा उनके पति विधायक रवि राणा (राणा दंपत्ति) की जमानत याचिका नामंजूर कर दी है। साथ ही हाई कोर्ट ने इन दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि जितना बड़ा पद उतनी बड़ी जिम्मेदारी का भी निर्वाह करना चाहिए।

राणा दंपत्ति की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में जज वारले तथा जज मोडक की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सरकारी वकील प्रदीप धरत ने राणा दंपत्ति की जमानत का तीव्र विरोध किया और पुलिस की ओर से दर्ज मामले को सही ठहराया। राणा दंपत्ति के वकील रिजवान मर्चंट ने कहा कि पुलिस ने एक घटना के दो मामले दर्ज किए हैं। साथ ही एक ही घटना के कई मामले राज्य में दर्ज किए गए हैं। यह सब सिर्फ बदले की भावना के तहत किया गया है, इसलिए पुलिस की ओर से दर्ज मामले में कोई तथ्य नहीं है। आवेदकों को जमानत दी जानी चाहिए।

दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने राणा दंपत्ति को फटकार लगाते हुए कहा कि अपने विरोधियों के साथ सम्मानजनक तरीके से पेश आना चाहिए। उन्होंने कहा कि राणा दंपत्ति के विरुद्ध दर्ज मामले में तथ्य है, इसलिए इस याचिका को नामंजूर कर रहे हैं।

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