बजट को लोकसभा की मंजूरी, जमीन-जायदाद सौदों पर इंडेक्सेशन लाभ का विकल्प बरकरार
स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को लेकर राजनीति कर रहा है विपक्ष: सीतारमण
नयी दिल्ली : लोकसभा ने जमीन जायदाद पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर की प्रस्तावित नयी व्यवस्था में करदाताओं को राहत देने वाले संशोधन प्रस्ताव समेत कुल 45 सरकारी संशोधनों के साथ वित्त विधेयक 2024(2) को स्वीकृति प्रदान करने के साथ वर्ष 2024-25 के बजट प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दे दी।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक में दीर्घकालीन पूंजीगत संपत्तियों (भूमि और भवन या दोनों) के हस्तांतरण/ बिक्री पर व्यक्तियों और अविभाजित हिंदू परिवार को राहत देते हुये प्रस्ताव किया कि 23 जुलाई 2024 (बजट पेश किये जाने की तिथि) से पहले खरीदी गयी जमीन जायदाद की बिक्री या हस्तांतरण पर इंडेक्सेशन (महंगाई दर समायोजन) के साथ 20 प्रतिशत या बिना इंडेक्सेशन के 12.5 प्रतिशत की दर, जिसमें कम कर दर हो उसे लागू किया जायेगा।
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत उपरोक्ता संशोधन सहित कुल 45 संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी।इस तरह की संपत्तियों पर अब तक इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत की दर से दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ लागू होता था। वित्त मंत्री बजट में कर की दर को 12.5 प्रतिशत करने के साथ ही 2001 की कीमत के आधार पर गणना की जाने वाली इंडेक्सेशन की सुविधा को समाप्त कर दिया था। इंडेक्सशन को बहाल रखने की संसद के अंदर और बाहर उठी मांग को ध्यान में रखते हुये वित्त मंत्री ने इस संबंध में नये संशोधन का प्रस्ताव किया था जिसके पारित होने पर अब करदाताओं के सामने दोनों विकल्प होंगे लेकिन इंडेक्सेशन के लिये अब कट ऑफ तिथि 23 जुलाई 2024 होगी।वित्त मंत्री ने वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि मोदी सरकार जनता की बातों पर ध्यान देते हुये फैसला करती है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से जमीन जायदाद की खरीद-बिक्री पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
उन्होंने जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पालिसी प्रीमियम पर 18 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को समाप्त करने की विपक्ष की मांग को महज राजनीति बताते हुये कहा कि बिना प्रीमियम पर राज्यों में कर जीएसटी लागू होने से पहले से चला आ रहा था। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जीएसटी परिषद की कई बैठकों में चर्चा हो चुकी है। वह विपक्ष की इन बातों को जीएसटी परिषद की बैठक को बतायेंगी।श्रीमती सीतारमण ने विपक्ष से सवाल किया, “आप में से किसने अपनी सरकार वाले राज्यों के वित्त मंत्रियों को इस बारे में पत्र लिखा है। ”इस मुद्दे पर अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी नितिन गडकरी की चिट्ठी का विपक्ष द्वारा जिक्र जाने पर उन्होंने कहा कि लोगों के ज्ञापन पर मंत्रियों द्वारा इस तरह के पत्र लिखना सामान्य बात है। विपक्ष इसको लेकर राजनीति कर रहा है।
श्रीमती सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क कम किये जाने की विपक्ष की मांग को भी उसका दोहरा चरित्र बताते हुये कहा कि मोदी सरकार ने जनता को राहत देने के लिये नवंबर 2021 और मई 2022 में उत्पाद शुल्क में कटौती की जिससे कुल मिलाकर पेट्रोल 13 रुपये और डीजल 16 रुपये प्रति लीटर कम हुआ। इसके अलावा मार्च 2024 में भी पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में दो रुपये की कमी की गयी लेकिन हिमालच प्रदेश, कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों ने डीजल पेट्रोल पर राहत देने की बजाए जनता का बोझ बढ़ाया। तमिलनाडु में डीजल और पेट्रोल को पांच रुपये तक सस्ता करने का वादा था लेकिन केवल पेट्रोल पर तीन रुपये की कटौती की।वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार लगातार मध्यम वर्ग को कर में राहत देने के प्रावधान करती आई है।
उन्होंने चालू बजट में वेतन भोगी कर दाताओं के लिये मानक कटौती 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये किये जाने, स्टार्टअप पर एंजिल कर कम किये जाने जैसे कदमों का जिक्र किया। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुये कहा कि ‘टैक्स टेरोरिज्म’ और बांह मरोड़कर पैसा वसूलने की बाते 2014 से पहले की हैं। उनकी सरकार ने कर व्यवस्था को सरल बनाया है, जिससे कर दाताओं का विश्वास बढ़ा है। उन्होंने इसी संदर्भ में कर रिटर्न करने वालों की संख्या में वृद्धि का भी उल्लेख किया।वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार चालू वित्तवर्ष के बजट में कच्चे माल, कई दुर्लभ खनिजों सोना चांदी जैसी महंगी धातुओं और इलेक्ट्रानिक यंत्रों के निर्माण में काम आने वाले यंत्रों और प्रणालियों पर आयात शुल्क कम किया है, ताकि घरेलू विनिर्माण उद्योगों को प्रोत्साहन मिल सके और रोजगार के अवसर बढ़ें।
स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को लेकर राजनीति कर रहा है विपक्ष: सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा प्रीमियम पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के निर्णय पर विपक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए बुधवार को सवाल किया कि क्या विपक्षी दलों ने अपने-अपने शासन वाले राज्यों के वित्त मंत्रियों को इस संबंध में कोई पत्र लिखा है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त विधेयक 2024 (2) पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि बीमा प्रीमियम पर राज्यों द्वारा कर लगाए जाने की व्यवस्था जीएसटी से पहले से चली आ रही है और वही व्यवस्था जीएसटी में समाहित की गई है।
उन्होंने कहा कि वह संसद में विपक्ष द्वारा इस विषय में कही गई बातों को जीएसटी परिषद के सामने रखेंगी, क्योंकि परिषद अपनी 31वीं, 37वीं और उसके बाद हुई अपनी बैठकों में इसको लेकर चर्चा कर चुकी है।जीवन और स्वास्थ्य बीमा पालिसी के नियम पर जीएसटी हटाने के मुद्दे पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री की चिट्ठी को लेकर श्रीमती सीतारमण ने कहा कि विपक्ष इस पर राजनीति कर रहा है। मंत्री दूसरों के ज्ञापनों पर इस तरह के पत्र लिखते रहते हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी से पहले हर राज्य में स्वास्थ्य कर लगाया जाता था। उन्होंने कहा कि विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंकता है।
उन्होंने सवाल किया कि यदि इस तरह की मांग है तो क्या विपक्ष ने अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को पत्र लिखे हैं।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी परिषद की 31, 37 तथा अन्य कई बैठकों में चर्चा हुई है। उन्होंने एक अखबार की इस खबर को गलत बताया कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के 24 हजार 539 करोड़ रुपए केंद्र ने अपनी जेब में रख लिये हैं। उन्होंने कहा कि बीमा प्रीमियम पर जीएसटी का नौ प्रतिशत केंद्र और इतना ही प्रतिशत राज्यों को चला जाता है।उन्होंने कहा ,“ मैं जीएसटी परिषद को रिपोर्ट करूंगी कि संसद में इस विषय पर क्या हुआ।”
सरकार की नीतियों से बढ़ा है करदाताओं का विश्वास : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बजट में मध्यम वर्ग को कर राहत दी गई है और सैलेरी एवं वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए मानक कटौती 50 हजार से 60 हजार की गई है जिसका सीधा लाभ इस वर्ग के लोगों को मिलेगा।