क्षत्रिय धर्म संसद में जुटे देशभर के क्षत्रिय
वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में पहली बार क्षत्रिय धर्म संसद, काशी का आयोजन 25 दिसंबर, 2019 को किया गया । यह कार्यक्रम संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल कोईराजपुर वाराणसी में सुबह 11ः00 बजे से आरंभ हुआ । इसमें भाग लेने के लिए गुजरात से बारह सौ प्रतिभागी स्पेशल ट्रेन से डा0 जयेंद्र सिंह जडेजा (क्षत्रिय धर्म संसद गुजरात) के नेतृत्व में आये। इस धर्म संसद में एनआरसी और सीएए जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के प्रचार-प्रसार के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया। क्षत्रिय धर्म संसद ने पूर्णतः एनआरसी एवं सीएए का समर्थन करने के साथ ही देश में विरोध और प्रदर्शन के नाम पर हो रही हिंसा की निन्दा की । इसके साथ ही अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम राम के भव्य मन्दिर के निर्माण के लिए तन-मन-धन से सहयोग करने का संकल्प लिया । श्री रामचन्द्र जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । मुख्य अतिथि गोपाल नारायण सिंह माननीय सांसद राज्यसभा बिहार सरकार ने कहा कि आज क्षत्रिय समाज को एकजुट होने की जरूरत है जब भी देश की सुरक्षा खतरे में आती है तो निश्चित रूप में क्षत्रियों की अपनी भूमिका समाज के प्रति बन जाती है। उन्होंने सभी को एकजुट होने के लिए आवाहन भी किया।
विशिष्ट अतिथि के अगले कड़ी में प्रोफेसर पीएन सिंह कुलपति महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कहा कि आज देश को एकजुट होकर एनआरसी एवं सीए कानून को लेकर जो देश में भ्रांतियां फैली हुई हैं, उसे दूर करने के लिए क्षत्रिय समाज को जनता के बीच जाकर सभी को जागरूक करने की जरूरत है। जब कभी भी देश में बलिदान और त्याग का इतिहास पढ़ा जाता है तो उसमें क्षत्रिय समाज की भूमिका सर्वोपरि रही है इसलिए आज हम आप को संगठित होकर राष्ट्र धर्म के पथ पर चलकर देश को शक्तिशाली बनाने का कार्य करना चाहिए। विशाल सिंह मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कहा कि क्षत्रिय समाज को अपने अस्तित्व और अपने दायित्व को समझते हुए अपनी भूमिका को सुनिश्चित करना चाहिए । पीके जडेजा अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल गुजरात राजपूत युवा संघ ने कहा कि क्षत्रिय समाज को एकजुट होने की जरूरत है और साथ ही साथ नशा मुक्त समाज की परिकल्पना करने की बात पर जोर दिया । श्रीमती दशरथ परमार प्रदेश अध्यक्ष अखिल गुजरात राजपूत महिला संघ ने कहा कि आज क्षत्राणियों को रानी लक्ष्मीबाई बनने की जरूरत है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज समाज मंे जिस तरीके से महिलाओं के साथ दुव्यर्वहार हो रहा है, उसका प्रतिकार महिलाआंे को करना चाहिए।
रणविजय सिंह अध्यक्ष आयोजन समिति ने अपने अपने संबोधन में कहा कि अब क्षत्रिय समाज एक मंच पर आकर देश की उन्नति में अपना सहयोग दें। देश से आए हुए 200 पंजीकृत क्षत्रियों के संगठन के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए राहुल सिंह ने कहा कि क्षत्रिय धर्म ही राजधर्म है अतः क्षत्रियांे का यह नैतिक दायित्व है कि समाज में समरसता लाने के लिए आज क्षत्रिय समाज एकजुट होकर देश को एक नई पहचान देने में अपनी भूमिका निभाए। चेतनारायण सिंह सदस्य विधान परिषद ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में क्षत्रिय समाज के शिक्षकों की ये भूमिका है कि वह समाज को शिक्षित करें । गंगे हंस जी संत शिरोमणि कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देश के सभी क्षत्रियों को एकजुट होकर देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए वचनबद्ध किया साथ ही साथ क्षत्रिय समाज को आने वाले अनेक समस्याओं के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि आज निश्चित रूप में हम लोगों को एकजुट होकर इन समस्याओं से निदान पाने की जरूरत है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सभी क्षत्रियों को क्षत्रिय धर्म संसद की आवाज बनने की शपथ डाॅ रमेश कुमार सिंह ने दिलायी । इसके अलावा श्री मैनपाल सिंह राघव, श्री आनन्द मोहन सिंह, सुखदेव सिंह वंशी अध्यक्ष करणी सेना ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का आए हुए अतिथियों का स्वागत प्रो गुरु प्रसाद सिंह उपाध्यक्ष समिति ने किया तथा संचालन डॉ राम सुधार सिंह ने किया धन्यवाद ज्ञापन रणवीर सिंह अध्यक्ष आयोजन समिति क्षत्रिय धर्म संसद काशी ने किया। डा0 जयेन्द्र सिंह जडेजा अध्यक्ष क्षत्रिय धर्म संसद का वरिष्ठ पत्रकार डॉ अरविंद सिंह, अजय सिंह (बाबी), इन्द्रजीत सिंह तथा संगठन के लोगों ने स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। अधिवक्ता अहमदाबाद राजेंद्र सिंह, डॉ संजय सिंह गौतम इस मौके पर प्रोफेसर अमरेंद्र प्रताप सिंह अमरकंटक सेंट्रल यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर आरपी सिंह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ डॉक्टर अविनाश कुमार सिंह डॉ रवि प्रसाद सिंह, डॉ राम कीर्ति सिंह ठाकुर, प्रोफेसर पीके सिंह, ठाकुर कुश सिंह, राजेन्द्र प्रताप सिंह, राजबहादुर सिंह मौजूद रहे । सभी क्षत्रिय प्रतिनिधियों को यथार्थ गीता वितरित किया गया। कार्यक्रम में आये क्षत्रिय समाज के लोगों ने काशी विश्वनाथ धाम में जाकर मत्था टेका इसके बाद सभी लोग दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए।