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अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे लालू यादव

सात साल से अधिक सजा पाने वालों को पैरोल देने पर लगी रोक,राजद समर्थकों में निराशा

अजीत मिश्र   

पटना । विगत कई दिनों से बिहार में यह चर्चा जोरों से चल रही है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को कोरोना संक्रमण के चलते पैरोल पर रिहा किया जा सकता है लेकिन झारखंड सरकार की एक उच्चस्तरीय बैठक में उक्त निर्णय पर पर फिलहाल पानी फिर गया है।
बताया जाता है कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आर्थिक आपराधिक और सात साल से ज्यादा सजा वालों को पैरोल नहीं दी जाएगी। वहीं गंभीर आपराधिक मामलों को छोड़ सात साल की कम सजा वाले कैदियों की पैरोल का विरोध सरकार कोर्ट में नहीं करेगी। उन मामलों में संबंधित कोर्ट ही निर्णय ले सकती है ।उच्च स्तरीय इस बैठक के बाद लालू प्रसाद के पैरोल पर चल रहा संशय फिलहाल थम गया लगता है।बताया जाता है कि आर्थिक अपराध का आरोपी होने के कारण फिलहाल लालू प्रसाद को पैरोल नहीं मिल पाएगा। झारखंड के जेल आईजी शशि रंजन ने पत्रकारों को बताया की कोरोना को लेकर राज्य के विभिन्न जेलों में इस बीमारी को देखते हुए , सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था की सात साल से कम सजा वाले कैदियों को पैरोल पर छोड़ा जाए।
बताते चलें कि लालू प्रसाद संयुक्त बिहार के मुख्यमंत्री रहने के दौरान साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध ढंग से 89 लाख, 27 हजार रुपये निकालने के आरोप में सजा भुगत रहे हैं। हालांकि,चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है, जिनमें से एक देवघर कोषागार से भी जुड़ा केस है। इस मामले में कुल 38 लोग आरोपी थे जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्टूबर 1997 को मुकदमा दर्ज किया था। लगभग 20 साल बाद इस मामले में फैसला सुनया गया था। इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये अवैध ढंग से निकालने के चारा घोटाले के एक दूसरे केस में सभी आरोपियों को सजा मिल चुकी है।

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