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जेसीआई ने घोषित की राष्ट्रीय सलाहकार समिति,वरिष्ठ पत्रकारों को मिला स्थान

बरेली। पत्रकारों की समस्याओं पर गहनता से विचार करके उन्हे शासन प्रशासन से अवगत कराने व समस्याओं के निराकरण के प्रयास हेतु गैर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की राष्ट्रीय संस्था जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया ने राष्ट्रीय सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया है। इस समिति में कई प्रदेशों के वरिष्ठ पत्रकारों को स्थान दिया गया है। बताते चलें कि पूर्व में घोषित राष्ट्रीय सलाहकार समिति का कार्यकाल पूर्ण होने के उपरांत राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अनुशंसा पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने नयी राष्ट्रीय सलाहकार समिति की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने आशा की है कि नयी सलाहकार समिति पत्रकारों के हितार्थ सहयोग करेगी।

इस राष्ट्रीय समिति में असम उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विकास कुमार को स्थान दिया गया है। वही उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले से वरिष्ठ पत्रकार डा. ए के राय,फतेहपुर से वरिष्ठ पत्रकार डा.आर सी श्रीवास्तव, पीलीभीत से नीरज राज सक्सेना, झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार झा और राजस्थान से स्वतंत्र पत्रकार राजूचारण को जेसीआई ने अपनी राष्ट्रीय सलाहकार समिति में शामिल किया है।संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि यह समिति संगठन के विस्तार के साथ साथ पत्रकारों की समस्याओं पर गहनता से विचार करेगी और शासन प्रशासन तक पहुंचाकर उनके निराकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

कल की दशा और दिशा तय करने वाली पत्रकारिता आज अपने वास्तविक मार्ग से भटक गयी है। पुराने समय की पत्रकारिता का लक्ष्य था राष्ट्र व समाज हित में खबरों का लेखन व प्रकाशन। उस समय पत्रकार का अपना कोई स्वार्थ आड़े नहीं आता था और वह अपनी दमदार लेखनी से हवा का भी रुख मोड़कर शासन प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर देते थे। उस समय अखबार देश हित व राष्ट्र हित के लिए प्रकाशित होते थे। वर्तमान समय में पत्रकारिता लक्ष्य हीन हो गयी है। अखबार अब पूंजीवादी व्यवस्था के शिकार होते जा रहे हैं और आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए अखबार निकाल रहे हैं। उनका मकसद पत्रकारिता की आड़ में धन कमाना है। इससे कभी समाज में मार्गदर्शक का कार्य करनेवाली पत्रकारिता अब शासन और सत्ता की हनक से उनका गुलाम बन कर रह गयी है

पुराने समय में अधिकांश पत्रकार साहित्यिकार होते थे और पत्रकारिता से आय होने का स्वप्न भी नहीं देखते थे। भाषा पर उनकी मजबूत पकड़ होती थी परन्तु वर्तमान समय में पत्रकार बनने की कोई योग्यता व मापदण्ड नहीं है। भाषा, साहित्य, नियम कानून से वे काफी दूर हैं और उनका एक मात्र उद्देश्य लोगों पर दबाव बनकर धन कमाना है। उसके लिए ऐसे लोग किसी भी स्तर तक जा सकते हैं और ऐसे ही लोगों के साथ आये दिन विभिन्न प्रकार की घटनाएं भी होती रहती हैं। विचौलियों व दलालों की भूमिका का निर्वहन करते करते काफी लोग पत्रकार बन गये हैं और कापी पेस्ट की नयी परमात्मा के साथ खबरों को बढ़ाते रहते हैं, भले ही वे खबरें वास्तविकता के धरातल से दूर हों। इन कारणों से पत्रकारिता अब व्यवसाय के रुप में बदल रही है जिसके चलते समाज में पत्रकार की छवि धूमिल होती जा रही है।

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