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बुधवार को वित्त विधेयक 2024 (2) पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोविड के समय विकसित देशों में कर की दर बढाई गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड खर्च के लिए कर नहीं बढाने के निर्देश दिये थे और उस निर्देश का पालन करते हुए सरकार ने 2020 से 2023 के बीच किसी तरह का कोई कर नहीं बढाया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 में कर आतंकवाद की शिकायत की जा रही थी और लोगों से जबरन पैसा वसूले जाने की शिकायतें आ रही थीं लेकिन उस दौर को मोदी सरकार बहुत पीछे छोड चुकी है और करदाताओं का विश्वास बढाया गया है। एमएसमई को नये कर दाताओं का ज्यादा फायदा हुआ है इस बार के अंतरिम बजट में 19 लाख कर दाताओं पर कर की मांग हटा दी गई ताकि कर विवाद खत्म हो सके। बजट में एंजिल टैक्स को पूरी तरह से हटा दिया गया है जो कि 2012 में लाया गया था। उन्होंने कहा कि विपक्ष शोषण का बजट बताकर इसकी आलोचना कर रहा था जबकि कांग्रेस की सरकार के समय ही यह एंजिल कर लगाया गया था।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि शेयर और प्रतिभूतियों में निवेश पर दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ की छूट की सीमा एक लाख से बढाकर सवा लाख की गई है। इससे भी मध्यम वर्ग को फायदा हुआ है। उनका कहना था कि ‘मैं मध्यम वर्ग पर कर का बोझ बढाने की बात कहने वालों को कहना चाहती हूं कि एक समय था जब आय पर 98 प्रतिशत तक कर लगाया गया था। उन्होंने कहा कि यदि 2004 से 2014 तक भीषण भ्रष्टाचार का माहौल नहीं होता तो आज देश की आर्थिक स्थिति और बेहतर होती।उन्होंने कहा कि आयात कर में छूट दी गई है ताकि भारत में विनिर्माण सस्ता हो सके। इसके लिए सरकार ने कई कच्चे माल और दुर्लभ खनिजों का आयात भी सस्ता किया है। सोने और चांदी पर आयात शुल्क कम करने से आभूषण उद्योग को फायदा होगा। यह उद्योग बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर देने वाला उद्योग है। जलीय कृषि के काम आने वाले संसाधनों पर भी आयात कर में कटौती की गई है। बजट में घोषणा की गई कि अप्रत्यक्ष कर ढांचे की अगले छह माह में समीक्षा की जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रीफील्ड टैक्स रिटर्न से विवरण दाखिल करना आसान और तेज हुआ है। रिटर्न की फेसलेस समीक्षा की जा रही है और रिफंड में पहले जहां 93 दिन लगते थे वह दस दिन में ही पूरा हो रहा है। उन्होंने कहा कि 57.57 करोड विवरण पहली बार कर जमा करने वालों से प्राप्त हुए है और कर विवरण वालों की संख्या 7.5 प्रतिशत बढकर 6.77 करोड़ हो गई है।श्रीमती सीतारमण कहा कि बजट में कर विवरण के पुराने मामलों को खोलने की अधिकतम अवधि दस साल से घटाकर पांच साल कर दी गई है। कर विवादों पर अपीलीय मंचों में जाने के लिए न्यूनतम राशि की सीमाएं भी ऊची कर दी गई ताकि कम से कम विवाद होंगे। कर विभाग की ओर से संबंधित विवादित मामलों की अपील के लिए मौद्रिक सीमा बढाए जाने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के 7754 मामलों की अपील की जरूरत नहीं होगी।
लाभांश आय को निवेशकों के हाथ में पहुंचने पर कर लगाने से छोटे निवेशकों को नुकसान होने की विपक्ष की धारणा को गलत बताते हुए उन्होने कहा कि इससे कम आय वाले निवेशको को दस और उच्च आय वालों को 49 प्रतिशत कर देना पड़ता है। विपक्ष इस पर कुछ भी कहे यह बजट देश की जनता की भावना का प्रतिबिम्ब है।श्रीमती सीतारमण ने कहा कि जमीन, जायदाद पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभकर के बारे में संशोधित प्रस्ताव से करदाताओं पर कर भार नहीं बढ़ेगा और 23 जुलाई 2024 से पहले खरीदे गये, भूमि और भवन या दोनों के हस्तांतरण पर बिना मुद्रा स्फीति समायोजन(इंडेक्सेशन) के दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ की नयी 12.5 प्रतिशत की दर और 20 प्रतिशत की पुरानी दर, दोनों में से जिसमें कर का भार कम होगा, लागू होगी। उन्होंने यह भी कहा कि दीर्घकालीन पूंजीगत संपत्तियों (भूमि और भवन या दोनों) की बिक्री/ हस्तांतरण में पूंजीगत लाभ पर व्यक्तिगत और अविभाजित हिंदू परिवार-एचयूएफ के लिये राहत का प्रस्ताव किया गया है।(वार्ता)
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